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बिहार-झारखंड के 112.82 लाख समेत देश करीब 7.36 करोड़ प्रवासी मजदूरों के परिवारों को मुफ्त में मिलेगा राशन

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बिहार-झारखंड के करीब 112.82 लाख प्रवासी मजदूरों के साथ देश के करीब 7.36 करोड़ प्रवासी मजदूरों के परिवारों को केंद्र सरकार मुफ्त में भोजन मुहैया कराएगी.

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नयी दिल्ली : बिहार-झारखंड के करीब 112.82 लाख प्रवासी मजदूरों के साथ देश के करीब 7.36 करोड़ प्रवासी मजदूरों के परिवारों को केंद्र सरकार मुफ्त में भोजन मुहैया कराएगी. कोविड-19 संकट की वजह से सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मजदूरों के पैदल घर वापस जाने के लिए लंबी यात्रा की घटनाओं के बीच केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने शनिवार को राज्य सरकारों से अपील की कि वे तुरंत गोदामों से खाद्यान्न और दालों का उठान करें और 15 दिनों के भीतर उन लगभग 8 करोड़ प्रवासियों को इसका मुफ्त वितरण करें, जिनके पास न तो केंद्र और न ही राज्य का राशन कार्ड है.

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खाद्य मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से उत्तर प्रदेश में 142 लाख, बिहार में 86.45 लाख, महाराष्ट्र (70 लाख), पश्चिम बंगाल (60.1 लाख), मध्य प्रदेश (54.64 लाख), राजस्थान (44.66 लाख), कर्नाटक में 40.19 लाख, गुजरात (38.25 लाख), तमिलनाडु (35.73 लाख), झारखंड (26.37 लाख), आंध्र प्रदेश (26.82 लाख) और असम में 25.15 लाख में प्रवासी मजदूर लाभान्वित होंगे. राष्ट्रीय राजधानी में, लगभग 7.27 लाख प्रवासियों को मई और जून के लिए प्रति व्यक्ति प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज और एक किलो चना मुफ्त मिलेगा.

पासवान ने यहां वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यदि प्रवासियों की संख्या 8 करोड़ से अधिक होती है, तो केंद्र मुफ्त आपूर्ति के लिए अतिरिक्त अनाज उपलब्ध कराने के लिए तैयार है, लेकिन चिह्नित व्यक्ति वास्तव में होने चाहिए. एनएफएसए (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम) के मौजूदा 81 करोड़ लाभार्थियों के 10 फीसदी के बराबर लोगों को बिना कार्ड वाले प्रवासी व्यक्तियों की श्रेणी में मानकर यह आवंटन किया गया है.

उन्होंने कहा कि दो महीने के लिए 8 करोड़ प्रवासियों को मुफ्त भोजन वितरण की घोषणा केन्द्र सरकार के द्वारा 14 मई को की गयी थी, जो सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज का भाग था. यह पैकेज उन प्रवासियों के लिए है, जो कोविड-19 संकट की वजह से लागू किये गये लॉकडाऊन से प्रभावित रहे हैं. इस हस्तक्षेप की लागत केंद्र वहन करेगा, जो बोझ करीब 3,500 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.

पासवान ने कहा कि यह निर्णय प्रवासियों के हित में है. कांग्रेस कह सकती है कि और अधिक मात्रा में खाद्यान्न मुफ्त में दिए जा सकते हैं. एनएफएसए के तहत 5 किलो प्रति व्यक्ति सब्सिडी वाला अनाज 81 करोड़ लोगों को पीडीएस के माध्यम से दिया जाता है और यह नियम यूपीए सरकार के दौरान बनाया गया था, लेकिन मोदी सरकार अधिक से अधिक मदद करने की कोशिश कर रही है. यही तक इसका अंत नहीं है. प्रधानमंत्री संवेदनशील हैं और स्थिति को जानते हैं.

पासवान ने आगे कहा कि उनके मंत्रालय ने प्रवासियों को मुफ्त राशन वितरण की सभी व्यवस्थाएं की हैं, लेकिन इसे जमीनी स्तर पर लागू करने वाली राज्य सरकारों को सक्रियता दिखानी होगी और गोदामों से राशन उठाकर इसे तत्काल वितरण करना होगा. उन्होंने कहा कि दो महीने तक मुफ्त वितरण के लिए के लिए 7.99 लाख टन खाद्यान्नों का आवंटन किया गया है. इसमें से चावल सबसे अधिक यानी 6.95 लाख टन होगा. बाकी 1.04 लाख टन गेहूं होगा.

उन्होंने कहा कि अब भी कई प्रवासी पैदल घर लौट रहे हैं. यह एक कठिन स्थिति है. कुछ की रास्ते में ही मौत हो गयी है. वे पैदल ही लंबी दूरी तय कर रहे हैं. उनकी दुर्दशा को देखकर दुख होता है. अब प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि प्रवासी भूखे न रहें. इसलिए केंद्र इस बात पर जोर नहीं दे रहा है कि राज्य मुफ्त राशन लेने के लिए प्रवासी लाभार्थियों का विवरण दें. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारें दो महीने बाद आंकड़े दे सकती हैं, लेकिन उन्हें जवाबदेही के लिए आंकड़ा रखना होगा.

खाद्य मंत्रालय के अनुसार, चावल और गेहूं दोनों ही अनाज दिल्ली और गुजरात को आवंटित किए गए हैं. केवल राजस्थान, पंजाब और चंडीगढ़ को गेहूं दिये गये हैं, जबकि बाकी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को आवंटन करने के लिए चावल दिया गया है.

खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि कर्नाटक सरकार पहले ही अनाज उठाना शुरू कर चुकी है. मध्य प्रदेश सरकार 18 मई से ऐसा करेगी, जबकि केरल ने गोदामों से अनाज लेने की मंशा जाहिर की है. उन्होंने कहा कि राज्य एक ही बार में पूरे दो महीने का राशन उठा सकते हैं. अनाज का उठान करने के बाद राज्यों को यह अनाज और प्रवासियों को 15 दिनों के लिए वितरित करना चाहिए.

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