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बिहार—झारखंड के 80 मजदूरों को 17 किमी तक पैदल चलने की सजा, बेंगलुरु पुलिस ने रखी सख्त निगरानी

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बेंगलुरु में अपने राज्य वापसी के लिए आ रहे झारखंड बिहार के प्रवासी मजदूरों को पैदल चलने की सजा मिली है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुताबिक 80 प्रवासी मजदूरों को बैंगलुरु के राजसी अस्पताल से तमाखुरू रोड तक लगभग 17 किलोमीटर पैदल चलने की सजा दी गयी. इतना ही नहीं पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने यह सजा भी पूरी की. पुलिस अधिकारी के मुताबिक मजदूरों ने बैंगलुरु में रहने का गलत पता बताया था.

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‍बेंगलुरु में अपने राज्य वापसी के लिए आ रहे झारखंड बिहार के (Stranded Labour ) प्रवासी मजदूरों को पैदल चलने की सजा मिली है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मुताबिक 80 प्रवासी मजदूरों को बैंगलुरु के राजसी अस्पताल से तमाखुरू रोड तक लगभग 17 किलोमीटर पैदल चलने की सजा दी गयी. इतना ही नहीं पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने यह सजा भी पूरी की. पुलिस अधिकारी के मुताबिक मजदूरों ने बैंगलुरु में रहने का गलत पता बताया था.

डेक्कन हेराल्ड के मुताबिक सरकार द्वारा मजदूरों को उनके राज्य भेजे जानें की खबर सुनने के बाद मजदूर मंगलवार की सुबह एनचेपाल्या और मडावरा के मजदूर बेंगलुरु इंटरनेशनल एक्जीबिशन सेंटर (बीआईईसी) के पास जाने के लिए निकले थे. दरअसल सभी मजदूर यह जानना चाहते थे कि सरकार उन्हें घर भेजने के लिए क्या व्यवस्था कर रही है. एक अधिकारी के मुताबिक केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अपने मजदूरों को घर वापस लाने के लिए चलाये जा रहे अभियानों की जानकारी मिलने के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के 4,000 से अधिक प्रवासी मजदूर रेलवे स्टेशन पहुंच गये.

इसके बाद कानून व्यवस्था के लिए खतरे की स्थिति बताकर पुलिस ने सभी मजदूरों को बीआईईसी पहुंचा दिया. जहां से 150 बीएमटीसी बसों के जरिये उन्हें उनके घरों में भेज दिया गया. इससे बीआईआईसी के पास रहने वाले मजदूरों को लगा कि बस में बैठा कर मजदूरों को उनके राज्य में भेजा गया है. इसलिए वे मजदूर बीआईईसी के लिए रवाना हुए, लेकिन पुलिस ने बीच में ही उन्हें रोक दिया. पुलिस द्वारा रोके जाने के बाद अधिकांश मजदूर अपने अपने घरों में चले गये. लेकिन एचेपाल्या और मदावरा के 80 प्रवासी मजदूरों ने अपना पता झूठा बताया. उन्होंने कहा कि वे राजसी के पास रहते है. जबकि वो मैजेस्टिक में रहते थे.

इसके बाद पुलिस ने उन्हें दंड देने के लिए 16.5 किमी दूर एचेपाल्या में अपने निवास स्थान तक पैदल जाने का आदेश दिया. उनके साथ एक पेट्रोलिंग वाहन भी चल रही थी, जो तुमाकुरु रोड पर पारले बिस्कुट फैक्ट्री तक उनका पीछे रही. इसके बाद बेंगलुरु ग्रामीण पुलिस की एक टीम वहां पहुंच गयी. पुलिस अधिकारी ने बताया कि मजदूर इस बात से नाराज थे कि बेंगलुरु शहर की पुलिस ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया और उन्हें लगभग 17 किमी तक पैदल चलने के लिए मजबूर किया.

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