इलेक्ट्रिक कार खरीदना क्या फायदे का सौदा है? रनिंग और मेंटनेस कॉस्ट से समझिए पूरा गणित
Electric Car पेट्रोल कार की तुलना में काफी सस्ती और मेंटेनेंस में भी आसान हैं. यदि आप एक नई कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो इलेक्ट्रिक कार निश्चित रूप से एक अच्छा विकल्प है. मगर इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले एक बार उसके रनिंग और मेंटनेंस कॉस्ट के बारे में जान लेना बेहतर होगा.
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Electric car buying is really a profitable deal Understand the complete mathematics by running and maintenance cost: पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इलेक्ट्रिक वाहन एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं ये हर कोई मानता है, मगर की आप ये जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल के मुकाबले इलेक्ट्रिक कारें कितनी महंगी होती हैं, और इन चुनौतियों को कम करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनिया क्या कदम उठा रही हैं. हाल ही में, टाटा मोटर्स और एमजी मोटर्स जैसी कंपनियों ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों की कीमतों में कटौती की है. यह कदम ग्राहकों के लिए इलेक्ट्रिक कारों को अधिक किफायती बनाने और बिक्री को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है.
इलेक्ट्रिक कार खरीदने में खर्च:
इलेक्ट्रिक कारों की कीमत पेट्रोल कारों की तुलना में 20-30% अधिक होती है. उदाहरण के लिए, टाटा नेक्सॉन पेट्रोल के टॉप मॉडल की कीमत 15.6 लाख रुपये है, जबकि इसके टॉप इलेक्ट्रिक मॉडल की कीमत 21 लाख रुपये है.
इलेक्ट्रिक कारों का रनिंग कॉस्ट
- इलेक्ट्रिक कार चलाने का खर्च पेट्रोल कार की तुलना में काफी कम है.
- पेट्रोल कार पर प्रति किलोमीटर खर्च 7-8 रुपये है, जबकि इलेक्ट्रिक कार पर यह खर्च केवल 1-1.5 रुपये प्रति किलोमीटर है.
- अगर आप एक पेट्रोल कार से हर महीने 1,500 किलोमीटर चलते हैं, तो आपको पेट्रोल में 12,000 रुपये खर्च होंगे.
- इलेक्ट्रिक कार के लिए यह खर्च केवल 2,300 रुपये होगा.
- इस हिसाब से आप इलेक्ट्रिक कार चलकर हर महीने 10,000 रुपये की बचत कर सकते हैं.
इलेक्ट्रिक कार चला कर 6 साल में कितने रुपये की बचत होगी
- अगर आप इलेक्ट्रिक कार को 6 साल तक हर साल 10,000 किलोमीटर चलाते हैं, तो बैटरी चार्जिंग पर 1 लाख रुपये खर्च आएगा.
- समान अवधि में एक पेट्रोल कार पर 5.5 लाख रुपये से 6 लाख रुपये का खर्च आएगा.
- यानी आप 6 साल में 4-5 लाख रुपये की बचत कर सकते हैं.
इलेक्ट्रिक कारों का मेंटनेंस कॉस्ट
- इलेक्ट्रिक कारों में इंजन नहीं होता, साथ ही इसमें घूमने वाले पार्ट्स भी कम होते हैं, जिससे उनके मेंटेनेंस का खर्च भी कम हो जाता है.
- इलेक्ट्रिक कार के मेंटेनेंस पर होने वाला सालाना खर्च एक पेट्रोल कार के मुकाबले एक-चौथाई (1/4) होता है.
इलेक्ट्रिक कारों की चुनौती
- इलेक्ट्रिक कारों को चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशनों की कमी ई-वाहनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है.
- देश में टाटा मोटर्स, एमजी, किआ और हुंडई जैसी कई कार निर्माता कंपनियां ई-वाहनों के लिए तेजी से इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित कर रही हैं.
- इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरी काफी महंगी होती है, उधारण के लिए बैटरी की कीमत वाहन की कीमत का आधा होती है.
इलेक्ट्रिक कारों में मिलने वाली सब्सिडी
- FAME II योजना के तहत, सरकार इलेक्ट्रिक कारों पर सब्सिडी प्रदान करती है.
- कई राज्य सरकारें भी इलेक्ट्रिक कारों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन शुल्क में छूट दे रही हैं.