25.1 C
Ranchi
Sunday, February 23, 2025 | 08:08 pm
25.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

वासंतिक नवरात्र का तीसरा दिन- मां चंद्रघण्टा की पूजा, दुःखों का नाश कर सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाता है माता का यह रूप

Advertisement

तीसरे दिन देवी की पूजा चंद्रघंटा के नाम से होती है. नैवेद्य में केला, दूध और शुद्ध घी मिश्रित चने चढ़ाये जाते हैं. इससे दुःखों का नाश कर देवी सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपार्भटीयुता ।

सादं तनुतां महां चण्डखण्डेति विश्रुता ।।

जो पक्षिप्रवर गरूड़ पर आरूढ़ होती हैं, उग्र कोप और रौद्रता से युक्त रहती हैं और चंद्रघंटा नाम से विख्यात हैं , वे दुर्गा देवी मेरे लिए कृपा का विस्तार करें.

देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद-3

तीसरे दिन देवी की पूजा चंद्रघंटा के नाम से होती है. नैवेद्य में केला, दूध और शुद्ध घी मिश्रित चने चढ़ाये जाते हैं. इससे दुःखों का नाश कर देवी सांसारिक कष्टों से मुक्ति दिलाती हैं. देवी ने कहा-मैं ही सब देवताओं के रूप में विभिन्न नामों से स्थित हूं और उनकी शक्ति रूप से पराक्रम करती रहती हूं. जल में शीतलता,अग्नि में उष्णता,सूर्य में ज्योति और चंद्रमा में ठंठक में ही हूं.

अहं ब्रह्मस्वरूपिणी। मत्तः प्रकृतिपुरूषात्मकं जगत। शून्यं चाशून्यं च—इस वचनके अनुसार भगवती को निखिल विश्वोत्पादक ब्रह्म ही स्वीकार किया गया है. दूसरी बात यह है कि दार्शनिक दृष्टि से प्रणव का जो अर्थ है यही ह्लीं का अर्थ है. स्थूल विश्व प्रपंच के अभिमानी चैतन्य को वैश्वानर कहते हैं, अर्थात् समस्त प्राणियों के स्थूल विषयों का जो उपभोग करता है.

इसी जागरित स्थान वैश्वानर को प्रणव की प्रथम मात्रा अकार समझना चाहिए. अर्थात समस्त वाड्मय, चार वेद, अठारह पुराण,सत्ताईस स्मृति,छः दर्शन आदि प्रणव की एकमात्रा अकार का अर्थ है.-अकारो वै सर्वा वाक् (श्रुति) अर्थात समस्त वाणी अकार ही है.स्वप्नप्रपंच का अभिमानी चैतन्य तेजस कहलाता है अर्थात वासना मात्रा का स्वप्न में उपभोग करता है. यह तैजस ही प्रणव की द्वितीय मात्रा उकार है. अर्थात् अकार-मात्रा की अपेक्षा उकार-मात्रा श्रेष्ठ है.

सुषुप्ति-प्रपंच के अभिमानी चैतन्य को प्राज्ञ कहते हैं अर्थात वह सौषुप्तिक सुख के आनंद का अनुभव करता है. यही प्राज्ञ प्रणव की तीसरी मात्रा मकार है. जो अदृश्य-अव्यत्रहार्य-अग्राह्य-अलक्षण-अचिन्त्य तत्व इन मात्राओं से परे है अर्थात अद्वैत शिव ही प्रणव है. वही आत्मा है. अब ह्लीं कार का विचार करें. जो शास्त्र में प्रणव की व्याख्या है, वही ह्लींकार की व्याख्या है. ह्लींकार में जो हकार है वही स्थूल देह है,रकार सूक्ष्मदेह और ईकार कारण-शरीर है़ हकार ही विश्व है,रकार तैजस,और ईकार ही प्राज्ञ है.

डॉ एनके बेरा

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें