15.1 C
Ranchi
Friday, February 7, 2025 | 04:33 am
15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

चीन की आक्रामकता का जवाब जरूरी

Advertisement

चीन को समझना होगा कि यह बदला हुआ भारत है. इसका प्रमाण उसे डोकलाम में मिल गया था. मौजूदा स्थिति में भारत के पास जवाब देने और तैयार रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

Audio Book

ऑडियो सुनें

अवधेश कुमार, वरिष्ठ पत्रकार

awadheshkum@gmail.com

चीन के राजदूत तथा विदेश मंत्रालय के बयानों से कोई गलतफहमी पैदा नहीं होनी चाहिए कि चीन पीछे हट गया है. चीनी राजदूत सुन विडोंग ने केवल इतना कहा है कि मतभेद को द्विपक्षीय रिश्तों पर हावी नहीं होने देना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा है कि जहां तक भारत के साथ सीमा पर हालात का सवाल है, तो यह पूरी तरह से स्थिर और नियंत्रण में है. कोई समस्या होती है, तो हम विचार-विमर्श व सलाह से उसका समाधान करने में सक्षम हैं. ध्यान रखिए, ये दोनों बयान अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा मध्यस्थता करने के बयान के बाद आये हैं. यह चीन की रणनीति है. इसमें पीछे हटने का कोई संकेत है ही नहीं.

चीन के साथ तनाव की स्थिति का अंजादा इसी से लगाया जा सकता है कि पहले सेनाप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने लेह यात्रा की. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चारों जनरलों के साथ स्थिति की समीक्षा की. फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक की, जो बाह्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए भारत की सैन्य तैयारियों को मजबूत बनाने पर केंद्रित थी. इसमें भी लद्दाख में पैदा हुई स्थिति ही प्रमुख विषय बन गयी. उसके बाद से लगातार उच्च रक्षा स्तर पर विमर्श जारी है.

चीन की ओर से इन दिनों लद्दाख में वैसी ही हरकत की जा रही है, जैसी 2017 में डोकलाम में की गयी थी. चीन लद्दाख में गलवान नाला, डेमचौक और दौलत बेग तथा पैंगोंग त्सो झील के आसपास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की संख्या तेजी से बढ़ा रहा है. उसकी गतिविधियों का सीधा संकेत यही है कि वह भारतीय सेना से हुए टकराव को जल्द खत्म करना नहीं चाहता. भारत ने भी अपनी तैनाती बढ़ा दी है. बीते महीने दोनों देशों के सैनिकों के बीच तीन बार झड़प हो चुकी है. पांच मई को पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के पास भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गये.

अगले दिन तड़के सैनिकों के बीच झड़प हो गयी. दूसरी झड़प नौ मई को उत्तरी सिक्किम में नाकू ला सेक्टर में हुई, जिसमें 10 सैनिक घायल हुए. उसी दिन चीन ने लद्दाख में एलएसी पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे. जवाब में भारत ने लेह हवाई अड्डे से अपने लड़ाकू जहाज रवाना कर दिये. हाल के बरसों में ऐसा पहली बार हुआ, जब चीनी हरकत के जवाब में भारत ने अपने लड़ाकू विमान सीमा के पास भेजे. सैन्य सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ दिनों में दोनों देशों के स्थानीय कमांडरों ने दौलत बेग ओल्डी सेक्टर में छह बैठकें की हैं. पर मामला नहीं सुलझा.

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारतीय सैनिक अपनी सीमा में ही गतिविधि करते हैं और एलएसी के पार की गतिविधियों की बातें सही नहीं हैं. वास्तव में चीन की हरकतों की वजह से हमारी नियमित पेट्रोलिंग बाधित होती है. चीन के संदर्भ में यह सबसे कड़ा हालिया बयान है. कारण साफ है कि चीन एलएसी का उल्लंघन कर तनाव बढ़ा रहा है और आरोप भारत पर मढ़ रहा है. इसका परिणाम यह है कि भारतीय सेना पहले से ज्यादा तैयारी के साथ डट गयी है. चीन की जमीनी सीमा 14 देशों से लगती है, जिनमें से अधिकतर के साथ उसके सीमा विवाद हैं.

