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घायल सोनोती तड़प रही थी पर पुलिस ने की अनदेखी : श्याम मीरा सिंह

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यूपी के मथुरा में गुड़गांव से पैदल आ रही साहिबगंज की प्रवासी बच्ची सोनोती सोरेन सड़क हादसे में घायल हो गयी. उसके घायल होने से लेकर इलाज तक की पूरी कहानी दिल्ली के पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने बतायी.

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रांची : यूपी के मथुरा में गुड़गांव से पैदल आ रही साहिबगंज की प्रवासी बच्ची सोनोती सोरेन सड़क हादसे में घायल हो गयी. उसके घायल होने से लेकर इलाज तक की पूरी कहानी दिल्ली के पत्रकार श्याम मीरा सिंह ने बतायी. उन्होंने बताया कि वह वर्क फ्राम होम के तहत मथुरा के अपने गांव से काम कर रहे हैं. पर मथुरा के नेशनल हाइवे पर लगातार आ रहे प्रवासियों पर वह स्टोरी करने के लिए रोज निकल रहे थे. इसी दौरान सोनोती सोरेन का मामला आया. श्याम ने बताया कि सोनोती झारखंड की रहनेवाली है, परिवार गुड़गांव में कंस्ट्रक्शन मजदूरी करता था.

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आठ मई के दिन सोनोती के परिवार ने हरियाणा सरकार की वेबसाइट पर जैसे-तैसे रजिस्ट्रेशन करवाया. रजिस्ट्रेशन में जवाब आया थैंक यू.इससे कुछ भी अधिक रजिस्ट्रेशन रसीद पर लिखा हुआ नहीं था. कब जाना है या आगे की सूचना कब मिलेगी. कुछ भी नहीं. हफ्ते भर इंतजार के बाद जब कोई समाधान नहीं मिला, तो यह परिवार गुड़गांव से झारखंड के साहिबगंज जाने के लिए पैदल ही निकल पड़ा. करीब 10 से अधिक लोग थे और ये एक बच्ची. परिवार उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में पहुंचा. रात के ढाई बजे के करीब मथुरा के ही नेशनल हाइवे-2 की सड़क पार करते समय ये बच्ची एक एंबुलेंस की चपेट में आ कर बुरी तरह घायल हो गयी.

रात में ही सोनोती के परिवार ने नजदीकी पुलिस से मदद मांगी. पुलिस इन्हें अस्पताल ले जाने के लिए टालती रही. बाद में मजदूरों की असमर्थता को देख कर पुलिस ने ही रात में ही एक डॉक्टर से बच्ची की मलहम पट्टी करवा दी. उसके बाद सोनोती को ऐसे ही छोड़ दिया, न कोई दवाई, न आगे के लिए कुछ. पुलिस की ये असंवेदनशीलता उस परिवार के साथ थी, जिसकी बच्ची तड़प रही थी.रात तीन से चार बजे के बीच, सोनोती का परिवार वहीं लौट आया, जहां एक्सीडेंट हुआ था यानी एनएच-2 हाइवे. मैं सोनोती से अगली सुबह करीब 10 बजे मिला. तब सोनोती दर्द से कराह रही थी, बच्ची का चेहरा देखने कर मन पसीज गया.

श्याम ने बताया कि उसके बाद मैंने बच्ची की वीडियो बना कर अपने जानने वाले मथुरा के एसपी क्राइम को व्हाट्सएेप पर भेजा. श्याम ने बताया कि कोई रिस्पांस नहीं मिला. फिर कई अधिकारियों को बोला पर कहीं से कोई सहायता नहीं मिली. मैं चाहता था कि बच्ची को किसी तरह शेल्टर होम तक ले जाया जाये. बच्ची लगातार कराह रही थी. जब बच्ची और बच्ची के परिवार के ठहरने के लिए शेल्टर होम को लेकर पूरे उत्तरप्रदेश प्रशासन -पुलिस ने हाथ खड़े कर दिये तो बच्ची की दवा लेने के लिए मैंने स्वयं पहल की. एक डॉक्टर की मदद से पेन किलर बच्ची के लिए पहुंचाया. फिर एक पिकअप वैन में सोनोती के परिवार वालों को शहर तक जाने की व्यवस्था करवा दी. मेरा मन खिन्न था कि पुलिस व प्रशासन इस तरह असंवेदनशील कैसे हैं. फिर मैंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट करके इसकी जानकारी दी. खुशी है कि बच्ची अब सकुशल झारखंड लौट जायेगी. इधर मथुरा पुलिस ने मुझे थाने में बुला लिया है और मेरे पोस्ट को आपत्तिजनक कह रही है.

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