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‘लॉकडाउन’ में बिहार लौटे प्रवासी श्रमिकों से उत्पन्न स्थिति से निपटने में सरकार सफल : सुशील मोदी

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बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य लोगों के अचानक आने से प्रबंधन संबंधी गंभीर समस्या खड़ी हो गयी थी. लेकिन, पंचायत स्तर तक जागरूकता, अलग रखने की सुविधा सहित अन्य प्रभावी कदमों से इससे निपटा गया.

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पटना/नयी दिल्ली : बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गुरुवार को कहा कि लॉकडाउन के दौरान हजारों की संख्या में प्रवासी श्रमिकों एवं अन्य लोगों के अचानक आने से प्रबंधन संबंधी गंभीर समस्या खड़ी हो गयी थी. लेकिन, पंचायत स्तर तक जागरूकता, अलग रखने की सुविधा सहित अन्य प्रभावी कदमों से इससे निपटा गया. सुशील मोदी ने बताया कि राज्य सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिये विकेंद्रीत प्रयास किये जिसमें प्रत्येक पंचायत में एक स्कूल को अलग से तैयार रखने जैसे प्रबंध शामिल है. इसमें ग्रामीणों का भी काफी सहयोग मिला जो कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये तत्पर थे और वे इस अभियान को सफल बनाना चाहते थे.

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कोरोना वायरस से निपटने के प्रयासों को लेकर एक वर्ग नीतीश कुमार नीत प्रदेश सरकार की आलोचना कर रहा है जिसे बिहार के उपमुख्यमंत्री ने खारिज कर दिया. सुशील मोदी ने जोर दिया कि प्रत्येक पंचायत में एक स्कूल को अलग थलग केंद्र के रूप में परिवर्तित करने के साथ राज्य सरकार ने यह भी फैसला किया कि जो भी व्यक्ति राज्य में 18 मार्च के बाद आया है, उसकी जांच की जायेगी और ऐसा किसी राज्य ने नहीं किया.

यह पूछे जाने पर कि क्या वह मानते हैं कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय राजधानी से बड़ी संख्या में प्रवासियों के वापस लौटने में अरविंद केजरीवाल सरकार की खामियां रहीं, सुशील मोदी ने कहा कि वह किसी भी राज्य को इसके लिये दोष नहीं देंगे और श्रमिक भी उस समय की परिस्थिति में अपने घर लौटना चाहते थे. उन्होंने हालांकि कहा कि स्थित से बेहतर तरीके से निपटा जा सकता था.

सुशील मोदी ने कहा कि काफी संख्या में श्रमिकों सहित इतनी संख्या में प्रवासियों के बिहार आने से अफरा तफरी जैसी स्थिति पैदा हो रही थी. उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इन्हें शिविरों में रखना संभव नहीं था. ऐसे में हम उन लोगों को उनके गांव लाने को मजबूर थे. ऐसे में हमने तय किया कि प्रत्येक पंचायत में एक स्कूल को अलग थलग केंद्र के रूप में तैयार किया जायेगा. अब इन लोगों को वहीं रखा गया. ऐसा नहीं करने पर स्थिति काबू से बाहर हो जाती.”

उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि राज्य सरकार के विकेंद्रीत प्रयासों के साथ गांव वालों का काफी सहयोग मिला क्योंकि उन्हें संक्रमण का भय था और लोग चाहते थे कि बाहर से आए लोग अपने घर में प्रवेश करने से पहले सरकार के दिशानिर्देशों का पालन करें. बिहार के उपमुख्यमंत्री ने इस संबंध में विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, भारत जैसे बड़े देशों में कुछ ऐसी घटनाएं देखने को मिल सकती है. कुछ राज्यों में ऐसी भी स्थिति आयी कि है कि लोग अलग थलग रहने को इच्छुक नहीं थे. हम गरीबों के खिलाफ पुलिस या सेना का इस्तेमाल नहीं कर सकते. ऐसे में हमने स्कूलों को अलग थलग केंद्र बनाया.

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