18.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

अयोध्या मामला : मुस्लिम पक्षकार वक्फ बोर्ड के दावे से हैरान, कहा- समझौते का प्रस्ताव स्वीकार नहीं

Advertisement

नयी दिल्ली : सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर मुस्लिम पक्षकारों ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि वे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के तथाकथित समझौते के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे. साथ ही, बोर्ड द्वारा मामला वापस लेने संबंधी खबरों पर उन्होंने हैरानी […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर मुस्लिम पक्षकारों ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि वे राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के तथाकथित समझौते के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे. साथ ही, बोर्ड द्वारा मामला वापस लेने संबंधी खबरों पर उन्होंने हैरानी भी जतायी.

- Advertisement -

उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला की अध्यक्षता वाली मध्यस्थता समिति ने शीर्ष न्यायालय में एक सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट दाखिल कर हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच एक तरह के समझौते का संकेत दिया है, जिसमें वक्फ बोर्ड कुछ खास शर्तें पूरी होने पर 2.2 एकड़ विवादित स्थल पर अपना दावा छोड़ने के लिए राजी हो गया है. इस तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति के दो अन्य सदस्यों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थ्ता विशेषज्ञ वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू भी शामिल थे. मुख्य मुस्लिम वादियों एम सिद्दीकी और मिसबाहुद्दीन के कानूनी प्रतिनिधियों के वकील ऐजाज मकबूल तथा मुस्लिम पक्षकारों के चार अन्य अधिवक्ताओं ने एक बयान में कहा, हम सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील शाहिद रिजवी के हवाले से मीडिया में आ रही इन खबरों से हैरान हैं कि उत्तर प्रदेश सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड बाबरी मस्जिद स्थल पर अपना दावा वापस लेने का इच्छुक है.

वकीलों ने कहा कि मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट मीडिया में लीक की गयी और वे प्रक्रिया में अपनायी गयी कार्यप्रणाली को तथा मुकदमा वापस लेने के लिए सुझाये गये समझौता फार्मूला को स्वीकार नहीं करते हैं. बयान में कहा गया है, इस तरह, हम यह पूरी तरह से स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय में हम वादी हैं और हम प्रेस को लीक किये गये प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते हैं, ना ही मध्यस्थता के लिए अपनायी गयी कार्यप्रणाली को स्वीकार करते हैं. इसमें कहा गया है, लगभग सभी मीडिया संस्थानों और अखबारों ने यह प्रसारित एवं प्रकाशित किया कि उप्र सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड कुछ शर्तों पर अपना दावा छोड़ने के लिए राजी हो गया है. यह खबर या तो मध्यस्थता समिति ने या निर्वाणी अखाड़ा ने लीक की जो मस्जिद या अन्य पर अधिकार का दावा करता है.

इसमें यह भी कहा गया है कि न्यायालय ने इस तरह की कार्यवाही को गोपनीय रखने का निर्देश दिया था. बयान में कहा गया है कि यह स्वीकार करना मुश्किल है कि कोई मध्यस्थता हो सकती है. खासतौर पर तब, जब मुख्य हिंदू पक्षकार (राम लला) ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वे किसी समझौते के लिए तैयार नहीं हैं और एक न्यायिक निर्णय चाहते हैं. उल्लेखनीय है कि प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले पर 40 दिन सुनवाई करने के बाद 16 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. ऐसा बताया जाता है कि इसी दिन मध्यस्थता समिति की रिपोर्ट भी न्यायालय को सौंपी गयी थी.

सूत्रों ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्वाणी अखाड़ा, निर्मोही अखाड़ा, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति और कुछ अन्य हिंदू पक्षकार भूमि विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने के पक्ष में हैं. सूत्रों के अनुसार, पक्षकारों ने धार्मिक स्थल कानून, 1991 के प्रावधानों के तहत ही समझौते का आग्रह किया था. इस कानून में प्रावधान है कि किसी अन्य मस्जिद या दूसरे धार्मिक स्थलों , जिनका निर्माण मंदिरों को गिराकर किया गया है और जो 1947 से अस्तित्व में है, को लेकर कोई विवाद अदालत में नहीं लाया जायेगा. हालांकि, राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया था.

सूत्रों ने बताया कि मुस्लिम पक्षकारों ने सुझाव दिया कि विवाद का केंद्र भूमि सरकार को अधिग्रहण में सौंप दी जायेगी और वक्फ बोर्ड सरकार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन चुनिंदा मस्जिदों की सूची पेश करेगा जिन्हें नमाज के लिए उपलब्ध कराया जा सकता है. शीर्ष अदालत में इस प्रकरण में पेश होने वाले एक वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि चूंकि अब सुनवाई पूरी हो गयी है, इसलिए मीडिया को लीक की गयी इस रिपोर्ट का कोई महत्व नहीं है. हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों के कुछ वकीलों ने कहा कि मध्यस्थता समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बारे में शीर्ष अदालत ने उन्हें सूचित भी नहीं किया है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें