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मनरेगा के तहत प्रवासी मजदूरों को मिलेगा काम, जानें कैसे बना सकते हैं जॉब कार्ड

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सरकार ने मनरेगा योजना के तहत मिलने वाले मानदेय को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया गया है यानी 20 रुपये की वृद्धि की गयी है. इस योजना के तहत 40,000 करोड़ रुपये के रोजगार सृजन की बात की गयी है. इससे अनुमानत: 5 करोड़ गरीब परिवारों को फायदा होगा.

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कोराना काल में वायरस से भी बड़ी समस्या बनकर उभरी है प्रवासी मजदूरों की बेरोजगारी. देश में आठ करोड़ प्रवासी मजदूर हैं, जिनमें से अधिकांश बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के हैं. लॉकडाउन के कारण यह मजदूर बेरोजगार हो गये हैं और अपना कर्मक्षेत्र छोड़ अपने देस वापस आ गये हैं या फिर रास्ते में असंख्य मुसीबतों को झेलते हुए घर की ओर अग्रसर हैं. इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा की है, जिसमें मनरेगा के तहत इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने की योजना है. तो आइए जानते हैं कि सरकार किस तरह इन मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करायेगी और साथ ही हम प्रवासी मजदूरों के लिए मनरेगा योजना की जानकारी देंगे, ताकि वे इसका लाभ उठा सकें.

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ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार ने मनरेगा योजना के तहत मिलने वाले मानदेय को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया गया है यानी 20 रुपये की वृद्धि की गयी है. इस योजना के तहत 40,000 करोड़ रुपये के रोजगार सृजन की बात की गयी है. इससे अनुमानत: 5 करोड़ गरीब परिवारों को फायदा होगा.

क्या है मनरेगा और कैसे मिलता है इसका लाभ : मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना की शुरुआत देश में वर्ष 2005 में हुई थी. मनमोहन सिंह की सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधारना था. इस योजना के तहत परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना है. इस योजना की परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने की थी और 1991 में यह संसद के सामने रखा गया था. उस वक्त इसे देश के 625 जिलों में लागू किया गया था बाद में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया.

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मनरेगा के तहत रोजगार पाने के लिए सबसे पहले ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्य को ग्राम पंचायत के पास एक तसवीर के साथ अपना नाम, उम्र और पता जमा कराना होता है. उसकी जांच की जाती है उसके बाद पंचायत उनका रजिस्ट्रेशन करके उन्हें जॉब कार्ड प्रदान करता है. जॉब कार्ड में पंजीकृत व्यक्ति के बारे में तमाम सूचनाएं होती हैं. एक पंजीकृत व्यक्ति या तो पंचायत या कार्यक्रम अधिकारी को लिखित रूप से (निरंतर काम के कम से कम चौदह दिनों के लिए) काम करने के लिए एक आवेदन प्रस्तुत कर सकता है. इस अधिनियम के तहत लिंगआधारित भेदभाव नहीं किया जाता है और स्त्री-पुरुष दोनों को समान रकम का भुगतान होता है. सभी वयस्क रोजगार के लिए आवेदन कर सकते हैं. मनरेगा जॉब कार्ड लिस्ट को अब अॅानलाइन कर दिया गया है, जिसके जरिये लाभार्थी पूरी सूची निकाल सकता है. काम नहीं मिलने पर उक्त व्यक्ति बेरोजगारी भत्ता का अधिकारी होगा.

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