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बार काउंसिल ने राज्य के 7946 वकीलों के काम पर लगायी रोक

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झारखंड में बड़ी संख्या में अधिवक्ता अपनी लॉ डिग्री का सत्यापन कराये बिना वकालत के पेशे में हैं. वैसे अधिवक्ताओं ने सत्यापन के लिए अब तक आवेदन ही नहीं दिया है.

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रांची : झारखंड में बड़ी संख्या में अधिवक्ता अपनी लॉ डिग्री का सत्यापन कराये बिना वकालत के पेशे में हैं. वैसे अधिवक्ताओं ने सत्यापन के लिए अब तक आवेदन ही नहीं दिया है. इसमें 7946 वकीलों के नाम शामिल हैं. झारखंड स्टेट बार काउंसिल ने इन अधिवक्ताओं को लिस्ट ऑफ नॉन प्रैक्टिशनर में डाल दिया है. काउंसिल ने वर्ष 2019 में सभी जिला व अनुमंडल बार एसोसिएशनों को लिस्ट ऑफ नॉन प्रैक्टिशनर भेजते हुए सख्ती से इसका अनुपालन कराने का निर्देश दिया है. काउंसिल ने कहा है कि नॉन प्रैक्टिशनर लिस्ट में शामिल अधिवक्ताअों को कोर्ट या किसी ट्रिब्यूनल में पैरवी करने का अधिकार नहीं है. अधिवक्ताअों के नाम काउंसिल की वोटर लिस्ट से हटा दिये गये हैं. इन्हें काउंसिल की कल्याणकारी योजनाअों का भी लाभ नहीं मिलेगा. नाॅन प्रैक्टिशनर लिस्ट में शामिल अधिवक्ताओं को अविलंब सत्यापन के लिए आवेदन देने को कहा गया है.

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2010 या उसके बाद के अधिवक्ताओं को सत्यापन की जरूरत नहीं : बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एंड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरिफिकेशन) रूल-2015 के अनुसार झारखंड में वर्ष 2015 से अधिवक्ताओं के सत्यापन का काम चल रहा है. 12 मार्च तक राज्य में कुल 29189 अधिवक्ता थे. इसमें से 16294 अधिवक्ताओं ने सत्यापन के लिए आवेदन दिया. 10237 अधिवक्ताओं के शैक्षणिक प्रमाण पत्र विश्वविद्यालयों से सत्यापन होकर काउंसिल को प्राप्त हो गये हैं. आवेदन करनेवाले शेष अधिवक्ताओं का मामला विभिन्न विश्वविद्यालयों में लंबित है. वहीं, वर्ष 2010 या उसके बाद के 4791 अधिवक्ताओं को सत्यापन कराने की कोई जरूरत नहीं है. बार काउंसिल वेरिफिकेशन रूल-2015 के अनुसार वर्ष 2010 या उसके बाद वकालत का लाइसेंस लेनेवाले को सत्यापन नहीं कराना है. सत्यापन वैसे अधिवक्ताओं को कराना है, जिन्हें 1976 या उसके बाद लाइसेंस मिला हो.

झारखंड में 16332 लाइसेंस दिये गये : झारखंड राज्य के गठन से लेकर अब तक 16332 अधिवक्ताओं को लाइसेंस दिया गया है. बिहार स्टेट बार काउंसिल से 12857 अधिवक्ताअों को झारखंड बार काउंसिल को भेजा गया. 29189 अधिवक्ता राज्य में हैं. झारखंड स्टेट बार काउंसिल के गठन के पूर्व झारखंड हाइकोर्ट की अोर से अधिवक्ता लाइसेंस जारी किया गया था. वर्ष 2001 से लेकर 24 मार्च 2006 तक हाइकोर्ट ने 4958 अधिवक्ताओं को लाइसेंस दिया, जबकि बार काउंसिल ने अपने गठन के बाद 22 सितंबर 2006 से लाइसेंस देना शुरू किया. अब तक काउंसिल ने 11374 लाइसेंस निर्गत किये हैं.

2000 रुपये विलंब दंड के साथ दे सकते हैं आवेदन : झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सचिव राजेश पांडेय ने बताया कि लिस्ट अॉफ नॉन प्रैक्टिशनर में शामिल अधिवक्ताओं के पास अब भी सत्यापन कराने का अवसर है. सत्यापन कराना एक सतत प्रक्रिया है. अब तक आवेदन नहीं देनेवाले अधिवक्ता 2000 रुपये विलंब शुल्क के साथ बार काउंसिल कार्यालय में सत्यापन के लिए आवेदन दे सकते हैं. आवेदन मिलने के बाद काउंसिल सत्यापन व प्रैक्टिस के मामले में अग्रतर कार्रवाई करेगा.

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