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मां गंगा की पूजा का विशेष महत्व, पूजा करने से भगवान शिव होते हैं प्रसन्न

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बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण की सभी मंदिरों का धार्मिक महत्व है. सभी मंदिरों की अपनी अलग अलग कहानी है. इनमें बाबा वैद्यनाथ की जटा से निकले मां गंगा की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां गंगा की पूजा करने से बाबा प्रसन्न होते हैं. भक्तों की मनोकामना पूरा करते हैं. यही वजह है कि मां गंगा की पूजा करने के लिए मां गंगा मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.

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बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण की सभी मंदिरों का धार्मिक महत्व है. सभी मंदिरों की अपनी अलग अलग कहानी है. इनमें बाबा वैद्यनाथ की जटा से निकले मां गंगा की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि मां गंगा की पूजा करने से बाबा प्रसन्न होते हैं. भक्तों की मनोकामना पूरा करते हैं. यही वजह है कि मां गंगा की पूजा करने के लिए मां गंगा मंदिर में भक्तों की लंबी कतार लगी रहती है.

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मां के दर्शन पूजा के लिए आधे घंटे से लेकर 1 घंटे तक इंतजार करते हैं. इस मंदिर का निर्माण 19वीं सदी में सरदार पंडा श्री श्री भवप्रिता नंद ओझा ने कराई थी. यह मंदिर बाबामंदिर के पीछे पश्चिम व उत्तर के कोने की तरफ स्थित है. यह राम मंदिर व आनंद भैरव मंदिर के सामने स्थित है. गंगा मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है.

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यह आकार में छोटा मंदिर है. इसकी लंबाई लगभग 20 फीट एवं चौड़ाई लगभग 10 फीट है. गंगा मंदिर के शिखर पर तांबे का कलश है. उसके ऊपर पंचशूल नहीं होकर त्रिशूल लगी हुई है. इस मंदिर का दरवाजा दक्षिण मुख की ओर है. इस मंदिर में पीतल के दरवाजे लगे हैं. मां के मंदिर में दर्शन करने से पहले भक्त मुख्य दरवाजा को प्रणाम करते हैं. इसके बाद अंदर प्रवेश करते हैं.

मां गंगा की संग मरमर के सफेद पत्थर से बनी चार हाथवाली मूर्ति है. यह खड़ी मुद्रा में है. अपने वाहन मगरमच्छ पर विराजमान हैं. इस मूर्ति की हाइट लगभग दो फीट है. मंदिर प्रवेश के लिए एक ही दरवाजा है. भक्त एवं पुजारी दोनों इसी से प्रवेश करते हैं. पूजा करके बाहर निकलते हैं. मां गंगा की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. इस मंदिर में खवाड़े परिवार की ओर से प्रतिदिन पूजा की जाती है. इसके अलावा खवाड़े परिवार के द्वारा अपने यजमान को संकल्प पूजा कराते हैं.

Posted By: Pawan Singh

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