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Tuesday, April 22, 2025 | 05:59 am

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Ashutosh Chaturvedi

मीडिया जगत में तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव. भारत की हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती. भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनु‌भव हासिल. मीडिया जगत के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव. इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर के साथ काम किया. बीबीसी हिंदी के साथ ऑनलाइन पत्रकारिता की. अमर उजाला, नोएडा में कार्यकारी संपादक रहे. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएं भी की हैं. संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं.

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समाज पर बदनुमा दाग है दुष्कर्म

हम अक्सर महिलाओं के प्रति सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हाथरस की घटना ने महिला सुरक्षा को लेकर फिर गंभीर सवाल खड़े किये हैं.

हिंदी को लेकर बेवजह विवाद

भारत अनेक भाषाओं का देश है और हर किसी का अपना महत्व है, पर पूरे देश में एक भाषा का होना बेहद जरूरी है. भारत को एकता की डोर में बांधने का काम हिंदी ही कर सकती है.

जंग का मैदान बनते टीवी स्टूडियो

मामला अदालत में है. जांच चल रही है. ऐसी स्थिति में टीवी के डिबेट में फैसला सुना देना एक सभ्य और मनुष्यता के आग्रह वाले समाज में खतरनाक मानसिकता का द्योतक है.

विरले होते हैं प्रणब दा जैसे नेता

मनमोहन सरकार के वक्त जब भी कोई संकट आया, प्रणब दा तारणहार बने. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनका उतना ही सम्मान करते हैं, जितना कांग्रेस का कोई अन्य बड़ा नेता.

हिंदी भाषियों को हिंदी की परवाह नहीं

हिंदी में अद्भुत माधुर्य है. मुहावरे और लोकोक्तियां उसे और समृद्ध करते हैं. फिर भी हम अंग्रेजी का दुराग्रह पाले हुए हैं.

सोशल मीडिया पर लगाम जरूरी है

यह बात एकदम साफ है कि सोशल मीडिया बेलगाम है, तो दूसरी ओर इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आम जनता तक पहुंचने के लिए यह एक असरदार व वैकल्पिक माध्यम के रूप में भी उभरा है.

सम्मान की हकदार हैं महिलाएं

ऐसे परिवारों की संख्या कम है, जिनमें बेटे और बेटी के बीच भेदभाव न किया जाता हो.

समाज पर बदनुमा दाग है दुष्कर्म

हम अक्सर महिलाओं के प्रति सम्मान की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन हाथरस की घटना ने महिला सुरक्षा को लेकर फिर गंभीर सवाल खड़े किये हैं.

ऑनलाइन गुंडागर्दी पर लगे लगाम

सोशल मीडिया कुत्सित मानसिकता वालों का अड्डा बनता जा रहा है. सोशल मीडिया पर महिलाओं का पीछा करनेवाले, असभ्य भाषा का इस्तेमाल करनेवाले बढ़ते ही जा रहे हैं.
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