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अपराधियों ने एक दिन पहले ही फोन कर कहा था, फिरौती की रकम न दी, तो अरुण को मार देंगे और सच में मार दिया

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30 लाख फिरौती नहीं मिलने व पुलिस को सूचना देने से नाराज अपराधियों ने 20 जून को अगवा साहिबगंज के बोरिया निवासी व्यवसायी अरुण साहा की हत्या 28 जून को कर दी.

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रांची : 30 लाख फिरौती नहीं मिलने व पुलिस को सूचना देने से नाराज अपराधियों ने 20 जून को अगवा साहिबगंज के बोरिया निवासी व्यवसायी अरुण साहा की हत्या 28 जून को कर दी. 27 जून को ही अपराधियों ने अगवा व्यवसायी के भाई को फोन कर फिरौती मांगी थी. भाई ने कहा कि दस दिन और मोहलत दे दें. इस पर अपराधियों ने कहा कि बहुत हो गया. 28 को तुम्हारे भाई की हत्या कर देंगे. पुलिस कुछ नहीं कर पायेगी.

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दूसरी ओर, बरहेट थाना की पुलिस सूझबूझ से काम लेती तो अगवा व्यवसायी को 27 जून को ही मुक्त कराया जा सकता था. पुलिस के अनुसार, चांद मुर्मू व रामदास मुर्मू का गैंग अगवा व्यवसायी को लेकर लुट्टुघुट्टु में छिपा था. बरहेट थाना की पुलिस सादा लिबास में बाइक से गांव में पहुंची. अपराधियों की नजर उन पर पड़ी तो उन्होंने गोली चला दी. इसमें बाइक चला रहे एएसआइ चंद्राय सोरेन घायल हो गया. वहीं अपराधियों ने थानेदार हरीश पाठक को सिर पर बंदूक की बट्ट से हमला कर घायल कर दिया था. बाद सभी भाग गये. दिन के 12.30 बजे यह सब हुआ. पुलिस अगर पूरे गांव की घेराबंदी करती तो अपराधी भी पकड़े जाते और व्यवसायी भी मुक्त हो जाता. लेकिन रविवार को अपहरणकर्ताओं ने व्यवसायी अरुण साहा की हत्या कर शव को फेंक दिया.

अपराधियों ने अगवा व्यवसायी के भाई को 27 जून को फोन कर मांगी थी 30 लाख रुपये फिरौती

अगवा व्यवसायी अरुण साह का शव रविवार की सुबह बोरियो थाना क्षेत्र के छोटा बरमसिया स्थित डेमघुटु श्मशान घाट से पुलिस ने बरामद किया. घटनास्थल से एक गोली मिली है. अपहर्ताओं ने अरुण साहा को दो गोली पीठ में और एक गोली मुंह में मारी है. शनिवार को अरुण साहा को अपहर्ताओं के चंगुल से छुड़ाने के लिए पुलिस बरहेट के बोड़बांध में छापेमारी करने गयी थी. वहां घात लगाये अपहर्ताओं ने बरहेट थाना के एएसआइ चंद्राय सोरेन को गोली मार दी थी. ग्रामीणों के अनुसार शनिवार की देर रात करीब एक बजे तीन राउंड फायरिंग की आवाज सुनाई पड़ी थी. सुबह छोटा बरमसिया गांव का एक व्यक्ति अपनी खेत की ओर जा रहा था, तभी श्मशान घाट में पड़ी लाश देखकर सूचना तेलो पंचायत के मुखिया को दी.

घायल एएसआइ की स्थिति गंभीर : बोरिया में शनिवार को अपहर्ताओं के साथ हुए मुठभेड़ में घायल एएसआइ चंद्राय सोरेन की स्थिति गंभीर बनी हुई है. मेडिका अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. अस्पताल प्रबंधन के अनुसार शनिवार की रात में ही सीने में लगी गोली को ऑपरेशन कर डॉ रमेश दास ने निकाल दिया है. फिलहाल उन्हें क्रिटिकल केयर यूनिट में वेंटिलेटर पर रखा गया है. उन्हें शनिवार को हेलीकॉप्टर से रांची भेजा गया था.

बरहेट में पुलिस पर हमला व बोरियो में अपहरण के बाद हत्या मामले में अभी तक किसी भी आपराधिक संगठन का नाम सामने नहीं आया है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. उक्त कांड में जो भी अपराधी हैं, उनकी गिरफ्तारी के पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. जल्द ही मामले का उद‍्भेदन होगा.

नरेंद्र कुमार सिंह, डीआइजी दुमका

अपराधियों व परिजन के बीच हुई बातचीत का ऑडियो वायरल

27 जून को अरुण के भाई मनोज साहा से दो अपहरणकर्ताओं ने काफी देर तक बात की थी. इसकी रिकॉर्डिंग वायरल हुई है. इसमें अपहरणकर्ताओं के तेवर देख साफ लगता है कि इन्हें पुलिस का कोई डर नहीं है. यह जो चाहेंगे, वही करेंगे. उन्होंने फोन पर कहा था कि 28 जून को भाई को मार देंगे और उन्होंने ऐसा किया भी. लेकिन, तमाम दावों के बाद भी पुलिस कुछ नहीं कर सकी. हालांकि, पुलिस ने ऑडियो की पुष्टि नहीं की है.

