15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 05:10 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

कठघरे में विश्व स्वास्थ्य संगठन

Advertisement

यह स्वीकरने में कोई समस्या नहीं है कि कोविड-19 संकट के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन एक जिम्म्मेवार, स्वतंत्र, निष्पक्ष और कुशल संगठन के रूप में काम करने में बुरी तरह विफल रहा और उसे आज की भयावह स्थिति के दोष से मुक्त नहीं किया जा सकता.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अवधेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

- Advertisement -

awadheshkum@gmail.com

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के विरुद्ध इस समय दुनियाभर में जिस तरह की नाराजगी है, वैसा उसके सात दशक से ज्यादा के इतिहास में नहीं देखा गया. इसमें मुख्य निशाने पर हैं इसके महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रेइसिस. अमेरिका ने संगठन की फंडिंग रोक दी है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सात अप्रैल को कहा था कि हम डब्ल्यूएचओ को कुछ वजहों से बहुत अधिक फंड देते हैं, लेकिन यह बहुत चीन केंद्रित रहा है और हम अब फंड को सही रूप देंगे. चूंकि इस समय दुनिया के प्रमुख देश कोरोना से निपटने में व्यस्त हैं, इसलिए एक साथ हमें विश्व स्वास्थ्य संगठन के खिलाफ आवाजें भले सुनायी न पड़ें, लेकिन पश्चिमी यूरोप से लेकर पूर्वी एशिया तक मोटा-मोटी वातावरण ऐसा ही है. हर देश की मीडिया में आपको विश्व स्वास्थ्य संगठन और गेब्रेइसिस के खिलाफ लगातार टिप्पणियां मिल जायेंगी.

क्या विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्थिति की गंभीरता दिखते हुए भी पर्याप्त कदम नहीं उठाया? क्या वाकई उसने चीन में फैलती महामारी के बीच सही जानकारी लेने का प्रयास नहीं किया? या वह चीन को जानबूझकर बचाता रहा? संगठन ने सारे आरोपों को खारिज किया है. आठ अप्रैल को गेब्रेइसिस ने कहा कि अमेरिका और चीन को एक साथ आना चाहिए और इस खतरनाक दुश्मन से लड़ना चाहिए. इस बयान ने कई देशों की नाराजगी और बढ़ा दी है. दस अप्रैल की सुरक्षा परिषद की विशेष बैठक में भी चीन के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन की आलोचना हुई. यह सच है कि अगर संगठन सही समय पर चेतावनी और दिशानिर्देश जारी करता, तो भयावह मानवीय त्रासदी काफी कम होती. कोरोना का संक्रमण मनुष्य से मनुष्य में फैलता है, लेकिन संगठन ने लंबे समय तक इसे स्वीकार नहीं किया. नवंबर-दिसंबर में ही कोरोना वायरस का मामला चीन में आ गया था. चीन ने तो जानकारियां छिपाकर या भ्रामक जानकारियां देकर दुनिया को गुमराह किया ही, विश्व स्वास्थ्य संगठन इसमें सहभागी बन गया.

विश्व स्वास्थ्य संगठन की जिम्मेदारी स्वास्थ्य के सभी मामलों पर गहराई से विश्लेषण करना, दुनिया को पूरी सूचना देना तथा रोकथाम एवं उपचार में दुनिया में सहयोग को बढ़ावा देना है. संगठन के दस्तावेज के अनुसार सात जनवरी को चीन ने वायरस के प्रसार की सूचना दी थी. इसके पहले उसने 31 दिसंबर को कहा था कि 41 लोग निमोनिया से पीड़ित हैं, जिसके संक्रमण एवं मौतों का कारण का पता नहीं चल पा रहा है. जब इसने 20 जनवरी को पहली रिपोर्ट सामने लाया, तब तक कोरोना पूर्वी एशिया के कई देशों तक पहुंच चुका था. चीन ने 23 जनवरी को ही वुहान शहर वाले पूरे हूबेई प्रांत को लॉकडाउन कर दिया. इसके बावजूद यदि संगठन ने विस्तृत रिपोर्ट एवं मार्ग निर्देश जारी नहीं किया, तो इसे क्या कहा जायेगा?

गेब्रेइसिस 27 जनवरी को चीन भी गये, लेकिन दुनिया को इससे सुरक्षा के उपाय करने की जगह उन्होंने चीन और शी जिनपिंग को प्रमाण पत्र दिया कि वे यदि सख्त कदम नहीं उठाते, तो यह ज्यादा विकराल होता. उस समय तक कोरोना के मामले 15 देशों में आ चुके थे. स्वतंत्र टीम की जगह उन्होंने संगठन एवं चीन की संयुक्त टीम बना दी. संगठन ने 30 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय चिंता वाली स्वास्थ्य आपदा घोषित किया, लेकिन इसमें नहीं बताया कि यह वैश्विक महामारी का रूप ले रहा है या ले सकता है. फरवरी के पहले सप्ताह में संगठन के कार्यकारी बोर्ड की बैठक के एजेंडा में कोविड-19 शामिल ही नहीं था. इसने 11 मार्च को इसे वैश्विक महामारी तब घोषित किया, जब यह नियंत्रण से बाहर जा चुका था. उसके पहले तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से निपटने के लिए सार्क देशों की बैठक बुला ली थी तथा जी 20 के लिए प्रयासरत थे.

इस तरह यह स्वीकरने में कोई समस्या नहीं है कि कोविड-19 संकट के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन एक जिम्मेवार, स्वतंत्र, निष्पक्ष और कुशल संगठन के रूप में काम करने में बुरी तरह विफल रहा और उसे आज की भयावह स्थिति के दोष से मुक्त नहीं किया जा सकता. वैसे तो इस संगठन पर ताकतवर देशों के साथ बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों के प्रभाव का आरोप लगता रहा है और उसमें सच्चाई भी है. इसमें सुधार की मांग पहले से उठती रही है. कोरोना संकट ने साफ कर दिया है कि ऐसे लचर संगठन से अब स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करने में दुनिया सक्षम नहीं हो सकती. कहने की आवश्यकता नहीं कि महानिदेशक की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होती है. गेब्रेइसिस के चुनाव में चीन की प्रमुख भूमिका थी. इसको सबसे ज्यादा वित्तीय योगदान अमेरिका देता है, लेकिन चीन भी इसे अपने हिस्से से ज्यादा धन देने लगा है.

गेब्रेइसिस के बारे में लड़ाकू संगठन से लेकर मुख्यधारा की राजनीति में आने तथा इथियोपिया के स्वास्थ्य तथा विदेश मंत्री बनने के उनकी भूमिका के सारे पक्ष सामने आ गये हैं. आज इथियोपिया में चीन ने भारी निवेश किया हुआ है. तो, क्या गेब्रेइसिस चीन के एहसान तथा अपने देश में उसके निवेश के कारण उसके प्रभाव में सच का पता लगाने के लिए गहराई में जाने तथा चीन से कठिन प्रश्न पूछने की जगह उसके बचाव में लगे रहे? इस समय तो ऐसा ही लगता है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें