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राहुल और स्मृति के बीच मुकाबले के लिए तैयार अमेठी

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अमेठी : मतदाताओं से भावनात्मक संबंध जोड़ने की कोशिश करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि जिस तरह मेरे पिता (राजीव गांधी) अमेठी के लोगों के कल्याण के लिए समर्पित थे, उसी तरह मेरा भाई (राहुल गांधी) भी प्रतिबद्ध है. कांग्रेस अध्यक्ष एवं मौजूदा सांसद राहुल गांधी लगातार चौथी बार अमेठी से […]

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अमेठी : मतदाताओं से भावनात्मक संबंध जोड़ने की कोशिश करते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा है कि जिस तरह मेरे पिता (राजीव गांधी) अमेठी के लोगों के कल्याण के लिए समर्पित थे, उसी तरह मेरा भाई (राहुल गांधी) भी प्रतिबद्ध है.

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कांग्रेस अध्यक्ष एवं मौजूदा सांसद राहुल गांधी लगातार चौथी बार अमेठी से लोकसभा चुनाव जीतने की कोशिश में हैं. उनका मुख्य मुकाबला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से है. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में राहुल ने स्मृति को हराया जरूर था, लेकिन उनकी जीत का अंतर एक लाख से कुछ ही ज्यादा वोटों का था.

राहुल के लिए प्रियंका की ओर से किया जा रहा चुनाव प्रचार भावुकता पर केंद्रित नजर आया. उन्होंने स्थानीय लोगों का हालचाल जाना, उन्हें परिवार के लोग कहकर संबोधित किया और उन पुराने दिनों को याद किया जब उनके पिता दिवंगत राजीव गांधी अमेठी से सांसद हुआ करते थे.

प्रियंका ने लोगों से कहा, मैं जब 12 साल की थी तो अपने पिताजी के साथ यहां आती थी. मैंने देखा है कि मेरे पिता के यहां आने के बाद इस बंजर जमीन पर हरियाली आ गई. जिस तरह मेरे पिता अमेठी के लोगों के लिए समर्पित थे, उसी तरह मेरा भाई भी समर्पित है. अमेठी लोकसभा सीट के चुनाव के लिए प्रचार शनिवार को खत्म हो रहा है. यहां मतदान छह मई को होगा. यहां कांग्रेस भाजपा पर वोटरों को रिश्वत देने का आरोप लगा रही है जबकि भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने अमेठी के लोगों को हल्के में लिया है.

अपने भाई राहुल के लिए प्रचार करते हुए प्रियंका ने कहा, मैं एक लिफाफे में डालकर लोगों के पास कांग्रेस का घोषणा-पत्र भेज रही हूं और वे (भाजपा) हर आदमी को 20-20 हजार रुपये भेज रहे हैं. वे समझते हैं कि वे आपके वोट को नोट से खरीद सकते हैं. लेकिन यह उनकी गलतफहमी है. मैंने आपसे बहुत कुछ सीखा है.

प्रियंका पूरे अमेठी में घूम-घूमकर लोगों से पूछ रही हैं, स्मृति ईरानी यहां आती हैं और जूते एवं साड़ियां बांटती हैं. उन्हें आपको जूते बांटने की बजाय आपसे वोटों की भीख मांगनी चाहिए. मैं यह भी पूछना चाहती हूं कि यदि भाजपा अमेठी के बारे में इतनी चिंतित है तो उन्होंने राहुल गांधी द्वारा शुरू कराई गई परियोजनाएं क्यों बंद कराई?.

दूसरी तरफ, भाजपा कांग्रेस की वंशवादी राजनीति को अमेठी के लिए अभिशाप बता रही है और स्थानीय लोगों को विकास की बातें कहकर अपनी ओर खींचने की कोशिश में है. स्मृति ने लोगों ने पूछा, हाल में जब अमेठी के 10 गांवों में आग लग गई थी तो गायब रहने वाले सांसद कहां थे? उन्होंने 2014 में जीतने के बाद आपको छोड़ दिया, जबकि मैं हारने के बाद भी आपके साथ खड़ी रही. लोग 15 सालों तक अपने क्षेत्र की अनदेखी करने वाले सांसद को सबक सिखाएंगे.

उन्होंने यह भी कहा कि राहुल का केरल के वायनाड से चुनाव लड़ना भी संकेत देता है कि वह अमेठी से चुनाव हार रहे हैं. अपने चुनाव प्रचार में स्मृति सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण, रसोई गैस कनेक्शन और आवास मुहैया कराये जाने की बातें भी करती हैं. स्मृति ने अमेठी की महिलाओं से वादा किया है कि वह उन्हें 13 रुपये प्रति किलो की दर से चीनी मुहैया कराएंगी.

कांग्रेस और भाजपा के दिग्गज उम्मीदवारों के मुकाबले के बीच कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि अमेठी को गांधी परिवार से अलग नहीं किया जा सकता. हालांकि, कुछ लोग अब नये विकल्प की तलाश की बातें भी करते नजर आये. बिराहिमपुर गांव के सुरिंदर सिंह ने बताया, हम दशकों से मांग कर रहे हैं कि एक मानवरहित रेल क्रॉसिंग पर एक रेल अंडर पुल बना दिया जाए.

पिछले चुनाव में भी हमने बहिष्कार की धमकी दी थी, लेकिन राहुल गांधी ने हमें कहा कि वह हमारी मदद करेंगे. लेकिन कुछ हुआ नहीं. हम छला हुआ महसूस कर रहे हैं. बिराहिमपुर के लोगों ने छह मई को मतदान के बहिष्कार का निर्णय किया है. रायदेपुर के पूर्व ग्राम प्रधान मुमताज खान ने बताया कि भूमिगत पुल के लिए लड़ाई 1987 में शुरू हुई थी और लोगों का इतना मोहभंग हो चुका है कि वे बहिष्कार पर विचार कर रहे हैं.

उमा शंकर पाठक ने बताया, यहां ज्यादा विकास तो नहीं हुआ, लेकिन नेहरू परिवार ने इस जगह को पहचान दी है. भोला नाथ नाम के एक अन्य स्थानीय निवासी ने बताया, गांधी परिवार की विरासत की खातिर, लोगों एक बार फिर राहुल गांधी को वोट दे सकते हैं. हालांकि, कुछ लोग इससे असहमत दिखे और उनका मानना है कि इस बार मुकाबला कांटे का है और कुछ भी हो सकता है.

महेश जायसवाल ने बताया, काफी करीबी मुकाबला है. कुछ नहीं कहा जा सकता. इस बार गांधी परिवार प्रचार में काफी मेहनत कर रहा है और उनकी बेचैनी नजर आ रही है. राहुल के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ओबीसी नेता ताम्रध्वज साहू, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद सहित कई बड़े कांग्रेस नेता प्रचार कर चुके हैं.

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