27.1 C
Ranchi
Tuesday, February 11, 2025 | 01:37 pm
27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

प्रशांत भूषण का आरोप, न्यायालय की अवमानना की शक्ति का कभी – कभी दुरूपयोग किया जाता है

Advertisement

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि न्यायपालिका के बारे में चर्चा रोकने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने की कोशिश में न्यायालय की अवमानना की शक्ति का कभी-कभी दुरूपयोग किया जाता है. उल्लेखनीय है कि न्यायालय की अवमानना को लेकर उच्चतम न्यायालय ने भूषण को हाल ही में दोषी ठहराया था और उन पर जुर्माना लगाया है .

Audio Book

ऑडियो सुनें

नयी दिल्ली : वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया है कि न्यायपालिका के बारे में चर्चा रोकने या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने की कोशिश में न्यायालय की अवमानना की शक्ति का कभी-कभी दुरूपयोग किया जाता है. उल्लेखनीय है कि न्यायालय की अवमानना को लेकर उच्चतम न्यायालय ने भूषण को हाल ही में दोषी ठहराया था और उन पर जुर्माना लगाया है .

- Advertisement -

भूषण ने बुधवार को एक कार्यक्रम में न्यायालय की अवमानना अधिकार क्षेत्र को ‘‘बहुत ही खतरनाक” बताया और कहा कि इस व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक, जो न्याय प्रणाली और उच्चतम न्यायालय के कामकाज को जानते हैं, स्वतंत्रत रूप से अपने विचार अभिव्यक्त करने में सक्षम होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य से उसे भी अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बता कर न्यायालय की अवमानना के रूप में लिया जाता है. ”

Also Read: 9 सितंबर से दिल्ली में खुल जायेंगे पब और बार, होटल में भी परोसा जा सकेगा शराब

फॉरेन कॉर्सपोंडेंट्स क्लब ऑफ साउथ एशिया द्वारा ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं भारतीय न्यायपालिका” विषय पर आयोजित वेब सेमिनार में भूषण ने कहा, ‘‘इसमें न्यायाधीश आरोप लगाने वाले अभियोजक और न्यायाधीश के रूप में कार्य करते हैं. ” उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही खतरनाक अधिकार क्षेत्र है जिसमें न्यायाधीश खुद के उद्देश्य की पूर्ति के लिये कार्य करते हैं और यही कारण है कि दंडित करने की यह शक्ति रखने वाले सभी देशों ने इस व्यवस्था का उन्मूलन कर दिया. यह भारत जैसे कुछ देशों में ही जारी है.

” शीर्ष अदालत ने न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के ट्वीट को लेकर उन पर एक रुपये का सांकेतिक जुर्माना लगाया था. न्यायालय ने उन्हें जुर्माने की राशि 15 सितंबर तक जमा करने का निर्देश दिया और कहा कि ऐसा करने में विफल रहने पर उन्हें तीन महीने की कैद की सजा और तीन साल तक वकालत करने से प्रतिबंधित किया जा सकता हे. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका के बारे में मुक्त रूप से चर्चा या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने की कोशिश में न्यायालय की अवमानना की शक्ति का कभी-कभी दुरूपयोग किया जाता है.

भूषण ने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा कि न्यायाधीशों के खिलाफ अस्वीकार्य या गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले कोई आरोप नहीं लगाये जा रहे हैं. ऐसा हो रहा है. लेकिन इस तरह की बातों को नजरअंदाज कर दिया जाता है. लोग इस बात को समझते हैं कि ये बेबुनियाद आरोप हैं. ” अपने ट्वीट के बारे में बात करते हुए भूषण ने कहा कि यह वही था, जो उन्होने शीर्ष अदालत की भूमिका के बारे में महसूस किया.

अधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय की अवमानना की व्यवस्था को खत्म किया जाना चाहिए और यही कारण है कि उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री अरूण शौरी और प्रख्यात पत्रकार एन राम के साथ एक याचिका दायर कर आपराधिक मानहानि से निपटने वाले कानूनी प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी.

उन्होंने कहा, ‘‘शुरूआत में यह याचिका न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ के समक्ष सूचीबद्ध थी और बाद में इसे उनके पास से हटा दिया गया और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा (बुधवार को सेवानिवृत्त) के पास भेज दी गई, जिनके इस अवमानना पर विचार जग जाहिर हैं और इससे पहले भी उन्होंने मुझ पर सिर्फ इसलिए न्यायालय की अवमानना का आरोप लगाया था कि मैं पूर्व प्रधान न्यायाधीशों (सीजेआई) न्यायमूर्ति जे एस खेहर, न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और उनके बारे में यह कहा था कि उन्हें हितों में टकराव चलते एक मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए. ”

मशहूर लेखिका अरूंधति रॉय ने भी कार्यक्रम में इस विषय पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही अफसोसजन है कि 2020 के भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे अधिकार पर चर्चा के लिये एकत्र होना पड़ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह लोकतंत्र के कामकाज में सर्वाधिक मूलभूत बाधा है. ”

लेखिका ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में अचानक नोटबंदी की घोषणा, जीएसएसटी लागू किया जाना, जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को रद्द किया जाना और संशोधित नागरिकता कानून लाये जाने तथा कोविड-19 को लेकर लॉकडाउन लागू करने जैसे कदम देखे गये हैं. उन्होंने कहा कि ये चुपके से किये गये हमले जैसा है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें