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SBI ने सेविंग्स अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस रखने की बाध्यता की खत्म, सबको मिलेगी जीरो बैलेंस की सुविधा

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भारत के सबसे बड़े बैंक SBI ने बुधवार को अपने ग्राहकों को बड़ी राहत देते हुए सभी बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की बाध्यता को समाप्त करने का ऐलान किया है. उसने कहा है कि अब सभी ग्राहकों को जीरो बैलेंस की सुविधा दी जायेगी.

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नयी दिल्ली : एसबीआई के ग्राहकों के लिए एक बड़ी ही राहत भरी खबर है और वह यह कि अब देश के सबसे बड़े बैंक के ग्राहकों को अपने बचत खाताओं में न्यूनतम राशि यानी मिनिमम बैलेंस रखने की बाध्यता से छूट मिल गयी है. अब सभी को अपने खातों में जीरो बैलेंस रखने की सुविधा उपलब्ध होगी. भारतीय स्टेट बैंक ने अपने 44.51 करोड़ बचत खाताधारकों के लिए खाते में औसत मासिक न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता बुधवार को समाप्त करने की घोषणा की. इससे अब बैंक के सभी बचत खाताधारकों को ‘जीरो बैलेंस’ खाते की सुविधा मिलने लगेगी.

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इसके अलावा, बैंक ने सभी बचत खातों पर ब्याज दर समान रूप से तीन फीसदी वार्षिक कर दिया है. साथ ही, मियादी जमाओं तथा कोष की सीमांत लागत आधारित ब्याज दरों (एमसीएलआर) में कटौती की भी घोषणा की है. देश के सबसे बड़े बैंक के ब्याज दरों में कटौती की घोषणा से अन्य बैंकों के भी ऐसा करने की उम्मीद बढ़ गयी है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंक के न्यूनतम राशि की अनिवार्यता खत्म करने के फैसले की सराहना की है. सीतारमण ने ट्वीट किया कि एसबीआई का खाते में न्यूनतम राशि रखने की अनिवार्यता समाप्त करने के निर्णय से गरीब और मध्यम वर्ग को बहुत मदद मिलेगी. यह फैसला उनके जीवन को और आसान बनाएगा.

एसबीआई ने एक बयान में कहा कि ‘ग्राहकों के हित सर्वोपरि’ की अवधारणा पर चलते हुए और देश में वित्तीय समावेशन आगे बढ़ाने के लिए उसने औसत मासिक न्यूनतम राशि (एएमबी) रखने की अनिवार्यता खत्म की है. साथ ही, त्रैमासिक आधार पर एसएमएस सेवा के लिए वसूले जाने वाले शुल्क को भी खत्म कर दिया गया है. एएमबी समाप्त किए जाने से बैंक के इन खाताधारकों को ‘जीरो बैलेंस’ (यानी कोई न्यूनतम राशि नहीं रखने) की सुविधा उपलब्ध होगी.

इसके अलावा, बैंक ने बचत खातों पर वार्षिक ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाते हुए सभी श्रेणियों के लिए समान रूप से तीन फीसदी कर दिया है. वर्तमान में एक लाख रुपये तक की जमा पर बचत खाताधारकों को 3.25 फीसदी वार्षिक और एक लाख रुपये से अधिक की जमा पर तीन फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज मिलता है.

एसबीआई के बचत खाताधारकों को मेट्रो शहरों में अभी एएमबी के रूप में 3,000 रुपये, कस्बों में 2,000 रुपये और ग्रामीण इलाकों में 1,000 रुपये खाते में रखने होते हैं. एएमबी की शर्तें पूरी नहीं करने पर उन्हें पांच से 15 रुपये तक जुर्माने और करों का भुगतान करना होता है. खाते में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान एसबीआई ने अप्रैल 2017 में शुरू किया था. बाद में, अक्टूबर 2017 में जुर्माने की राशि को कम कर दिया था.

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों अनुसार, यह व्यवस्था शुरू करने के बाद वित्त वर्ष 2017-18 की अप्रैल-नवंबर अवधि में एसबीआई ने इस जुर्माने से 1,771.67 करोड़ रुपये की आय की थी. निजी क्षेत्र के विभिन्न बैंकों के बचत खातों में 10,000 रुपये तक की न्यूनतम राशि रखने का नियम है. इस बारे में वस्त्र, महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट किया कि एसबीआई के न्यूनतम राशि की अनिवार्यता खत्म करने के निर्णय से खाताधारकों के लिए विशेष तौर पर गरीबों के लिए समावेशी बैंकिंग के अवसर बढ़ेंगे.

उन्होंने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसके अलावा, बैंक ने बचत खातों पर वार्षिक ब्याज दरों को तर्कसंगत बनाते हुए सभी श्रेणियों के लिए समान रूप से तीन फीसदी कर दिया है. फिलहाल, एक लाख रुपये तक की जमा पर बचत खाताधारकों को 3.25 फीसदी वार्षिक और एक लाख रुपये से अधिक की जमा पर तीन फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज मिलता है.

आईसीआईसीआई बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उसके बचत बैंक खाते में दिन की समाप्ति पर बची राशि पर 50 लाख रुपये से नीचे जमा तक साढ़े तीन फीसदी जबकि 50 लाख रुपये या उससे अधिक की जमा पर चार फीसदी वार्षिक की दर से ब्याज देय होता है.

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