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Ganesh Utsav 2020: तुलसी जी ने क्यों दिया था भगवान गणेशजी को दो विवाह होने का श्राप, जानिए इनकी विवाह से जुड़ी रोचक कहानी…

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Ganesh utsav 2020: पूरे देश में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस समय गणपति बप्पा घर-घर में विराजमान है. सभी भक्त भगवान गणपति को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. 22 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत भगवान गणेश के जन्मोत्सव यानी गणेश चतुर्थी से हुई. वहीं, 10 दिनों बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इस पर्व का समापन किया जाएगा. भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय होने का दर्जा प्राप्त है.

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Ganesh utsav 2020: पूरे देश में गणेशोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस समय गणपति बप्पा घर-घर में विराजमान है. सभी भक्त भगवान गणपति को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं. 22 अगस्त से 1 सितंबर तक चलने वाले इस पर्व की शुरुआत भगवान गणेश के जन्मोत्सव यानी गणेश चतुर्थी से हुई. वहीं, 10 दिनों बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इस पर्व का समापन किया जाएगा. भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय होने का दर्जा प्राप्त है. किसी भी पूजा या शुभ आयोजन की शुरुआत गणपति की अराधना के साथ ही होती है. आइए जानते है भगवान गणेश की शादी से जुड़ी रोचक कहानी…

एक बार भगवान गणेशजी बैठकर ध्यान कर रहे थे, इसी समय कुछ देर बाद देवी तुलसी जी निकलीं. गणेश जी की विचित्र छवि ने तुलसी जी को बहुत अधिक प्रभावित किया. तुलसी जी ने भगवान गणेश से विवाह करना चाहा. ध्यान से उठने पर भगवान गणेश से देवी तुलसी ने कहा कि प्रभु मैं आपसे विवाह करना चाहती हूं आप मेरा साथ स्वीकार कीजिए.

भगवान गणेश जी ने देवी तुलसी जी से विवाह करने के लिए मना कर दिया. इस बात से तुलसी जी क्रोधित हो गई और गणेश जी को यह श्राप दिया कि तुम आज शादी करने से मना कर रहे हो और एक समय आएगा जब तुम्हारी दो शादी होगी और दो पत्नियों के साथ तुम अपना जीवन व्यतीत करोगे.

तुलसी जी के श्राप को कुछ समय बीता तब तक भगवान गणेश की भी विवाह करने की इच्छा होने लगी. कोई भी देवी-देवता अपनी पुत्री का विवाह भगवान गणेश से नहीं करना चाहते थे. देवताओं का कहना था कि सभी देवी देवता इतने अधिक रूपवान हैं और गणपति देवताओं से अलग दिखते हैं, इसलिए उनसे कोई विवाह नहीं करना चाहता था. गणेश जी का विवाह नहीं होने के कारण गणपति क्रोधित रहने लगे और जिस भी देवी देवता का विवाह होता उनमें विघ्न उत्पन्न करते रहते थे.

इस समस्या का हल ढूंढने के लिए ब्रह्मा जी ने दो मानस पुत्रियों को उत्पन्न किया. उनका नाम रिद्धि-सिद्धि रखा. इन दोनों पुत्रियों को यह आदेश दिया कि जब भी भगवान गणेश किसी देवी या देवता के विवाह में विघ्न डालने लगे उस समय उनका ध्यान किसी और विषय पर केंद्रित कर देना ताकि गणेश जी की वजह से विवाह में विघ्न ना आए.

कुछ समय तक इसी तरीके रिद्धि सिद्धि उनका ध्यान दूसरे विषयों पर लगाती रहीं. जब भगवान गणेश को ध्यान आया कि रिद्धि सिद्धि की बातों में लग कर सभी देवी-देवताओं को विवाह हो गया और वह अविवाहित रह गए तो उन्हें बहुत क्रोध आया. इसका पता लगने पर ब्रह्मा जी रिद्धि-सिद्धि के साथ गणेश जी के समक्ष प्रकट हुए. उनसे रिद्धि-सिद्धि से विवाह करने को कहा. भगवान गणपति ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया. इसी के साथ देवी तुलसी का श्राप सच साबित हुआ. भविष्य में उनके दो पुत्र शुभ लाभ भी हुए. साथ ही एक पुत्री यानी देवी संतोषी भी हुईं.

News posted by : Radheshyam kushwaha

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