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इटावा से पैदल चल कर एक सप्ताह में वैशाली पहुंचा प्रवासी मजदूरों का जत्था

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सरकार द्वारा व्यवस्था करने के बाद भी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर मजदूर पैदल ही अपने अपने घर जा रहे है. यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ये मजदूर लगभग 100 किलोमीटर का पैदल यात्रा प्रतिदिन करते है. यह नजारा हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एन एच 22 पर प्रतिदिन देखा जा रहा है.

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गोरौल : सरकार द्वारा व्यवस्था करने के बाद भी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर मजदूर पैदल ही अपने अपने घर जा रहे है. यह संख्या प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. ये मजदूर लगभग 100 किलोमीटर का पैदल यात्रा प्रतिदिन करते है. यह नजारा हाजीपुर-मुजफ्फरपुर एन एच 22 पर प्रतिदिन देखा जा रहा है. लगभग दर्जनों मजदूर पैदल ही एक हजार किलोमीटर तक की दूरी तय कर अपने अपने घर जा रहे है. कोरोना वायरस को लेकर सूबे में लॉकडाउन की घोषणा की गई है. सड़क पर एक भी यात्री बस या अन्य वाहने नहीं चल रही है. इसके बाद भी लोगों के द्वारा अपने परिजन से मिलने की ललक उन्हें सैकड़ों किलोमीटर पैदल दूरी तय करने को मजबूर कर दिया है.

इटावा से फारबिसगंज व पटना होते हुए सहरसा जा रहे सुबोध ऋषिदेव, दुर्गानंद साह, बुधन प्रभाकर, राज कुमार,राकेश कुमार,राजेश कुमार आदि ने बताया कि हमलोग इटावा से आगे काम कर रहे थे. कंपनी बंद हो गयी है. कोई काम नहीं दे रहा है. भूखे मरने की स्थिति हो गयी थी. इधर- उधर से ले देकर काम चला रहे थे. जब खाने की तकलीफ होने लगी तो प्राण बचाने के लिए एक सप्ताह पहले ही इटावा से पैदल चल दिये है. पास में किराये का भी पैसा नहीं है. ऊपर से बच्चे घर पर है.

घर परिवार का मोह सता रहा है. घर पर ध्यान लगा रहता है. घर जाने के लिये कोई साधन नहीं है, तो क्या करें, पैदल ही घर जा रहे है. भूखे प्यासे ही चल रहे है. फिर भी सरकार के द्वारा कोरोना वायरस से बचाव के लिये उठाये जा रहे कदमों की सभी ने सराहना की. सभी 5 से 6 फिट की दूरी को मेंटेन कर चल रहे थे. खाने- पीने के समान नहीं मिलने से पैदल चल रहे लोग काफी परेशान थे. चुरा, सत्तू से ही काम चला रहे है. लोगों से मदद मिलने की आशा भी उनमें साफ झलक रही थी. सभी ने बताया कि रात्रि के समय कहीं न कही रुकना पड़ता है. रास्ते में पुलिस बलों के अलावे ग्रामीणों से खाने को मिल जा रहा है.

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