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Chaitra Navratra 2020 : दुर्गा अष्टमी कल,जानें देवी महापुराण में क्या बताया गया है कन्या पूजन का महत्व

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1 अप्रैल यानि कल बुधवार को चैत्र नवरात्र की chaitra navratra 2020 अष्टमी durga astami 2020 है ,इसके अगले दिन 2 अप्रैल गुरुवार को नवमी की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र का समापन हो जाएगा.माता के भक्त अष्टमी को कन्या पूजन और नवमी को विसर्जन की विध पूरा करते है. चैत्र नवरात्र 2020 का समापन 2 अप्रैल गुरुवार को होगा यह पूरा दिन शुभ है जिसमें मां को विदा करने और कन्या पूजा करके नवरात्रि का समापन किया जाना हैं.

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1 अप्रैल यानि कल बुधवार को चैत्र नवरात्र की chaitra navratra 2020 अष्टमी durga astami 2020 है ,इसके अगले दिन 2 अप्रैल गुरुवार को नवमी की पूजा के साथ चैत्र नवरात्र का समापन हो जाएगा.माता के भक्त अष्टमी को कन्या पूजन और नवमी को विसर्जन की विध पूरा करते है. चैत्र नवरात्र 2020 का समापन 2 अप्रैल गुरुवार को होगा यह पूरा दिन शुभ है जिसमें मां को विदा करने और कन्या पूजा करके नवरात्रि का समापन किया जाना हैं.

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अगर किसी कारणवश भक्त अष्टमी या नवमी तिथि को साख प्रवाहित एवं कन्या पूजन नहीं कर पाय तो चतुर्दशी तिथि को साख प्रवाहित एवं कन्या पूजन कर सकते हैं. नवरात्र के नौ दिनों की सारी पूजा सामग्री जो उपयोग में लाई गई होती है और जिसे विसर्जित किया किया जाता है जैसे- कलश, परात में बोये ज्वार के अंश , मिट्टी तथा अन्य सभी चीजों को किसी तालाब या नदी में बहा देना चाहिए. हालांकि इस साल कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण देश भर में लॉकडाउन है इसलिए घरो के बाहर न निकलकर अपने आस-पास ही एक गड्ढा करके उसे पानी से भरकर उसमें कुछ बुंद गंगाजल डाल दें और उसमें ही विसर्जन कर सकते हैं.

हिंदु धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याओं को साक्षात देवी का स्वरूप माना जाता है. कन्या पूजा के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान को संपन्न माना जाता है. इस दिन देवी दुर्गा के भक्त कन्या पूजन भी करते हैं मान्यता के अनुसार कुछ परिवारों में कन्या पूजन अष्टमी के दिन होता है तो कुछ में नवमी के दिन कन्या पूजन होता है.

श्रीमद देवी भागवत महापुराण के तृतीय स्कंध के अनुसार,

दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है

तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहा जाता है.

चार साल की कन्या को कल्याणी कहलाती है.

पांच साल की कन्या रोहिणी कहलाती है.

छ: साल की कन्या कालिका कहलाती है.

सात साल की कन्या को चण्डिका कहा जाता है.

आठ साल की कन्या को शांभवी कहा जाता है.

नौ साल की कन्या को दुर्गा का स्वरूप माना जाता है.

वहीं दस साल की कन्या को सुभद्रा के नाम से पूजते है.

ऐसे करें कन्या पूजन :

*सभी कन्याओं के पैर साफ पानी से धोएं

*उन्हे तिलक लगाएं और फिर मौली बांधे

*व्रती आज अपने घर में खीर, पूड़ी, हल्वा और काले चने जरुर बनाएं

*कन्याओं को यह भोजन खिलाएं.

*व्रती सभी कन्याओं से आशीर्वाद ले.

*इन्हें भेंट स्वरूप कुछ दक्षिणा दें.

*व्रती कन्या पूजन के बाद ही कुछ ग्रहण करे.

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