भारत और चीन की 3488 किलोमीटर लंबी सीमा पर कई बिंदु ऐसे हैं, जिन्हें चीन विवादित मानता है और हम भी. साल 1962 के युद्ध में चीन ने भारत के अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था. कहने को तो अक्साई चिन शीत मरुभूमि है, लेकिन रणनीतिक रूप यह काफी महत्वपूर्ण है. चीन हमेशा इसके संदर्भ में भारत से सशंकित रहता है. इसलिए वह दबाव बढ़ाने के लिए कई दावे करता है. चीन अरुणाचल प्रदेश के तवांग सहित लगभग पूरे इलाके को ही अपना कहता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. वह दोनों देशों के बीच की मैकमोहन लाइन को भी मानने से इनकार करता रहा है.

उसका तर्क है कि 1914 में तिब्बत के प्रतिनिधियों और ब्रिटिश भारत के बीच हुए समझौते में वह शामिल नहीं था और तिब्बत चीन का हिस्सा है, इसलिए उसके किसी भी समझौते का महत्व नहीं है. जिस पैगोंग त्सो झील पर अभी समस्या है, उससे होकर एलएसी गुजरती है. साल 1962 की लड़ाई में चीन ने इसी झील के जरिये सबसे भीषण हमला किया था. गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच एलएसी पर स्थित है. यह घाटी चीन के शिंजियांग प्रांत के दक्षिणी हिस्से से लेकर भारत के लद्दाख तक फैली हुई है. भारत लद्दाख के पूर्वी इलाके में आधारभूत ढांचा विकसित कर रहा है. चीन पहले ही इस इलाके में महत्वपूर्ण निर्माण कर चुका है, लेकिन अब भारत के निर्माण पर उसे आपत्ति है. चीन सड़क बनाये, तो सही, लेकिन हम बनायें, तो गलत? भारत ने बिल्कुल स्पष्ट कहा है वह अपने इलाके में सड़क निर्माण कर रहा है और यह ठीक वैसा ही जैसा चीन ने अपने इलाके में किया है.

चीन का यह आरोप कि भारत विवादित क्षेत्र में रक्षा सुविधाएं बढ़ा रहा है, दुनिया में शायद ही किसी के गले उतरेगा. उसकी समस्या अमेरिका से आये भारत के पक्ष में बयान से भी है. जिस चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के बयान पर कुछ लोग उत्साहित हैं, उनका ही तीन दिन पहले का बयान देखिये- भारत को एकतरफा कार्रवाई से बचना चाहिए और स्थिति को जटिल बनाने से भी बचना चाहिए. यह स्थिति उल्टे चोर कोतवाल को डांटे वाली है. उसका इरादा समझना होगा. वह पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत के प्रखर रुख से चिंतित है. अनुच्छेद 370 हटाने पर भी उसकी प्रतिक्रिया पाकिस्तान के अनुकूल थी. और अब कोरोना महामारी में दुनियाभर में हो रही मुखालफत के बाद अनेक देश वहां से कंपनियां हटा रहे हैं, जिनका ध्यान भारत की ओर है.

उसके सरकारी अखबार भारत के खिलाफ आग उगल रहे हैं. भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन में विश्व समुदाय के साथ जाकर कोरोना की उत्पत्ति एवं प्रसार की जांच का समर्थन किया, जिससे भी वह आगबबूला होगा. चीन को समझना होगा कि यह बदला हुआ भारत है. इसका प्रमाण उसे डोकलाम में मिल गया था. जो स्थिति उसने पैदा की है, उसमें भारत के पास जवाब देने और तैयार रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

(यह लेखक के निजी विचार है)

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें