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राज्यसभा में सोशल डिस्टेंसिंग को गलत बताया गया, पढ़ें कोरोना पर मंत्री जी का जवाब

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कोरोना संक्रमण को लेकर सदन में भी कई तरह के सवाल उठाये गये. सोशल डिस्टेसिंग जिसका कोरोना काल में खूब इस्तेमाल हो रहा है इस शब्द पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्य ने सवाल खड़ा किया उन्होंने यहां सलाह देते हुए सामाजिक दूरी की जगह ‘शारीरिक दूरी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.social distancing guidelines social distancing guidelines india rajya sabha social distancing

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नयी दिल्ली : कोरोना संक्रमण को लेकर सदन में भी कई तरह के सवाल उठाये गये. सोशल डिस्टेसिंग जिसका कोरोना काल में खूब इस्तेमाल हो रहा है इस शब्द पर तृणमूल कांग्रेस के सदस्य ने सवाल खड़ा किया उन्होंने यहां सलाह देते हुए सामाजिक दूरी की जगह ‘शारीरिक दूरी’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

इस पर उच्च सदन के सभापति एम वेंकैया नायडू ने भी सुझाव दिया और कहा इसे ‘सुरक्षित दूरी’ कहना भी बेहतर होगा. तृणमूल कांग्रेस के डॉ. शांतनु सेन ने कहा, सामाजिक दूरी के कई मायने निकलते हैं तो नकारात्मक हैं. इस शब्द से एक तरह से सामाजिक कलंक का अहसास होता है.

राज्यसभा में मंत्री ने बताया कैसे फैलता है संक्रमण 

केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने मंगलवार को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोरोना वायरस का संक्रमण संक्रमित व्यक्ति के प्रत्यक्ष, परोक्ष या निकट संपर्क से फैलता है . मसलन थूक और श्वसनीय निस्सरण अथवा संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, बात करने या गाना गाने के दौरान निकलने वाली श्वसनीय बूंदों के माध्यम से यह फैल सकता है.

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राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में चौबे ने कहा, ‘‘वायरस का वायुजनित संचरण स्वास्थ्य परिचर्या स्थापनाओं में हो सकता है. यहां एयरोसोल उत्पन्न करने वाली प्रक्रिया नामक विशिष्ट चिकित्सा प्रक्रिया में एयरोसेल नामक बहुत छोटी बूंदें उत्पन्न होती हैं.” उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने वैयक्तिक सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के तर्कसगंत प्रयोग संबंधी अपने दिशा- निर्देशों में एयरोसोल उत्पन्न करने वाली प्रक्रियाओं में वायुजनित संचरण की संभाव्यता का उल्लेख किया है तथा ऐसी सभी स्थापनाओं हेतु उपयुक्त पीपीई की सिफारिश की है.

उन्होंने बताया कि इस समय देश में केवल 10 राज्यों में 77 फीसद सक्रिय मामले हैं. इनमें महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, ओडिशा, असम और केरल शामिल हैं

लॉकडाउन रहा सफल, कोरोना संक्रमण नियंत्रण में रहा

अश्विनी चौबे ने मंगलवार को कहा कि देश भर में 25 मार्च से 31 मई तक लगाए गए लॉकडाउन की वजह से कोविड-19 को काफी हद तक रोकने में मदद मिली लेकिन लॉकडाउन के बाद इस महामारी के मामलों में तेजी देखी जा रही है. एक प्रश्न के लिखित उत्तर में चौबे ने राज्यसभा को बताया कि देश में प्रति दस लाख की आबादी पर कोरोना वायरस के 3,328 मामले और 55 मौत की दर है जो दुनिया भर में सबसे कम है.

उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए समन्वित प्रयास कर रहा है. चौबे ने कहा ‘‘25 मार्च से 31 मई तक लॉकडाउन की वजह से कोरोना वायरस को काफी हद तक रोकने में मदद मिली. लेकिन लॉकडाउन के बाद इस महामारी के मामलों में तेजी देखी जा रही है.” उन्होंने कहा ‘‘कोविड-19 अब भी शहरी क्षेत्रों तथा अर्द्धशहरी क्षेत्रों तक सीमित रहा है लेकिन बड़े शहरों के नजदीक के ग्रामीण इलाकों में अब कोरोना वायरस संक्रमण फैलने की खबरें आ रही हैं.

सरकार कैसे कर रही है निगरानी 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने मंगलवार को राज्यसभा को बताया कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए देश में कोविड संक्रमित लोगों के संपर्क का पता लगाने के तहत 40 लाख लोगों को निगरानी में रखा गया है और 10 सितंबर तक 5.4 करोड़ नमूनों की जांच की जा चुकी है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री चौबे ने बताया कि 10 सितंबर तक देश में 15,290 केंद्रों में कोविड-19 का इलाज किया जा रहा हैं जिनमे मरीजों के लिए 13,14,171 पृथक बेड की व्यवस्था है.

उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन की सुविधा वाले कुल 2,31,269 पृथक बेड और 62,694 आईसीयू बेड भी हैं जिनमें 32,241 वेंटीलेटर वाले बेड हैं. चौबे ने बताया कि कोविड-19 के क्लीनिकल प्रबंधन संबंधी दिशानिर्देश जाारी किए जा चुके हैं और उन्हें नियमित अद्यतन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि राज्यों को हर तरह के साजोसामन की आपूर्ति के संदर्भ में पूरा सहयोग दिया जा रहा है.

क्या है हालात 

मंत्री ने बताया कि अब तक राज्य और केंद्र सरकार के अस्पतालों को 10 सितंबर तक 1.39 करोड़ पीपीई किट, 3.42 करोड़ एन—95 मास्क, 10.84 करोड़ हाईड्रॉक्सीक्लोरोक्वि​न टैबलेट, 29,779 वेंटीलेटर और 1,02,400 ऑक्सीजन सिलिंडरों की आपूर्ति की जी चुकी है. उन्होंने बताया कि टीकों के परीक्षण के लिए आगे आए 30 से अधिक स्वयंसेवियों को सहयोग दिया जा रहा है. इन लोगों पर टीकों का विभिन्न चरणों में परीक्षण किया जा रहा है. मंत्री ने बताया कि सात अगस्त को कोविड—19 के लिए टीका प्रबंधन पर एक राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह नीति आयोग के अंतर्गत बनाया गया है.

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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