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भारत में बारिश और बाढ़ में डूब गये 3 लाख करोड़ रुपये, एक लाख से ज्यादा लोगों की गयी जान

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मिथिलेश झा रांची : पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख रहे भारत में तीन ट्रिलियन रुपये सिर्फ बारिश और बाढ़ में बह गये. आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 3290 लाख […]

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मिथिलेश झा

रांची : पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का सपना देख रहे भारत में तीन ट्रिलियन रुपये सिर्फ बारिश और बाढ़ में बह गये. आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर तैयार एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 3290 लाख हेक्टेयर भूमि में से 400 लाख हेक्टेयर बाढ़ प्रभावित क्षेत्र हैं. बाढ़ और बारिश की वजह से भारत में 1,07,487 लोगों की जानें जा चुकी हैं, जबकि उसे 3.5 ट्रिलियन रुपये (साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये से अधिक) का नुकसान हो चुका है. ये आंकड़े वर्ष 1953 से वर्ष 2017 के बीच के हैं.

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सरकारी आंकड़ों पर आधारित इस रिपोर्ट की मानें, तो 64 साल में 60 लाख से ज्यादा मवेशियों की मौत हुई. 2.01 लाख करोड़ रुपये मूल्य की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा, तो 1.09 लाख करोड़ रुपये की फसलें बर्बाद हो गयीं. वहीं, बाढ़ और बारिश के कारण 535 हजार करोड़ रुपये के मकान बर्बाद या क्षतिग्रस्त हो गये. बाढ़ से इतने बड़े पैमाने पर नुकसान झेलने के बावजूद देश में इस आपदा से निबटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये.

आंकड़ों के अध्ययन के आधार पर कहा गया है कि भारत में वर्ष 2019 में जुलाई और अगस्त में ही बाढ़, बारिश और भू-स्खलन में 1,351 लोगों की जान चली गयी. पिछले साल जुलाई से अक्टूबर के दौरान 1,562 लोगों की मॉनसून के दौरान मौत हुई थी. मॉनसून के दौरान इस साल पहाड़ से लेकर मैदान तक तबाही मची. तटीय राज्यों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा. उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश से लेकर मध्यप्रदेश और केरल तक ने भारी बारिश और बाढ़ का प्रकोप झेला.

केरल में वर्ष 2018 में ऐसी बारिश हुई कि इसे सदी में एक बार होने वाली बारिश का दर्जा दिया गया. उसमें 506 लोगों की मृत्यु हो गयी और 10 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए. वर्ष 2019 में भी केरल को बाढ़ से राहत नहीं मिली. हालांकि, इस साल भारी बारिश के बावजूद पिछले साल की तुलना में बहुत कम 174 लोगों की मृत्यु हुई.

वर्ष 2019 में देश भर में बाढ़, बारिश और भू-स्खलन की वजह से 1.26 करोड़ लोगों को रिलीफ कैंप में शरण लेनी पड़ी. 16 लाख छोटे-बड़े मवेशी प्रभावित हुए. सिर्फ अगस्त में 297.8 मिमी बारिश हुई, जो इस महीने की सामान्य बारिश 258.2 मिमी से 15 फीसदी अधिक है. हालांकि, इसी दौरान पूर्वोत्तर के राज्यों के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ भागों, चंडीगढ़ और दिल्ली में आशा के विपरीत बारिश हुई. यानी इन राज्यों में सूखे जैसे हालात रहे.

इधर, झारखंड में अब तक भले 28 फीसदी कम बारिश हुई हो, लेकिन अगस्त में यहां भी सामान्य बारिश हुई है. प्रदेश में इस महीने 297.8 मिमी की तुलना में 261.3 मीमी बारिश हुई. आंकड़ों को देखें, तो जितनी बारिश होनी चाहिए थी, उससे 12 फीसदी कम बारिश हुई है, लेकिन बारिश में 20 फीसदी तक की कमी या बेसी को सामान्य माना जाता है. इसलिए अगस्त में झारखंड में हुई बारिश को सामान्य ही माना जायेगा.

अगस्त के महीने में बारिश के पिछले पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें, तो वर्ष 2016 को छोड़कर कभी भी सामान्य से ज्यादा बारिश नहीं हुई. वर्ष 2016 में 395 मिमी बारिश हुई थी, जो इस महीने होने वाली सामान्य बारिश 315.8 मिमी से 25 फीसदी अधिक थी. वर्ष 2015, 2017 और 2018 में सामान्य से कम बारिश हुई. 2015 और 2017 में 22 फीसदी कम वर्षा हुई, जबकि 2018 में 26 फीसदी. हालांकि, वर्ष 2014 में सामान्य बारिश हुई, जब 315.8 मिमी की जगह यहां 290.9 मिमी बारिश हुई थी.

यदि देश की बात करें, तो सिर्फ 2018 में अगस्त के महीने में सामान्य से कम बारिश हुई. इस साल देश में 235.1 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 21 फीसदी कम रही. वर्ष 2015 में देश भर में 245.5 मिमी (-18) बारिश हुई, जबकि 2016 में 395.6 मिमी (33), वर्ष 2017 में 245.6 मिमी (-18) और वर्ष 2018 में 235.1 मिमी (-21) वर्षा हुई थी.

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