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Teachers Day 2020 : घर से दूर गरीब जनजातीय परिवारों के छात्रों के रहनुमा हैं प्रो अजय उरांव

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Teachers Day 2020 : अपने देश में अंग्रेजों के आने के बाद हमारी शिक्षा पद्धति बदल गयी. आश्रम से बाहर निकलकर शिक्षा मॉर्डन स्कूल एवं कॉलेजों में मिलने लगे. लेकिन, एक चीज जो नहीं बदली वह है छात्रों के मन में अपने गुरु जनों के प्रति सम्मान भाव. एक अच्छा शिक्षक समाज का सबसे सम्मानित व्यक्ति होता है. इसी कड़ी में एक नाम है बीआइटी सिंदरी (BIT Sindri) के केमिकल इंजीनयरिंग विभाग में शिक्षक प्रो अजय उरांव (Prof Ajay Oraon) का. प्रो अजय संस्थान में पढ़ने वाले गरीब जनजातीय परिवारों से आने वाले छात्रों के गुरु के साथ स्थानीय अभिभावक भी हैं. उनकी वजह से गरीब परिवारों से आने वाले कई जनजातीय छात्रों का इंजीनियर बनने का सपना पूरा हुआ है.

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Teachers Day 2020 : धनबाद (अशोक कुमार) : अपने देश में अंग्रेजों के आने के बाद हमारी शिक्षा पद्धति बदल गयी. आश्रम से बाहर निकलकर शिक्षा मॉर्डन स्कूल एवं कॉलेजों में मिलने लगे. लेकिन, एक चीज जो नहीं बदली वह है छात्रों के मन में अपने गुरु जनों के प्रति सम्मान भाव. एक अच्छा शिक्षक समाज का सबसे सम्मानित व्यक्ति होता है. इसी कड़ी में एक नाम है बीआइटी सिंदरी (BIT Sindri) के केमिकल इंजीनयरिंग विभाग में शिक्षक प्रो अजय उरांव (Prof Ajay Oraon) का. प्रो अजय संस्थान में पढ़ने वाले गरीब जनजातीय परिवारों से आने वाले छात्रों के गुरु के साथ स्थानीय अभिभावक भी हैं. उनकी वजह से गरीब परिवारों से आने वाले कई जनजातीय छात्रों का इंजीनियर बनने का सपना पूरा हुआ है.

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खुद झेली थी तकलीफ

प्रो अजय ने अपनी बीटेक की पढ़ाई बीआइटी सिंदरी से ही की है. यहां जब वे छात्र थे, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि कॉलेज और हॉस्टल की फीस के बाद मेस फीस भी जमा कर सकें. प्रो अजय अपने उन दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि कुछ दिन सहपाठियों ने मदद की, लेकिन जब उनकी स्थिति का पता उनके हॉस्टल के मेस संचालक को चला, तो उसने पूरे पढ़ाई के दौरान उन्हें बिना मेस फीस का ही खाना खिलाया था. मेस संचालक की इस अच्छाई ने उनके जीवन पर गहरा प्रभाव डाला था. वे बताते हैं कि तभी उन्होंने ठान ली थी कि जिस दिन वे अपने जीवन में ऊंचा मुकाम पा लेंगे, उस दिन वे अपने जैसे गरीब छात्रों की ऐसे ही मदद अवश्य करेंगे.

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Teachers day 2020 : घर से दूर गरीब जनजातीय परिवारों के छात्रों के रहनुमा हैं प्रो अजय उरांव 2
2006 से हैं शिक्षक

प्रो अजय उरांव ने बीआइटी सिंदरी से बीटेक की पढ़ाई पूरी करने के बाद बेंगलुरु से इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंसेस से एमटेक की पढ़ाई की. इसके बाद 2006 में बतौर एसिस्टेंड प्रोफेसर उन्होंने बीआइटी सिंदरी में ही नौकरी कर ली. अब वे उस संस्थान में आ गये थे. वे बताते हैं कि अब वे उस संस्थान में आ चुके थे, जहां उन्हें जीवन का सबसे अनमोल ज्ञान मिला था और यहीं उनका कारवां चल पड़ा. वे संस्थान में ऐसे गरीब आदिवासी छात्रों को खोजकर निकालने लगे जो बेहद गरीब परिवारों से आते हैं. वे उनकी पढ़ाई से लेकर आर्थिक मदद करने लगे. शुरुआत में वे अपनी जेब से छात्रों की मदद करते थे. लेकिन, धीरे- धीरे उनकी प्रसिद्धि छात्रों में तेजी से फैलने लगी. उनके इस काम में अन्य जनजातीय शिक्षक भी उनसे जुड़ने लगे. अब उनके पास एक लंबी- चौड़ी टीम है. उनकी टीम में वह पूर्व छात्र भी शामिल हैं, जिसकी उन्होंने कभी मदद की थी. आज यह पूर्व छात्र अपने जैसे नये छात्रों की मदद कर रहे हैं.

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उनकी टीम बीआइटी सिंदरी के लिए काउंसेलिंग में क्वालिफाई होने वाले हर जनजातीय छात्रों की शुरुआत से ट्रैकिंग शुरू कर देती है. इसमें टीम को सबसे अधिक मदद पूर्व एवं वर्तमान छात्रों से मिल जाती है. टीम छात्र के परिवार के आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति का पता लगाती है. जैसे ही किसी बेहद गरीब परिवार के छात्र का पता चल जाता है. टीम उसकी मदद में लग जाती है. अगर वे फीस जमा करने की स्थिति में नहीं है, तो उनके लिए फीस की व्यवस्था करते हैं. इस कड़ी में हाल के वर्षों कलोदी मुर्मू और सनातन मुर्मू जैसे बीआइटी सिंदरी के विद्यार्थी शामिल हैं. प्रो अजय उरांव के प्रयासों से इन्हें आर्थिक मदद मिली थी.

Posted By : Samir Ranjan.

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