15.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 08:44 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

नववर्ष 2020 : जानें ज्योतिष में क्यों इतने महत्वपूर्ण हैं शनि

Advertisement

-सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी – भारतीय ज्योतिष में सौरमंडल के नौ ग्रहों का प्रभाव सृष्टि पर पाया गया है, जिसमें से राहू और केतु छाया ग्रह हैं. छाया ग्रह से तात्पर्य गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) और ब्रह्मांडीय आकर्षण (Levitation) अर्थात उत्तोलन से है. विज्ञान बचे सात ग्रहों में से सिर्फ़ पांच को ही ग्रह मानता है. वह […]

Audio Book

ऑडियो सुनें

-सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी –
भारतीय ज्योतिष में सौरमंडल के नौ ग्रहों का प्रभाव सृष्टि पर पाया गया है, जिसमें से राहू और केतु छाया ग्रह हैं. छाया ग्रह से तात्पर्य गुरुत्वाकर्षण (Gravitation) और ब्रह्मांडीय आकर्षण (Levitation) अर्थात उत्तोलन से है. विज्ञान बचे सात ग्रहों में से सिर्फ़ पांच को ही ग्रह मानता है. वह सूर्य को तारा और चंद्रमा को धरती का उपग्रह कहता है.
ज्योतिष में इन नौ ग्रहों की रेडियो एक्टिविटी के सृष्टि पर प्रभाव का अध्ययन होता है. सबसे कमाल की बात है कि ज्योतिष के इन नौ ग्रहों में से अकेले शनि का असर सृष्टि के 40 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों पर पर सीधा और हमेशा रहता है, क्योंकि उनकी रेडियो सक्रियता सबसे अधिक है और सूर्य के एक चक्कर में शनि को सर्वाधिक समय लगता है. इसलिए शनि ज्योतिष के अतिमहत्वपूर्ण ग्रहों शुमार होते हैं.
वैज्ञानिक तथ्य
शनि ग्रह सूर्य से छठा ग्रह है. वृहस्पति के बाद यह सौरमंडल में सबसे विशाल है, जो धरती से नौ गुना बड़ा है. यह सूरज से सर्वाधिक दूरी पर यानी 88 करोड, 61 लाख मील और पृथ्वी से 71 करोड, 31 लाख, 43 हजार मील दूर है. शनि का व्यास 75 हजार 100 मील है. शनि छह मील प्रति सेकेंड की गति से 21.5 सालों में सूर्य की परिक्रमा पूरी करता है.
शनि पर सामान्य तापमान 240 फॉरेनहाइट है. इसके चारों ओर सात वलय हैं और बिना चांदनी के कई चंद्रमा हैं. यानी कवियों के भीतर का काव्य ही छू मंतर हो जाये. उसके हर चांद का व्यास पृथ्वी से काफी अधिक है. शनि लोहा, निकल, सिलिकॉन और ऑक्सीजन से निर्मित है, जो ठोस हाइड्रोजन की एक मोटी परत से घिरा है. अमोनिया क्रिस्टल की वजह से इसका रंग पीलापन लिये हुए है.
इस पर हवा की गति 1800 किमी प्रति घंटा तक होती है. शनि के चारों ओर नौ छल्ले की वलय प्रणाली है, जो उसे दिलकश बनाती है. ये छल्ले चट्टानी मलवों व बर्फ से निर्मित हैं. 62 चंद्रमा शनि के चारों ओर महबूब की तरह चक्कर लगाते हैं. इनमें छल्लों के भीतर के सैकड़ों छुटकू चंदामामा भी हैं, जो बस दूर से आहें भर रहे हैं, शामिल नहीं हैं. शनि का सबसे बड़ा चांद टाइटन है, जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है. यह बुध से भी विशाल है.
धार्मिक मान्यताओं में शनि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनि सूर्य और छाया के पुत्र हैं. जो वैचारिक रूप से अपने पिता के धुरविरोधी हैं. लेकिन उनके विरोध में घृणा नहीं, श्रद्धा है. वैमनस्य नहीं, अपितु प्रेम है. उनके भाई-बहनों में एक हैं भइया यम, जो मृत्यु के स्वामी हैं.
एक बहन यमुना हैं, जो पापनाशिनी है और दूसरी बहन हैं भद्रा, जो कालगणना यानी पंचांग के एक प्रमुख अंग में विष्टिकरण के रूप में में शुमार हैं. शनि के गुरु शिव हैं. बुध, राहु, शुक्र, भैरव व हनुमान उनके परम मित्रों की टोली में शामिल हैं और पिता सूर्य के साथ चंद्र, मंगल महाविरोधी, वृहस्पति सम है.
शनि के नाम : शनि को सूर्य-पुत्र, शनिश्चर, शनैश्चर, पिप्पलाश्रय, कृष्ण, कोणस्थ, बभ्रु, पिंगल, मंदगामी, रोद्रांतक, मंद, सौरि और छायापुत्र नामों से भी जाना जाता है.
शनि के नक्षत्र और राशियां : पुष्य, अनुराधा और उत्तराभाद्रपद इन तीन नक्षत्रों के स्वामी शनि देव हैं. मकर व कुंभ राशि के भी यही मालिक हैं. शनि महाराज तुला राशि में 20 डिग्री पर शनि उच्च के हैं और मेष राशि में 20 अंश पर नीच के.
शनि शांति के उपाय
शनि न्यायधीश हैं. लिहाजा नकारात्मक कर्मों पर काबू पाना शनि के कुप्रभाव से बचने की पहली शर्त है. नेत्रहीनों की सेवा, वृद्धों, दिव्यांगों व असहायों की मदद शनि के नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए बेहद मुफीद माना गया है. शनि का दान, शनिवार व्रत, महामृत्युंजय मंत्रों का उपांशु (फुसफुसा कर) जप, हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का सस्वर पाठ शनि जनित कष्टों से जूझने में आत्मिक बल प्रदान करता है.
शनि जनित रोग
शनि को डायबिटिज, वात रोग यानी वायु विकार, भगंदर, गठिया, टीबी, कैंसर, त्वचा रोग, यौन समस्या, हड्डियों और दंत रोगों का कारक माना जाता है.
शनि का दान
तेल से बने खाद्य पदार्थ, खट्टे पदार्थ, तेल, गुड़, काला कपड़ा, तिल, उड़द, लोहे, चर्म और काले रंग की वस्तुएं शनि के दान के लिए मुफ़ीद मानी जाती हैं.
शनि और करियर
अध्यात्म, ज्योतिष, योग, राजनीति और कानून विषयों पर शनि का सीधा प्रभाव होता है. तृतीय, षष्ठ, नवम, दशम या एकादश भाव में शनि हो तो उपरोक्त क्षेत्र में अपार सफलता मिलती है.
रोग में उपाय
शनि फेफड़ों, त्वचा, जोड़ों और मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं, इसलिए शनि की साढ़ेसाती और अढ़ैया में धूम्रपान, तंबाकू आदि नशा समस्या को बढ़ाता है. मान्यताओं के अनुसार, शनि जनित कष्ट में हनुमान चालीसा व सुंदरकांड का सस्वर पाठ फेफड़ों को बल प्रदान करता है. इसके अलावा वे तमाम उपाय करने चाहिए, जिनसे फेफड़ों, हड्डियों और मांसपेशियों को लाभ पहुंचे, यथा- प्राणायाम, योगासन, कसरत, दौड़ इत्यादि. दूध और नीम के पत्तों का सेवन भी लाभदायक है.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें