21.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 02:07 pm
21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Hool Kranti Diwas : आजादी की पहली लड़ाई थी झारखंड की हूल क्रांति ! जानिए 10 खास बातें

Advertisement

रांची : झारखंड वीर सपूतों की धरती रही है. यहां के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जिस दिन विद्रोह किया था, उस दिन को हूल क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1857 की लड़ाई आजादी की पहली लड़ाई मानी जाती है, लेकिन झारखंड के आदिवासी वीर सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ 1855 में ही विद्रोह का झंडा बुलंद किया था. 30 जून को हर वर्ष हूल दिवस मनाया जाता है. आइए जानते हैं हूल क्रांति की 10 खास बातें. पढ़िए गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची : झारखंड वीर सपूतों की धरती रही है. यहां के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ जिस दिन विद्रोह किया था, उस दिन को हूल क्रांति दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1857 की लड़ाई आजादी की पहली लड़ाई मानी जाती है, लेकिन झारखंड के आदिवासी वीर सपूतों ने अंग्रेजों के खिलाफ 1855 में ही विद्रोह का झंडा बुलंद किया था. 30 जून को हर वर्ष हूल दिवस मनाया जाता है. आइए जानते हैं हूल क्रांति की 10 खास बातें. पढ़िए गुरुस्वरूप मिश्रा की रिपोर्ट.

- Advertisement -

1. अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह

1857 की लड़ाई आजादी की पहली लड़ाई मानी जाती है, जबकि झारखंड के आदिवासी वीर सपूतों ने 1855 में ही अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का झंडा बुलंद किया था. इस दौरान अपनी बहादुरी से अंग्रेजों के दांत इन्होंने खट्टे कर दिये थे.

2. भोगनाडीह से शुरू हुआ था विद्रोह

झारखंड में 30 जून, 1855 को अमर शहीद सिदो-कान्हू के नेतृत्व में साहेबगंज जिले के भोगनाडीह गांव से विद्रोह शुरू हुआ था. करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो नारे के साथ आदिवासी समुदाय ने अपनी वीरता का प्रदर्शन किया था.

3. नहीं देंगे मालगुजारी

30 जून, 1855 को करीब 400 गांवों के 50 हजार आदिवासी साहेबगंज के भोगनाडीह गांव पहुंचे थे. इसके साथ ही हूल क्रांति की शुरुआत हुई थी. सभा के दौरान घोषणा की गयी थी कि वे अब अंग्रेजों को मालगुजारी नहीं देंगे.

4. गिरफ्तार करने का आदेश

मालगुजारी नहीं देने की घोषणा सुनते ही अंग्रेज बौखला गये और उन्होंने सिदो, कान्हो, चांद व भैरव को गिरफ्तार करने का आदेश दे दिया था. इससे ये जरा भी घबराये नहीं, बल्कि डटकर मुकाबला किया. जिस दारोगा को इन्हें गिरफ्तार करने के लिए भेजा गया था, संथालियों ने उसकी गर्दन काट दी थी.

5. अत्याचार के खिलाफ विद्रोह

इस्ट इंडिया कंपनी ने अपना राजस्व बढ़ाने के लिए जमींदारों की फौज तैयार की, जो पहाड़िया, संथाली और अन्य से जबरन लगान वसूलने लगे. इस कारण इन्हें साहूकारों के कर्ज लेने पड़े. इसके बाद साहूकारों का अत्याचार बढ़ता गया. इससे त्रस्त होकर इन्होंने विद्रोह का बिगुल फूंकना शुरू कर दिया.

6. आंदोलन दबाने के लिए भेजी सेना

झारखंड के अमर शहीद सिदो, कान्हो, चांद व भैरव ने लगान को लेकर बढ़ते अत्याचार व असंतोष को लेकर विद्रोह का नेतृत्व किया. इनके आंदोलन को दबाने के लिए अंग्रेजों ने उस इलाके में सेना भेज दी थी और बड़ी संख्या में आदिवासियों की गिरफ्तारी की गई.

7. सेना ने बरसायी गोलियां

झारखंड के इन वीर शहीद आदिवासियों की वीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अंग्रेजों को इन्हें नियंत्रित करने के लिए सेना भेजनी पड़ी. सेना द्वारा गोलियां बरसायी जाने लगीं.

8. मार्शल लॉ लगाया, पुरस्कार की घोषणा

झारखंड के इन आंदोलनकारियों को नियंत्रित करने के लिए मार्शल लॉ लगा दिया गया था. इतना ही नहीं, इन आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी के लिए अंग्रेजों ने पुरस्कारों की भी घोषणा की थी.

9. चांद-भैरव हो गये थे शहीद

अंग्रेजों और झारखंड आंदोलनकारियों की लड़ाई में अमर शहीद चांद व भैरव शहीद हो गये थे. बताया जाता है कि आखिरी सांस तक इन्होंने लड़ाई लड़ी. इसमें करीब 20 हजार आदिवासी शहीद हो गये थे.

10. अमर शहीद चांद, भैरव, सिदो व कान्हो

26 जुलाई को अमर शहीद सिदो-कान्हो को साहेबगंज के भोगनाडीह में फांसी की सजा दे दी गयी. इस तरह चांद, भैरव, सिदो व कान्हो हूल क्रांति के दौरान शहीद हो गये.

Posted By : Guru Swarup Mishra

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें