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Delhi CM Arvind Kejriwal Oath Ceremony: केजरीवाल के शपथ ग्रहण समारोह से गायब रहे ये खास लोग

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Delhi CM Arvind Kejriwal Oath Ceremony: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्होंने रामलीला मैदान में समर्थकों के बीच शपथ ग्रहण किया. यदि आपको याद हो तो यही वह जगह है जहां से केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ नायक बनकर उभरे थे. […]

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Delhi CM Arvind Kejriwal Oath Ceremony: आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने रविवार को लगातार तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उन्होंने रामलीला मैदान में समर्थकों के बीच शपथ ग्रहण किया. यदि आपको याद हो तो यही वह जगह है जहां से केजरीवाल भ्रष्टाचार के खिलाफ नायक बनकर उभरे थे. शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में विशेष अतिथि और हजारों समर्थक नजर आये, लेकिन 2013 और 2015 के मुकाबले कई चेहरे ऐसे भी थे जो गायब रहे. आइए उन चेहरों पर एक नजर डालते हैं और बताते हैं इसके पीछे की वजह…

कुमार विश्वास: कोई दीवाना कहता है कोई पागल… जी हां, बात हो रही है हिंदी के प्रख्यात कवि कुमार विश्वास की जो शुरुआत से ही अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के करीबी रहे. समाजसेवी अन्ना हजारे ने जब दिल्ली में आकर भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया उस वक्त उसके अगुवा लोगों में कुमार विश्वास भी रहे थे. पुरानी बातों को याद करें तो 2015 में सरकार बनने के बाद से ही कई मुद्दों को लेकर कुमार विश्‍वास और केजरीवाल के बीच तलवार खिंचनी शुरू हो गयी थी. मनमुटाव बढ़ने पर कुमार ने आम आदमी पार्टी से दूरी बना ली.
योगेंद्र यादव : किसानों के मददगार और किसान नेता…जी हां, अब बात हो रही है योगेंद्र यादव की. अन्ना आंदोलन की सफलता और आम आदमी पार्टी की स्थापना में योगेंद्र यादव का महत्वपूर्ण योगदान रहा. 2015 के विधानसभा चुनाव तक योगेंद्र ने पार्टी में मुख्य रणनीतिकार की भूमिका अदा की. कहा तो ये भी जाता है कि योगेंद्र की सलाह पर ही 2013 में केजरीवाल ने 49 दिन बाद कांग्रेस का समर्थन लौटा दिया जिससे सरकार गिर गयी. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी देशभर में उतरी जिससे पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. कहा जाता है कि लोकसभा चुनाव लड़ने की सलाह योगेंद्र यादव ने ही दी थी जिससे बाद में केजरीवाल नाराज हो गये. इसी के बाद केजरीवाल और योगेंद्र के बीच दूरियां बढ़ने. 2014 में ही हरियाणा विधानसभा चुनाव में आप की करारी हार हुई जिससे पार्टी में योगेंद्र की अहमियत कम होने लगी. 2015 में सरकार बनी और केजरीवाल ने योगेंद्र की सलाह से किनारा करना शुरू किया. आखिरकार योगेंद्र यादव को आप को बाय-बाय करना पड़ा.
शांति भूषण : शांति भूषण का नाम यदि आपके जेहन में हो तो आपको याद होगा कि वे अन्ना आंदोलन और आम आदमी पार्टी (आप) की स्थापना के थिंकटैंक के रूप में याद किये जाते हैं. 2015 में आप की सरकार बनी जिसके बाद शांति ने मुख्‍यमंत्री केजरीवाल पर हमला किया और आरोप लगाया कि उनके द्वारा जो लोकपाल तैयार किया है वह काफी कमजोर है. इसके बाद आप के नेता हमलावर गये और उनपर भाजपा के साथ सांठ-गांठ का अरोप लगाया. अंत में अप्रैल 2015 में इस नेता को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.
प्रशांत भूषण: शांति भूषण के बेटे प्रशांत भूषण अरविंद केजरीवाल के करीबियों में से एक थे. शुरू के दिनों में अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के खिलाफ जितने भी मुकदमे हुए उनमें से कई मुकदमों की पैरवी वे करते नजर आये. आंदोलन के वक्त की बात करें तो उस समय नोएडा स्थित उनके आवास पर ही रणनीति तैयार की जाती थी. 2015 में दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनी तो इन्होंने अपने पिता की तरह ही लोकपाल के मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू किया जो पार्टी को रास नहीं आया. पार्टी ने इन्हें भी बाहर का रास्ता दिखाया.
आशुतोष : आम आदमी पार्टी में एक पत्रकार भी हुआ करते थे. जी हां , आपने सही पहचाना… पत्रकार से नेता बने आशुतोष की हम बात कर रहे हैं. वे आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरों में से एक रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने इन्हें दिल्ली से चुनावी मैदान में उतारा लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. 2015 में सरकार बनने के बाद इन्हें पार्टी या सरकार में कोई खास पद नहीं दिया गया, जिसके बाद अगस्त 2018 में इन्होंने अलग रास्ता चुन लिया. आशुतोष पार्टी का ऐसा चेहरा हुआ करते थे जो लगभग हर मौकों पर पार्टी और सीएम केजरीवाल के घिर जाने पर मीडिया के सामने आते थे और उनका बचाव करते थे.

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