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Scrap Policy: भारत में स्क्रैपेज नीति सरकारी वित्त पोषित कार्यक्रम है, जिसे सड़कों पर चलने वाली पुरानी और खराब हालत वाली गाड़ियों को नई और आधुनिक गाड़ियों से बदलने के लिए लाया गया है. इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को हटाना और देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम करना है.
यह वाहन स्क्रैपेज नीति प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुजरात में एक निवेशक सम्मेलन में शुरू की गई थी. यह नीति चलने लायक़ नहीं रह गईं गाड़ियों को स्क्रैप करने का लक्ष्य रखती है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के अनुसार, यदि आप अपने पुराने वाहन को कबाड़ में बदलने का फैसला करते हैं, तो आप प्रोत्साहन राशि के पात्र होंगे.
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स्क्रैपेज नीति के लिए वाहनों का वर्गीकरण
चूंकि भारत में सड़कों पर कई तरह के वाहन चलते हैं, इसलिए इन वाहनों को कबाड़ में बदलने के लिए लागू किए जाने वाले नियम वाहनों के वर्गीकरण के आधार पर अलग-अलग होंगे.
निजी वाहन: सभी निजी कारों को उनके पंजीकरण के 15 साल बाद फिटनेस टेस्ट से गुजरना होगा. यदि कार फिटनेस टेस्ट पास कर लेती है, तो पंजीकरण का नवीनीकरण किया जा सकता है जो 5 साल के लिए वैध होता है.
व्यावसायिक वाहन: बसों, ट्रकों आदि जैसे व्यावसायिक वाहन पंजीकरण के पहले 8 वर्षों के लिए हर दो साल में और 8 साल के बाद हर साल फिटनेस टेस्ट के लिए पात्र होते हैं, जब तक कि वाहन की पंजीकरण आयु 15 वर्ष तक नहीं पहुंच जाती.
सरकारी वाहन: 15 साल से अधिक पुराने सभी राज्य और केंद्र सरकार के वाहनों को हटा दिया जाएगा.
विंटेज वाहन: पुरानी कार स्क्रैपेज नीति विंटेज वाहनों पर लागू नहीं होती क्योंकि उनकी ज्यादातर अच्छी तरह से देखभाल की जाती है और उन्हें कम चलाया जाता है.
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यदि कोई वाहन फिटनेस टेस्ट में फेल हो जाता है, तो उसे एंड-ऑफ-लाइफ वाहन (ELV) माना जाएगा और उसे कबाड़ में बदल दिया जाएगा.
पुरानी गाड़ी को स्क्रैप में बदलने के फायदे
सरकार पुरानी गाड़ी स्क्रैप करने पर कई तरह के प्रोत्साहन देती है, जिनमें शामिल है वाहन निर्माता कंपनियां नई गाड़ी खरीदने पर 5% तक की छूट दे सकती हैं. नई गाड़ी खरीदने पर रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट. स्क्रैप मूल्य के बराबर राशि (नई गाड़ी की एक्स-शोरूम कीमत का 4-6%). राज्यों द्वारा निजी और व्यावसायिक वाहनों पर क्रमशः 25% और 15% तक रोड टैक्स में छूट.
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