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भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा था मोहिनी रूप, जानिए मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

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हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को श्रेष्ठ माना गया है. जिस तरह से कार्तिक माह में एकादशी को पवित्र माना जाता है, ठीक उसी प्रकार से वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी को भी बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.

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हिन्दू धर्म में एकादशी तिथि को श्रेष्ठ माना गया है. जिस तरह से कार्तिक माह में एकादशी को पवित्र माना जाता है, ठीक उसी प्रकार से वैशाख महीने में आने वाली मोहिनी एकादशी को भी बेहद पवित्र माना जाता है. मान्यता है कि इसी दिन व्रत रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. वैशाख शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो इस बार 3 मई को मनाई जायेगी. मान्‍यता है कि भगवान विष्‍णु ने वैशाख शुक्‍ल एकादशी के दिन ही मोहिनी का रूप धारण किया था. धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने देवताओं के कल्याण के लिए मोहिनी रूप धारण किया था.

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मोहिनी एकादशी व्रत रखने से पापों से मिलता है मुक्ति

हिन्दू धर्म में मान्यता है कि मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से पापों से मुक्ति दिलाता है, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद जरूरतमंदों को भोजन कराने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है. मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस व्रत का विशेष महत्व माना गया है.

अमृत का कलश लेने के लिये भगवान ने लिये थे मोहिनी रूप

एक पौराणिक कथा अनुसार जब इन्द्र असुरों के राजा बलि से युद्ध में हार गए थे तब वे अपने स्वर्गलोक की वापसी के लिए भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे. इंद्र की परेशानी का हल निकालते हुए भगवान हरि ने समुद्र मंथन का मार्ग निकाला. समुद्र मंथन से निकला अमृत देवताओं को अमर बनाकर फिर से स्वर्ग दिला सकता था. इंद्र भगवान हरि द्वारा सुझाए गए रास्ते का प्रस्ताव लेकर दैत्यों के राज बलि के पास गए और समुद्र मंथन का प्रस्ताव रखा और अमृत की बात बताई. अमृत के लालच में आकर दैत्यों ने देवताओं का साथ देने का वचन दिया. इसके बाद देवताओं की हताशा और दैत्यों के बीच में अमृत को लेकर हो रहे झगड़े को देखकर भगवान विष्णु ने एक सुंदर नारी का रूप लिया और असुरों के पास जाकर अमृत को समान रूप से बांटने की बात कही. असुरों ने हरि के मोहिनी रूप को देखकर अमृत का कलश उन्हें सौंप दिया.

जानिए मोहिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त

मोहिनी एकादशी तिथि: 3 मई 2020

एकादशी तिथि शुरू: 3 मई, सुबह 9 बजकर नौ मिनट से

एकादशी तिथि समाप्‍त: 4 मई सुबह 6 बजकर 12 मिनट तक

पारण का समय: 4 मई को दोपहर 1 बजकर 38 मिनट से शाम 4 बजकर 18 मिनट तक

मोहिनी एकादशी का महत्‍व

हिन्‍दू धर्म में मोहिनी एकादशी का विशेष महत्‍व माना जाता है. इस एकादशी को बेहद फलदायी और कल्‍याणकारी माना गया है. मान्यता है कि इस एकादशी को व्रत रखने से घर में सुख-समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है. माता सीता के विरह से पीड़ित भगवान श्री राम और महाभारत काल में युद्धिष्ठिर ने भी अपने दुखों से छुटकारा पाने के लिए इस एकादशी का व्रत पूरे विधि विधान से किया था.

मोहिनी एकादशी के दिन पूजा करने की विधि

मोहिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की साफ-सफाई की जाती है. इसके बाद स्‍नान करने के बाद स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर व्रत का संकल्‍प लें. अब घर के मंदिर में भगवान विष्‍णु की प्रतिमा, फोटो या कैलेंडर के सामने दीपक जलाएं. इसके बाद विष्‍णु की प्रतिमा को अक्षत, फूल, मौसमी फल, नारियल और मेवे चढ़ाएं. विष्‍णु की पूजा करते वक्‍त तुलसी के पत्ते अवश्‍य रखें. इसके बाद धूप दिखाकर श्री हरि विष्‍णु की आरती उतारें. अब सूर्यदेव को जल अर्पित करें. एकादशी की कथा सुनें या सुनाएं. मोहिनी एकादशी का व्रत कैसे करें. एकादशी से एक दिन पूर्व ही व्रत के नियमों का पालन करें. व्रत के दिन निर्जला व्रत करें. शाम के समय तुलसी के पास गाय के घी का एक दीपक जलाएं. रात के समय सोना नहीं चाहिए. भगवान का भजन-कीर्तन करना चाहिए. अगले दिन पारण के समय किसी ब्राह्मण या गरीब को यथाशक्ति भोजन कराए और दक्षिणा देकर विदा करें. इसके बाद अन्‍न और जल ग्रहण कर व्रत का पारण करें.

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