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‘परीक्षा’ किसी एक की कहानी नहीं, कई कहानियों से प्रेरित है : प्रकाश झा

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मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण,राजनीति, आरक्षण, सत्याग्रह, चक्रव्यूह और जय गंगाजल जैसी फिल्मों का निर्माण कर चुके निर्माता निर्देशक प्रकाश झा की फ़िल्म परीक्षा द फाइनल टेस्ट ने ओटीटी प्लेटफार्म ज़ी फाइव पर दस्तक दे दी है. ये फिल्म झारखंड की राजधानी रांची में शूट की गई है. उनकी इस फिल्म और उससे जुड़े मुद्दों पर उर्मिला कोरी की बातचीत

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आपकी फिल्म डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है, इसको लेकर आपर कितने खुश हैं ?

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किसी भी रिलीज से आदमी खुश होता है. फिल्म रिलीज हो रही है।यही बड़ी बात है मौजूदा जो हालात हैं उसमें. हां, थिएटर को मिस कर रहा हूं क्योंकि हमारा मुख्य उद्देश्य थिएटर ही होता है.

आपकी फिल्म परीक्षा बिहार के डीजीपी अभ्यानंद की कहानी से प्रेरित बतायी जा रही है

किसी एक की कहानी से यह प्रेरित नहीं है. कई कहानियों से यह फ़िल्म प्रेरित है. अभ्यानंद जी ने एक कहानी सुनायी थी. वो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में जाते थे. वहां के बच्चों को वो फिजिक्स पढ़ाने लगे थे. उन बच्चों की इंटेलीजेंसी उन्हें बहुत प्रभावित करती थी ये कहानी मुझे छू गयी थी. उससे फिल्म का एक पात्र है. दूसरी कहानियों से फ़िल्म के दूसरे पात्र आए हैं.

परीक्षा गरीब तबके के होनहार बच्चे की कहानी है. फ़िल्म शिक्षा में क्लास डिफरेंस के अहम मुद्दे को उठा रही है ?

मैं कोई मुद्दा उठाता नहीं हूं ना ही समाधान देना चाहता हूं. हम चाहते हैं कि हम अच्छी सी कहानी कहें. जिसे लोग देखें उसको एन्जॉय करें. जिसके इमोशन में लोग उलझे. बाकी जो ताने बाने बुनते हैं।उनमें बहुत सारी चीज़ें आ जाती हैं. वो दर्शकों पर हैं कि वो क्या घर ले जाना चाहते हैं क्या नहीं.

क्या आप नहीं चाहते सिनेमा में बदलाव की कूवत भी हो ?

कौन नहीं चाहता है बदलाव. हम सभी चाहते हैं कि जो चीज़ें अच्छी नहीं हैं. उनमें बदलाव आए लेकिन फिल्मों के ज़रिए बदलाव आएगा।ये मैं नहीं समझता हूं.

मात्र एक फ़िल्म से लोग की सोच बदल सकती है क्या ?

हो सकता है कि बदल भी सकता है।मैंने इसका विश्लेषण नहीं किया है. वैसे फिल्ममेकर के तौर पर मैं अपनी फिल्म की कहानी,पात्र या दूसरे प्रतिबिम्बों से कुछ बातों ,घटनाओं चर्चा में ज़रूर लाना चाहता हूं. बदलाव होगा या नहीं लेकिन चर्चा ज़रूर चाहता हूं.

नई शिक्षा नीति पर आपका क्या कहना है जिस देश में अभी भी हज़ारों स्कूल बिना छत और पर्याप्त शिक्षकों के चल रहे हैं क्या ये शिक्षा नीति दूर की कौड़ी नहीं है ?

उन्ही चीजों को ठीक करने के लिए तो शिक्षा नीति आयी है. कम से कम इस बार सरकार ने जीडीपी का 6 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात तो की है.

अच्छे टीचर्स पैदा करने के लिए चार साल का बीएड कोर्स करवाए जाएंगे. सारे सुविधाएं मुहैया हो हम रोडर सिस्टम में ना जाए इसकी बात हो रही है. अच्छे एजुकेशन सेंटर्स हर जगह बनें. इसकी बात हो रही है. नीति का मूल लक्ष्य तो अच्छा है. अब जमीन पर कैसी उतरती है. ये देखना है.

आपकी फिल्मों को देखेंगे तो माधुरी दीक्षित से प्रियंका चोपड़ा, अजय देवगन से रणबीर कपूर तक जैसे पॉपुलर सुपरस्टार लगातार इसका हिस्सा बनते रहे हैं, इस बार आपकी कहानी में कोई सुपरस्टार एक्टर्स नहीं है ?

ये तो हॉलीवुड के स्टार्स हैं. स्टार ट्रैक , लाइफ ऑफ पाई जैसी फिल्में आदिल ने की है. प्रियंका ने हॉलीवुड फिल्म लायन की है. जो कहानी की डिमांड होती हैं. हम एक्टर का चुनाव उसी हिसाब से करते हैं. बॉलीवुड का सुपरस्टार कहानी से जोड़ना है. ये मेरी प्राथमिकता नहीं होती है.

परीक्षा की शूटिंग रांची में हुई है कैसा अनुभव रहा ?

रांची से बचपन वाला कनेक्शन रहा है तो हमेशा इससे बहुत खास लगाव रहा है. हजारीबाग में जब पढ़ता था तो वहां से रांची आता जाता था. अभी मॉल के लिए भी अक्सर रांची जाता रहता हूं. फ़िल्म की कहानी के अनुसार रांची सबसे सटीक था और शूटिंग के लिहाज से भी अच्छा था.

लॉकडाउन में खुद को किस तरह से बिजी रखा ?

मेरी कुछ फिल्मों का पोस्ट प्रोडक्शन काम चल रहा था तो उनसे कॉर्डिनेट करता था क्योंकि अलग अलग जगहों पर काम हो रहा था. खूब सारी किताबें पढ़ी. जब लॉकडाउन घोषित हुआ उसके एक दो हफ्ते में ही समझ आ गया था कि ये जल्दी से खत्म होने वाला नहीं है. खुद को पॉजिटिव रखा. आप खुद को बिजी रखते हैं तो पॉजिटिव होते ही हैं.

अपने आनेवाले प्रोजेक्ट्सके बारे में बताइए

वेब सीरीज आश्रम आ रही है. एक फ़िल्म आ रही है जिसमें मैंने एक्टिंग की है. फिलहाल ये फ़िल्म फेस्टिवल्स में जा रही है.

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