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भाड़ा नहीं मिलने से सैकड़ों की संख्या में खड़े हैं ट्रक, मालिकों बुरा हाल, एसोसिएशन ने सरकार से मांगी मदद

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झारखंड राज्य में झरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा कोयला व्यवसायी केंद्र (कोयला मंडी) के रूप जाना जाने वाला कुजू कोयले के लॉकडाउन में बदहाल है. पिछले एक वर्षों से आर्थिक मंदी का दंश झेल ही रहा था कि मार्च माह में जारी लॉकडाउन ने स्थिति को और बिगाड़ दिया. सबसे ज्यादा असर कोयला व्यापारी व ट्रक मालिकों पर पड़ा है. आज के स्थिति में कोयला नहीं मिलने के कारण सैकड़ों की संख्या में ट्रक खड़े हैं. ये ट्रक प्रदेश के सभी जिलों के अलावे विभिन्न राज्यों से आते हैं. जिनमें ज्यादातर ट्रक मालिकों के ट्रक बिकने के कगार पर हैं. लेकिन इसके भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

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राज्य के दूसरा सबसे बड़ा कोयला मंडी है कुजू, आर्थिक मंदी का झेल रहा है दंश

कुजू : झारखंड राज्य में झरिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा कोयला व्यवसायी केंद्र (कोयला मंडी) के रूप जाना जाने वाला कुजू कोयले के लॉकडाउन में बदहाल है. पिछले एक वर्षों से आर्थिक मंदी का दंश झेल ही रहा था कि मार्च माह में जारी लॉकडाउन ने स्थिति को और बिगाड़ दिया. सबसे ज्यादा असर कोयला व्यापारी व ट्रक मालिकों पर पड़ा है. आज के स्थिति में कोयला नहीं मिलने के कारण सैकड़ों की संख्या में ट्रक खड़े हैं. ये ट्रक प्रदेश के सभी जिलों के अलावे विभिन्न राज्यों से आते हैं. जिनमें ज्यादातर ट्रक मालिकों के ट्रक बिकने के कगार पर हैं. लेकिन इसके भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं.

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वहीं, कोल इंडिया से कोयला खरीदने वाले कोयला व्यापारी की स्थिति भी बेहद खराब है. तकरीबन एक लाख से अधिक कोयला के कारोबार करने वाले डीओ होल्डर (डीओ धारक) हैं. जो एम जंक्शन व एमएसटीसी से जुड़े हुए हैं. ये सभी ई ऑक्शन के माध्यम से कोयले की बीडिंग कर खरीददारी करते हैं. तत्पश्चात उन्हें कोयला का आवंटन होता है. लेकिन कोलियरियों की स्थिति ठीक नहीं रहने तथा कई जगहों पर लोकल सेल बंद होने के कारण समय पर कोयला का उठाव नहीं हो पा रहा है.

इस कारोबार में लगभग 90 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जिन्होंने चल-अचल संपति आदि को मोर्गेज रखकर बैंकों से करोड़ों रुपये का लोन ले रखा है. अब उन्हें ईएमआई (मासिक ब्याज) चुकाना भारी पड़ रहा है. इस कारोबार में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से लाखों लोग जुड़े हुए हैं, जो झारखंड, बिहार, यूपी, बंगाल, असम, त्रिपुरा, पंजाब, हरियाणा सहित कई राज्यों से आते हैं. वहीं कोलियरियों में संचालित लोकल सेल जहां से कोयला उठाव होता है वहां हजारों की संख्या में स्थानीय मजदूर रोजगार पाते है. जिनका आज की स्थिति में बहुत खस्ता हाल है.

ट्रक मालिकों का हाल बुरा, नहीं जमा कर पा रहे टैक्स और इंश्योरेंस का पैसा

क्षेत्र के ट्रक मालिक कोयले के कारोबार देखकर ही ट्रक खरीदी थी. व्यापार में संकट आने के कारण ट्रक मालिक कठिन दौर से गुजर रहे हैं. ट्रक खड़े रहने के कारण वे ट्रक के रोड परमिट, फिटनेस टैक्स, इंश्योरेंस आदि की राशि भी नहीं दे पा रहे हैं. ट्रक मालिकों के साथ-साथ चालक व उप चालक के सामने भी रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. ये ट्रक मालिक बैंक अथवा प्राईवेट फाइनेंसर से गाड़ियों को ले रखा है. वे ट्रकों का किस्त नहीं चुका पा रहे हैं. जिसके कारण ट्रक मालिकों को गाड़िया सीज होने का डर सता रहा है. इस धंधे में कई शिक्षित बेरोजगार युवक बैंकों से लोन लेकर अथवा पिता का सेवानिवृत का पैसा लगाकर ट्रकों को खरीद रखा है.

कोयला के लिए दिसंबर से जून माह होता है सीजन

कोयलांचल में लोगों का मुख्य व्यापार कोयला है.  जिसका मुख्यत: बाजार दिसंबर से जून माह तक होता है. पहले सीसीएल द्वारा कई महीनों तक कोयला दिया ही नहीं गया और अब दो माह से लॉकडाउन है. जिससे व्यापारी से लेकर ट्रक मालिक, ट्रांसपोर्टर के लिए पूरा सीजन समाप्ति की ओर हैं. अगर एक-दो कोलियरी खुले भी हैं तो कोयला के कोई खरीदार नहीं हैं.

बिहार व यूपी के ईट भट्टों में नहीं पहुंच पा रहा है कोयला

कोयला का व्यापार यूपी, बिहार के ईट भट्टों पर ही आधारित है. लेकिन लॉकडाउन से गाड़ियां उनके भट्टों में नहीं पहुंच पा रही. साथ ही भट्टा मालिक के यहां से ईंटों की बिक्री भी नहीं हो पा रही है. मौसम की मार एक अलग ही समस्या उत्पन्न कर रही है. बेमौसम बरसात हो जाने से ईंट भट्टों के सारे कच्चे पथाई किये हुए ईंट बर्बाद हो गये है. जिसके कारण वे कोयले का डिमांड नहीं कर पा रहे हैं.

क्या कहते हैं कोल ट्रेड ट्रक ऑनर एसोसिएशन के अध्यक्ष

कोयले कारोबार व ट्रकों की दयनीय स्थिति की संबंध में एसोसिएशन के अध्यक्ष काशीनाथ महतो कहते हैं कि इस समय यह व्यवसायी बंदी की स्थिति में पहुंच गया है. अगर सरकार के तरफ से सहायता नहीं मिला तो इससे संभलने में काफी समय लगेगा तब तक कितने कोयला व्यापारी व ट्रक मालिक  कंगाल के स्थिति में आ चुके होंगे.

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