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आपराधिक दुर्व्यवहार

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हमारे देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या की तुलना मेंगंभीर रोगियों और मृतकों का अनुपात अनेक देशों से बहुत कम है. देशभर केछोटे-बड़े अस्पतालों और अस्थायी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक औरस्वास्थ्यकर्मी दिन-रात संक्रमण के असर को कम करने तथा प्रभावित लोगों केउपचार में लगे हुए हैं. स्वास्थ्यकर्मियों की एक बड़ी संख्या लोगों कीजांच करने और सलाह देने में जुटी हुई है. एक भयावह अदृश्य वायरस केविरुद्ध हमारी लड़ाई की अगुवाई यही लोग कर रहे हैं.

इस काम में बहुत सेडॉक्टर, नर्स और सहायक स्टाफ स्वयं संक्रमण का शिकार हुए हैं तथा अपनेजीवन का बलिदान भी दिया है. उनके परिवार के सदस्यों को भी संक्रमित होनेका खतरा बना हुआ है. अक्सर ये स्वास्थ्यकर्मी समुचित संसाधनों कीउपलब्धता के अभाव में भी अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं. इस संघर्ष मेंसफाईकर्मी, पुलिस बल और जरूरी सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित करनेवाले लोगउनका साथ बखूबी दे रहे हैं तथा अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. ये कोरोनायोद्धा हमारे पड़ोसी हो सकते हैं, हम एक ही मुहल्ले के वासी हो सकते हैं,ऐसे में हमें बतौर नागरिक और बतौर पड़ोसी उनके हौसले और उनकी लगन पर गर्वहोना चाहिए.

इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए देशवासियों ने उनके लिए लिएमंगल ध्वनि की और दीये जलाये. परंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारेजीवन को बचाने की कोशिश में जुटे इन बहादुर कर्मयोद्धाओं को अपने हीपड़ोसियों के तिरस्कार और बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. कोरोनासंकट के प्रारंभ से ही लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं. केंद्र एवं राज्यसरकारों की ओर से बार-बार आह्वान किया गया है कि कोरोना योद्धाओं काअपमान अनुचित, अनैतिक और आपराधिक है, पर ऐसे दुर्व्यवहार होते रहे हैं.

एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि कोविड-19 केसंक्रमण की रोकथाम के लिए अगली कतार में खड़े स्वास्थ्यकर्मियों के साथदुर्व्यवहार और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कोरोनायोद्धाओं को उचित ही अपराजेय कहा है क्योंकि उन्हीं की कोशिशों से न केवलसंक्रमण नियंत्रण में है, बल्कि बड़ी संख्या में संक्रमितों का सफल उपचारभी हो रहा है. हमें तो सभी चिकित्साकर्मियों और अन्य योद्धाओं का कृतज्ञहोना चाहिए.

उन्हें अपमानित करनेवाले लोग अपनी लघुता ही प्रदर्शित कर रहेहैं तथा कोरोना के विरुद्ध जारी लड़ाई को कमजोर बना रहे हैं. ऐसे लोगोंपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. पर, सरकार और कानून के साथ यह समाज की भीजिम्मेदारी है कि वह खराब आचरण कर रहे तत्वों का प्रतिकार करे. अबलॉकडाउन में बहुत ढील दी चुकी है, पर संक्रमण का खतरा पहले से कहीं अधिकबढ़ गया है. ऐसे में हमें अधिक स्वास्थ्यकर्मियों और अलग-अलग तरह कीजरूरी सेवाएं मुहैया करा रहे लोगों की दरकार है. सो, हमें उनके प्रतिबेहतर और आदरपूर्ण व्यवहार करना चाहिए.

हमारे देश में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या की तुलना मेंगंभीर रोगियों और मृतकों का अनुपात अनेक देशों से बहुत कम है. देशभर केछोटे-बड़े अस्पतालों और अस्थायी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सक औरस्वास्थ्यकर्मी दिन-रात संक्रमण के असर को कम करने तथा प्रभावित लोगों केउपचार में लगे हुए हैं. स्वास्थ्यकर्मियों की एक बड़ी संख्या लोगों कीजांच करने और सलाह देने में जुटी हुई है. एक भयावह अदृश्य वायरस केविरुद्ध हमारी लड़ाई की अगुवाई यही लोग कर रहे हैं.

इस काम में बहुत सेडॉक्टर, नर्स और सहायक स्टाफ स्वयं संक्रमण का शिकार हुए हैं तथा अपनेजीवन का बलिदान भी दिया है. उनके परिवार के सदस्यों को भी संक्रमित होनेका खतरा बना हुआ है. अक्सर ये स्वास्थ्यकर्मी समुचित संसाधनों कीउपलब्धता के अभाव में भी अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं. इस संघर्ष मेंसफाईकर्मी, पुलिस बल और जरूरी सामानों की आपूर्ति सुनिश्चित करनेवाले लोगउनका साथ बखूबी दे रहे हैं तथा अपनी जान की बाजी लगा रहे हैं. ये कोरोनायोद्धा हमारे पड़ोसी हो सकते हैं, हम एक ही मुहल्ले के वासी हो सकते हैं,ऐसे में हमें बतौर नागरिक और बतौर पड़ोसी उनके हौसले और उनकी लगन पर गर्वहोना चाहिए.

इसी भावना को अभिव्यक्त करते हुए देशवासियों ने उनके लिए लिएमंगल ध्वनि की और दीये जलाये. परंतु यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारेजीवन को बचाने की कोशिश में जुटे इन बहादुर कर्मयोद्धाओं को अपने हीपड़ोसियों के तिरस्कार और बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है. कोरोनासंकट के प्रारंभ से ही लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं. केंद्र एवं राज्यसरकारों की ओर से बार-बार आह्वान किया गया है कि कोरोना योद्धाओं काअपमान अनुचित, अनैतिक और आपराधिक है, पर ऐसे दुर्व्यवहार होते रहे हैं.

एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कहा है कि कोविड-19 केसंक्रमण की रोकथाम के लिए अगली कतार में खड़े स्वास्थ्यकर्मियों के साथदुर्व्यवहार और हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कोरोनायोद्धाओं को उचित ही अपराजेय कहा है क्योंकि उन्हीं की कोशिशों से न केवलसंक्रमण नियंत्रण में है, बल्कि बड़ी संख्या में संक्रमितों का सफल उपचारभी हो रहा है. हमें तो सभी चिकित्साकर्मियों और अन्य योद्धाओं का कृतज्ञहोना चाहिए.

उन्हें अपमानित करनेवाले लोग अपनी लघुता ही प्रदर्शित कर रहेहैं तथा कोरोना के विरुद्ध जारी लड़ाई को कमजोर बना रहे हैं. ऐसे लोगोंपर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. पर, सरकार और कानून के साथ यह समाज की भीजिम्मेदारी है कि वह खराब आचरण कर रहे तत्वों का प्रतिकार करे. अबलॉकडाउन में बहुत ढील दी चुकी है, पर संक्रमण का खतरा पहले से कहीं अधिकबढ़ गया है. ऐसे में हमें अधिक स्वास्थ्यकर्मियों और अलग-अलग तरह कीजरूरी सेवाएं मुहैया करा रहे लोगों की दरकार है. सो, हमें उनके प्रतिबेहतर और आदरपूर्ण व्यवहार करना चाहिए.

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