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प्रवासी मजदूरों को बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया करायेगी बिहार सरकार, जुड़ने के लिए करना होगा ये काम

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बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से सबसे अधिक लाभ कृषि क्षेत्र को होगा. प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार 'भोकल फॉर लोकल' का नारा दिया है. बिहार को प्रकृति ने वरदान दिया है कि यहां बहुत से अमूल्य उद्यानिकी उत्पाद हैं, जैसे शाही लीची, जरदालू आम, मखाना, मगही पान ऐसे फसल हैं. जिसके फलस्वरूप राज्य में फूड प्रोसेसिंग उद्योग विकास की असीम संभावनाएं हैं तथा यह लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करा सकता है.

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पटना : बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज से सबसे अधिक लाभ कृषि क्षेत्र को होगा. प्रधानमंत्री ने जिस प्रकार ‘भोकल फॉर लोकल’ का नारा दिया है. बिहार को प्रकृति ने वरदान दिया है कि यहां बहुत से अमूल्य उद्यानिकी उत्पाद हैं, जैसे शाही लीची, जरदालू आम, मखाना, मगही पान ऐसे फसल हैं. जिसके फलस्वरूप राज्य में फूड प्रोसेसिंग उद्योग विकास की असीम संभावनाएं हैं तथा यह लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करा सकता है.

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कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि आर्थिक पैकेज में फूड प्रोसेसिंग के साथ-साथ लोकल उत्पादों के वैश्विक ब्रांडिंग की घोषणा की गयी है. इसका सबसे ज्यादा फायदा बिहार को होगा. विश्वव्यापी कोरोना महामारी से बिहार अछुता नहीं रह गया है. बिहार से दूसरे राज्य में गये श्रमिक राज्य में बड़ी संख्या में लौट कर वापस आने लगे हैं. भविष्य में उन्हें बेरोजगारी का सामना न करना पड़े इसके लिए कृषि विभाग बड़े पैमाने तैयारियां शुरू कर दी है.

प्रेम कुमार ने कहा कि ग्रामीण स्तर पर स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराने तथा किसानों को उनके फसल उत्पादों के लिए बेहतर मूल्य दिलाने के उद्देश्य से कृषि उत्पाद आधारित लघु उद्योगों की स्थापना हेतु बिहार में बिहार राज्य उद्यानिकी उत्पाद विकास कार्यक्रम पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 से कार्यान्वित किया जा रहा है. इस योजना की अवधि 5 वर्ष की होगी तथा इन पांच वर्षों में इस योजना के अंतर्गत करीब 1264 लाख रुपये व्यय किये जायेंगे. इस योजना के तहत प्रथम वर्ष में समूह के गठन के उपरान्त सभी ढांचागत सुविधा एवं मशीन आदि की संस्थापना हेतु राशि उपलब्ध कराया जाना है. द्वितीय एवं तृतीय वर्ष में उत्तम कृषि क्रियाएं, पैकेजिंग मेटेरियल एवं उत्तम स्वस्थ क्रियाएं हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी. समूह के प्रस्ताव के आलोक में चतुर्थ एवं पंचम वर्ष में यथावश्यक मरम्मति एवं आकस्मिकता हेतु राशि उपलब्ध करायी जायेगी.

मंत्री प्रेम कुमार ने कहा कि एक इकाई की स्थापना हेतु 10 लाख रुपये लागत मूल्य निर्धारित किया गया है. जिसमें लाभार्थी को 90 प्रतिशत अनुदान अर्थात 9 लाख रुपये की सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. बिहार राज्य उद्यानिकी उत्पाद विकास कार्यक्रम के अंतर्गत भागलपुर, दरभंगा, पटना एवं सहरसा में आम, रोहतास में टमाटर, अररिया, समस्तीपुर में हरी मिर्च, पूर्वी चंपारण में लहसून, पश्चिमी चंपारण में हल्दी, भोजपुर में मटर, किशनगंज में अनानास, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी तथा शिवहर में लीची, कटिहार, खगड़िया में केला, शेखपुरा, बक्सर में प्याज, नालंदा में कल कैमूर में अमरूद, वैशाली में मधु और गया जिला में पपीता के फसल के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जायेगा.

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कृषि मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत संबंधित जिलों के लिए चिह्नित फसलों के पूर्व से आच्छादित एवं उपलब्ध क्षेत्रों को कलस्टर के रूप में चिह्नित किया जायेगा. एक कलस्टर में 50 हेक्टेयर रकवा को सम्मिलित किया जायेगा. चिन्हित कलस्टर में सम्मिलित सभी कृषकों को एक समूह तैयार कर समूह का पंजीकरण कराया जायेगा एवं समूह के प्रत्येक सदस्यों को कार्यक्रम के तहत अपनाये जाने वाले विभिन्न एक्टिविटी के लिए प्रशिक्षित कराया जायेगा. चिहित कलेक्टर को उत्तम कृषि क्रियाओं से लाभान्वित एवं आच्छादित कर उद्यानिक फसलों के गुणवत्ता में वृद्धि करायी जायेगी.

प्रेम कुमार ने कहा कि समूह के लिए चयनित कृषकों से अंशदान के रूप में न्यूनतम 5,000 रुपये प्रति कृषक समूह के खाते में जमा कराया जायेगा. सरकार के तरफ से समूह के खाते में 5 लाख रुपये मैचिंग ग्रांट दिया जायेगा. समूह के खाता में अंशदान यदि 5 लाख रुपये से कम होता है तो मैचिंग ग्रांट उसी के अनुसार दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि राज्य में इस योजना के कार्यान्वयन से जिला विशेष में उपजने वाले फसलों को प्रोत्साहन मिलेगा.

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कृषि मंत्री ने कहा कि बाजार की मांग के अनुरूप विभिन्न उत्पाद यथा पल्प, जुस, जैम, जेली, स्क्वैश एवं फ्लेक्स, पाउडर आदि तैयार कराया जायेगा एवं उद्यमियों को सीधे कलेक्टर से मार्केटिंग हेतु लिंक कराया जायेगा. जिससे उद्यानिकी उत्पाद का शत-प्रतिशत सदुपयोग होगा. कृषकों को उत्पाद का अधिक मूल्य मिलेगा तथा ग्रामीण बेरोजगार पुरुष एवं महिलाओं को स्वरोजगार मिलेगा. इससे वहां के किसानों की आय में काफी वृद्धि होगी.

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