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फ्लैट खरीददार को वादे के मुताबिक नहीं मिलीं सुविधाएं तो वह मुआवजे के हकदार, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

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supreme court news: फ्लैट खरीददार मकान पर कब्जा मिलने में देरी और बिल्डर द्वारा वादे के अनुरूप सुविधाएं देने में असफल होने पर मुआवजे के हकदार हैं. इसके साथ ही वे बिल्डर के साथ किए गए समझौते में तय धनराशि से अधिक का मुआवजा पाने के भी अधिकारी हैं. सोमवार को आए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उन बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी जो वादे के मुताबिक खरीददार को फ्लैट नहीं सौंपते.

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supreme court news: फ्लैट खरीददार मकान पर कब्जा मिलने में देरी और बिल्डर द्वारा वादे के अनुरूप सुविधाएं देने में असफल होने पर मुआवजे के हकदार हैं. इसके साथ ही वे बिल्डर के साथ किए गए समझौते में तय धनराशि से अधिक का मुआवजा पाने के भी अधिकारी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. सोमवार को आए कोर्ट के इस फैसले के बाद उन बिल्डरों की मनमानी पर रोक लगेगी जो वादे के मुताबिक खरीददार को फ्लैट नहीं सौंपते.

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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें उसने दो जुलाई, 2019 को 339 फ्लैट खरीददारों की शिकायत को खारिज कर दिया था. इस आदेश में कहा गया था कि फ्लैट खरीददार विलंब या वादे के अनुरूप सुविधाएं नहीं मिलने की स्थिति में फ्लैट खरीद समझौतों में निर्धारित की गई राशि से अधिक मुआवजे के हकदार नहीं हैं.

ये है पूरा मामला

बता दें कि खरीददारों ने बेंगलुरु के बेगू स्थित न्यू टाउन, डीएलएफ, बीटीएम में डीएलएफ साउदर्न होम्स प्राइवेड लिमिटेड के जरिये फ्लैट की बुकिंग की थी. अब यह कंपनी बेगुर ओएमआर होम्स प्राइवेड लिमिटेड से जानी जाती है. यह परियोजना 27.5 एकड़ में फैले क्षेत्र में विकसित की जा रही थी और इसमें 1980 फ्लैट का निर्माण होना था, जो 19 बहुमंजिल इमारतों में होना था. प्रत्येक इमारत में 18 मंजिलें थीं.

फ्लैट खरीददारों ने एसीडीआरसी में शिकायत दर्ज कर कब्जा देने में देरी के लिए मुआवजा, समझौते के तहत कर और ब्याज की राशि की वापसी, सुविधाओं में कमी, बिजली के लिए बिल्डर द्वारा वसूली गई राशि, क्लब हाउस नहीं बनाने पर राशि वापस दिलाने का अनुरोध किया था. एनसीडीआरसी ने माना कि फ्लैट पर कब्जा देने में देरी हुई लेकिन कहा कि समझौते के तहत प्रति वर्ग फुट पांच रुपये की दर से प्रत्येक महीने मुआवजे का भुगतान किया गया. एनसीडीआरसी ने कहा कि खरीददार समझौते में जिस राशि पर सहमत हुए, उससे अधिक के मुआवजे के लिए अतिरिक्त राशि के लिए अधिकृत नहीं हैं.

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53 पन्नों का फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने क्या कहा

मामले पर 53 पन्नों का फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि हम इस नतीजे पर पहुंचे है कि एनसीडीआरसी द्वारा शिकायत को खारिज करना त्रृटिपूर्ण है. फ्लैट खरीददार मकान पर कब्जा देने में देरी और बिल्डर द्वारा सुविधाएं देने के वादे को पूरा करने में असफल होने पर मुआवजे के लिए अधिकृत हैं.

आगे कहा कि इन पहलुओं पर एनसीडीआरसी का तर्क एक स्पष्ट विकृति और कानून की मूल त्रुटियों से ग्रस्त है, जो इस निर्णय के पहले भाग में देखा गया है. इस मामले में अपील को अनुमति दी जाती है और हम एनसीडीआरसी के दो जुलाई 2019 के उपभोक्ता की शिकायत को रद्द करने के फैसले को निरस्त करते हैं.

Posted By: Utpal kant

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