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Sunday, April 20, 2025 | 12:04 am

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आर राजागोपालन

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दक्षिण में तीन भिन्न गठबंधन सत्ता में

तमिलनाडु, पुद्दुचेरी और केरल में मतदाताओं ने तीन अलग-अलग गठबंधनों को जनादेश दिया है. चाहे आप पांच राज्यों के परिणामों की जैसे व्याख्या करें, नरेंद्र मोदी 2024 के लिए कद्दावर नेता बने रहेंगे.

तमिलनाडु का राजनीतिक माहौल

स्टालिन ने पलानिस्वामी सरकार को ‘बंधुआ सरकार’ कहा था. दिलचस्प है कि स्टालिन केंद्र के साथ वही रवैया अपना रहे हैं.

20 साल से बिना रुके बिना थके नेतृत्व कर रहे हैं नरेंद्र मोदी

13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री और उसके बाद 7 साल से देश का नेतृत्व कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन का भी आराम नहीं लिया. उनके 71वें जन्मदिन पर पेश है विशेष लेख...

तमिलनाडु में स्वायत्तता की मांग के मायने

क्या केंद्र सरकार द्रमुक के साथ कड़ा रुख अपनायेगी या जुलाई, 2022 के राष्ट्रपति चुनाव तक सामंजस्य बनाने की कोशिश करेगी?

संसद में पक्ष-विपक्ष में संवादहीनता

सदन में गहन राजनीतिक खींचतान दिखेगी, लेकिन मौजूदा नीतिगत और विधायिका संबंधी प्राथमिकताओं से ध्यान नहीं हटना चाहिए.

दक्षिण में प्रसार पर भाजपा का जोर

विपक्ष के पूरी तरह कमजोर होने की मौजूदा स्थिति में भाजपा ने अगले 25 वर्षों के लिए योजना बनायी है. इसी दृष्टिकोण से हैदराबाद की बैठक को देखा जाना चाहिए.

तमिलनाडु की राजनीति में हलचल

जे जयललिता और एम करुणानिधि जैसे बड़े नेताओं के जाने के बाद से तमिलनाडु की राजनीति बड़े बदलावों से गुजर रही है.

दक्षिण में बदलते सियासी हालात

छह दक्षिणी राज्यों- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और पुद्दुचेरी में अलग-अलग पार्टियां सत्ता में हैं. राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव में जिन पार्टियों- कांग्रेस, डीएमके, टीआरएस, सीपीएम ने विजयी उम्मीदवारों का समर्थन नहीं किया, उन्हें बड़ा राजनीतिक झटका लगा है.

तमिलनाडु में हिंदी विरोध की राजनीति

डीएमके नेता तमिलनाडु में पानी-पूरी बेचने वालों को उत्तर भारतीय कहकर परेशान कर सकते हैं, पर राज्य के हर रेस्तरां में बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड या ओडिशा के युवा काम करते मिल जायेंगे.
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