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कार्यपालिका के पक्ष में फैसले देने पर आपको दिया जाएगा इनाम: पूर्व जस्टिस एपी शाह

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पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के राज्यसभा के लिए नामित होने पर दिल्ली हाईकोर्ट ने के पूर्व जस्टिस एपी शाह ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

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पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यपाल ने जैसे ही राज्यसभा के लिए नामित किया, उनके ऊपर सवाल खड़े होने शुरू हो गए. सबसे पहले तो विपक्ष ने इस मुद्दे पर सवाल उठाया तो अब न्यायधीशों ने भी इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देना शुरू कर दिया है

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दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस एपी शाह का कहना है कि

पूर्व चीफ जस्टिस को राज्यसभा के लिए नामित करना काफी हैरान करने वाला है.

एनडीटीवी से बातचीत करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश एपी शाह ने कहा कि इस फैसले से यह संदेश जाता है कि अगर आप कार्य पालिका के पक्ष में अपना फैसला देते हैं तो आपको इनाम दिया जाएगा लेकिन अगर आप उनके पक्ष में फैसला नहीं देते हैं तो आपको उनके तरफ से प्रतिकूल व्यवहार देखने को नहीं मिलेगा.

यह मामला क्विड प्रो क्वो (किसी के पक्ष में काम करने के बदले में मिलने वाला इनाम) जैसा लगता है. जस्टिस शाह ने आगे कहा कि सत्ता के खिलाफ फैसला सुनाने से आपको पदस्थापन या फिर आपके बारे में पदोन्नति के लिए आपके नाम पर कोई जिक्र न हो.

जब उनसे कांग्रेस की सरकार में हुए रंगानाथ मिश्रा के राज्यसभा भेजे जाने के मामले में जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि रणनीति तो समान है लेकिन समय और परिस्थितियों में अंतर है.

पिछले पाँच साल के दौरान न्यायपालिका के क्षेत्र में रंजन गोगोई का नेतृत्व सवालों के घेरे में रहा, इनसे पहले दीपक मिश्रा चीफ जस्टिस थे उनका भी कार्यकाल काफी विवादों से भरा हुआ था. जस्टिस शाह ने कहा कि हमें आज चिंतन करना चाहिए कि हमारा न्यायपालिका किस दिशा में आगे बढ़ रहा है.

आपको बता दें कि रंजन गोगोई ने राम मंदिर जैसे ऐतिहासिक फैसले सुनाए थे.

गौरतलब है कि कल से ही पूर्व CJI को राज्यसभा में नामित किए जाने पर विपक्षी पार्टियां विरोध प्रदर्शन कर रही है.

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि न्यायपालिका, सरकार और प्रशासन के खिलाफ देश की जनता का आखरी हथियार है. आज पूरे देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल उठ रहा है.

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