अपहरणकर्ता : तुम्हारा आदमी अरुण हमलोगों के कब्जे में है. पैसा का व्यवस्था किये?

भाई : पैसा का व्यवस्था अभी तक नहीं हुआ है. जो डिमांड किये हैं, उतना पैसा कहां से आयेगा? हमलोग रोज कमाने-खाने वाले लोग हैं.

अपहरणकर्ता : हमलोग पहले ही सोच लिए तब न अपहरण किये.

भाई : हमलोग व्यवस्था करने में लगे हैं, लेकिन उतना व्यवस्था होगा तब न.

अपहरणकर्ता : थाना का दौरा कर रहे हैं, क्या पुलिस अरुण को बचा लेगा?

भाई : थाना नहीं जा रहे हैं भैया.

अपहरणकर्ता : तुम लोगों को अरुण की जरूरत है कि नहीं. नहीं तो बोलो, उसको ऊपर भेज देते हैं.

भाई : आप लोग ऐसा मत कीजियेगा.

अपहरणकर्ता : हमलोग यहां उसको दूल्हा बनाने के लिए नहीं रखे हैं.

भाई : हमलोग व्यवस्था कर रहे हैं पैसा का, दो-चार दिन रुकिए.

अपहरणकर्ता : हमलोग ज्यादा दिन नहीं रुकेंगे. रोहित कौन है?

भाई : रोहित गांव का ही है.

अपहरणकर्ता : गांवे का है. तुम लोगों का कोई नहीं लगता है.

भाई : गाेतिया का ही है.

अपहरणकर्ता : क्या वह तुम लोगों को कोई खबर नहीं पहुंचाया है?

भाई : नहीं, कोई खबर नहीं दिया है.

अपहरणकर्ता : नहीं दिया है खबर. ठीक है, तो अरुण गया काम से.

भाई : ऐसा मत कीजियेगा. पैसा का व्यवस्था कर रहे हैं. और कम से कम आठ-दस दिन का टाइम दीजिए.

अपहरणकर्ता : टाइम नहीं है.

भाई : आठ दिन में पैसा का व्यवस्था हो जाता है, तो कहां पहुंचायेंगे?

अपहरणकर्ता : आज शाम तक पैसा देना होगा. कितना पैसा जुटाये?

भाई : 60-70 हजार जमा हो पाया है. लॉकडाउन में बैंक भी पैसा नहीं दे रहा. हमलोगों के पास एटीएम भी नहीं है.

दूसरा अपहरणकर्ता : इसका मतलब तुम लोगों को अरुण की जरूरत नहीं है. रोहित ने बताया है कि तुम लोगों ने 20 लाख का जुगाड़ कर लिया है.

भाई : देखिए, रोहित गांव का है. उसे नहीं पता कि हमलोग कितना पैसा का जुगाड़ किये हैं.

दूसरा अपहरणकर्ता : कैसे बोल रहे हो कि रोहित गांव का है, वह तुम्हारे चाचा का लड़का है. Âबाकी पेज 11 पर

अपराधियों व परिजन..

भाई : उ गोतिया है.

दूसरा अपहरणकर्ता : हम सब जानते हैं कि कौन क्या है. अब तुम मान लो कि तुम्हारा आदमी गया. अपहरण के बाद बोला था कि चार दिन में पैसे का जुगाड़ कर देंगे. अब आठ दिन हो गया. क्या किया हमलोगों के लिए. तुम्हारे आदमी के अलावा तुम्हारे परिवार के बाकी लोगों को भी मारेंगे.

भाई : ऐसा मत कीजियेगा. हमलोगों को भी जीने दीजिए. आप भी अपना काम कर लीजिए. बस थोड़ा टाइम दे दीजिए.

दूसरा अपहरणकर्ता : तुम लोग पुलिस के पास रोज जाता है. पुलिस का कर लेगी, वह क्या ढूंढ़ पायेगा तुम्हारे आदमी को.

भाई : ऐसा बात नहीं है.

दूसरा अपहरणकर्ता : तुम अरुण का भाई मनोज बोल रहे हो न. तुम्हारा मोबाइल दुकान है न. अब वह दुकान भी खत्म हो जायेगा.

भाई : हमलोगों पैसा जुगाड़ करने में लगे हैं. बस 10 दिन दे दीजिए हमलोगों को कुछ करेंगे.

दूसरा अपहरणकर्ता : 10 दिन? अब तुम्हारा भाई गया. कल मेन रोड में तुम्हारा भाई का बॉडी तुम लोगों को मिल जायेगा.

भाई : ऐसा मत कीजियेगा.

दूसरा अपहरणकर्ता : फोन काट दिया.

Post by : Pritish Sahay

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