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टोक्यो : वैज्ञानिक ऐसी बैटरी विकसित कर रहे हैं, जिससे स्मार्टफोन को बार-बार चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह नयी बैटरी रोशनी से खुद चार्ज होकर ऊर्जा संग्रहित कर सकती है. लिथियम आयन बैटरी की बदौलत स्मार्टफोन, टैबलेट, और कंप्यूटर जैसे मोबाइल उपकरणों का तेजी से फैलाव हुआ है.हालांकि इन उपकरणों को बराबर चार्ज करने की जरूरत पड़ती है, क्योंकि इनकी बैटरी की क्षमता सीमित होती है.
इस बारे में कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जॉर्ज पी डेमोपोलोस कहतेहैं कि स्मार्टफोन समेत कई उपकरणों को आपको दफ्तर ले जाने की जरूरत पड़ती है. इसलिए आपको इन्हें रोजाना चार्ज करने की जरूरत पड़ती है. कई दफा ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे आप इन्हें चार्ज नहीं कर पाते हैं.
इस परेशानी को दूर करने के लिए पोर्टबल सोलर चार्जर का विकास किया गया, लेकिन इन हाइब्रिड डिवाइस में बड़ी दिक्कत यह है कि इन्हें छोटा आकार में बनाना कठिन है. इस समस्या का हल निकालने के लिए शोधकर्ता सिंगल डिवाइस पर काम कर रहे हैं. यह डिवाइस रोशनी के उपयोग से ऊर्जा संग्रहित करने में सक्षम होगी. शोध से जाहिर हुआ है कि फोटो-हार्वेस्टिंग डाई मोलेक्यूल के मिश्रण से लिथियम आयन बैटरी के कैथोड को रोशनी के प्रति संवेदनशील बनाया जा सकता है.
वैज्ञानिकों को अब एक एनोड, स्टोरेज कंपोनेंट बनाना होगा, जो डिवाइस के सर्किट को बंद कर देगा और कैथड द्वारा बनने वाली ऊर्जा को ट्रांसफर करने और स्टोर करने की अनुमति देगा. अगर वैज्ञानिक ऐसा करने में सफल हो जाते हैं तो वह दुनिया की पहली 100 फीसदी खुद चार्ज होने वाली लिथियम आयन बैटरी बनाने में सफल हो जायेंगे.