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लॉकडाउन की बेबसी : कभी मजदूरी कर जीवन यापन करने वाला कारू आज कचरा चुनने को हुआ मजबूर

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एक बेबस मजदूर सोमवार को नयामोड़ स्थित कोरिया घाटी फोरलेन सड़क पर देखने को मिला. कल तक मजदूरी कर जीविका चलाने वाला कारू भुईंया आज लॉकडाउन की वजह से प्लास्टिक की बोतलें चुन रहा है.

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कुजू (रामगढ़) : एक ओर कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन जारी है, वहीं दूसरी ओर कई वैसे लोग भी हैं जिन्हें कई तरह की मुसीबतें झेलनी पड़ रही है. ऐसा ही नजारा रामगढ़ जिला अंतर्गत कुजू क्षेत्र के नयामोड़ स्थित कोरिया घाटी में देखने को मिला. कल तक मजदूरी कर जीवन यापन करने वाला कारू भुईंया आज कचरा चुनने को विवश है. पढ़ें धनेश्वर प्रसाद की रिपोर्ट.

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जो लोग मजदूरी कर अपना जीवन यापन करते थे, आज लॉकडाउन की वजह से अपना धंधा ही बदल दिया है. वैसे कई मजदूर हैं, जो पेट भरने के लिए मजबूरन कोई ना कोई दूसरा रास्ता ढूंढ ही निकालते हैं. एक ऐसा ही बेबस मजदूर सोमवार को नयामोड़ स्थित कोरिया घाटी फोरलेन सड़क पर देखने को मिला. कल तक मजदूरी कर जीविका चलाने वाला कारू भुईंया आज लॉकडाउन की वजह से प्लास्टिक की बोतलें चुन रहा है.

उसने बताया कि बाबूजी लॉकडाउन की वजह से पूरा काम ठप पड़ा है. पापी पेट का सवाल है. मजबूरन कचरा चुनना शुरू कर दिया. कोई काम छोटा- बड़ा नहीं होता. दिनभर घूम- घूम कर बोतलें चुनता हूं. कबाड़खाने में बोतलों को बेचकर थोडी- बहुत जो आमदनी होती है, उसी से पेट भरने की कोशिश करता हूं.

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दिनभर घूम- घूमकर चुनता है खाली बोतल

लॉकडाउन में सामाजिक संगठन व विभिन्न संस्थाओं ने गरीबों व प्रवासियों मजदूरों की सहायता के लिए कई केंद्र खोले हैं. उनके द्वारा सड़क से गुजर रहे बेबस प्रवासी मजदूरों को रोककर भोजन के साथ पानी की बोतलें उपलब्ध कराया जा रहा है. प्रवासी मजदूर अपनी जरूरत पूरी होने के बाद इन बोतलों को सड़कों के किनारे फेंक देते हैं. उसी खाली बोतल को कारू भुईंया चुनकर अपने बोरे में भर लेता है तथा शाम को कबाड़खाना में वजन के हिसाब से बेच देता है.

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8 से 10 रुपये प्रति किलो खरीदता है कबाड़ी वाला

कचरा चुनने का काम क्षेत्र में कई मजदूर करते रहे हैं. वे सांडी, कुजू, हेसागढ़ा, मांडू, रांची रोड, आरा, सारूबेड़ा समेत आसपास के क्षेत्रों में दिनभर प्लास्टिक चुनते हैं. दिनभर चुनने के बाद कबाड़खाने में पहुंचकर उसे बेचते हैं. जहां प्रति किलो 8 से 10 रुपये के भाव से कीमत मिलता है. इस संबंध में कारू भुईंया ने कहा कि इस प्रचंड गर्मी के भरी दोपहरी में इधर-उधर भटक कर प्लास्टिक बोतल जमा करते हैं. कभी- कभी मिलता भी नहीं है. इस कारण अच्छी आमदनी भी नहीं होती थी, लेकिन इस लॉकडाउन में कोई काम नहीं है, जिसके कारण मजबूरन यह काम करना पड़ रहा है. उसने बताया कि इस काम के लिए अकेला मैं नहीं हूं. बहुत सारे लोग मजदूरी नहीं मिलने से इस तरह का काम शुरू कर दिया है.

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