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38 लाख से ज्यादा कर्मचारियों ने निकाले भविष्य निधि से पैसे, पढ़ें ईपीएफ में कितना सुरक्षित है आपका पैसा ?

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देश में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों से 38,71,664 कर्मचारियों के 44,054.72 करोड़ रुपये के निकासी दावों का निपटारा किया गया. इकोनॉमिक टाईम्स के एक सर्वे के अनुसार करीब 61 फीसदी लोगों ने माना है कि ज्‍यादा रिटर्न के लिए उनके प्रोविडेंट फंड का कुछ पैसा शेयरों में निवेश किया जाना चाहिए. पिछले कुछ सालों में ब्याज दरों में कटौती हुई है.

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नयी दिल्ली : देश में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खातों से 38,71,664 कर्मचारियों के 44,054.72 करोड़ रुपये के निकासी दावों का निपटारा किया गया. इकोनॉमिक टाईम्स के एक सर्वे के अनुसार करीब 61 फीसदी लोगों ने माना है कि ज्‍यादा रिटर्न के लिए उनके प्रोविडेंट फंड का कुछ पैसा शेयरों में निवेश किया जाना चाहिए. पिछले कुछ सालों में ब्याज दरों में कटौती हुई है.

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कई लोग अपने ईपीएफ का पैसा निकाल कर दूसरे जगहों पर भी निवेश कर रहे थे जहां रिटर्न अच्छे हैं शुरू में ईपीएफओ का इक्विटी में निवेश करने के फैसले ने लोगों को फायदा दिया लेकिन साल मार्च में इसे बड़ा झटका लगा. बाजार की गिरावट में इक्विटी में निवेश ईपीएफ फंड के लगभग 1.1 लाख करोड़ रुपये का करीब 30 फीसदी का नुकसान हो गया.

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इस सर्वे में शामिल हुए 40 फीसद लोगों का मत है कि प्रोविडेंट फंड में इक्विटी के निवेश का फैसला लोगों को दिया जाना चाहिए जबकि 21 फीसदी चाहते हैं कि इसे उम्र के साथ लिंक किया जाए. 29.5 फीसदी लोग हैं जो भरोसा करते हैं कि ईपीएफओ सही फैसला लेगा और 9 फीसदी से भी कम लोग चाहते हैं कि सरकार उनकी ओर से यह फैसला ले.

सर्वे में यह पता चला कि 70 फीसदी ईपीएफ सब्‍सक्राइबर इस बात को महसूस करते हैं स्‍कीम के तहत मिल रहे ब्याज दरें ज्यादा दिनों तक नहीं मिलेगी. तीन में से एक सब्‍सक्राबइर को यहां तक लगता है कि ब्‍याज दर में कटौती संभव है. करीब 18 फीसदी को लगता है कि अगर दरें 8 फीसदी से नीचे आईं तो सरकार पर विपक्षी दलों से राजनीतिक दबाव पड़ेगा. जबकि 12 फीसदी इस उम्‍मीद में हैं कि लेबर यूनियन ऐसा नहीं होने देंगी.

श्रम मंत्री संतोष गंगवार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि अब तक 44,054.72 करोड़ रुपये के लिए कुल 38,71,664 ईपीएफ निकासी दावों का निपटारा किया गया है . उत्तर के अनुसार इन निकासी में कोविड-19 से जुड़े दावे भी शामिल हैं.

लॉकडाउन अवधि में 25 मार्च से 31 अगस्त तक 7,23,986 दावे महाराष्ट्र में किये गये थे जहां 8,968.45 करोड़ रुपये की अधिकतम राशि निकाली गयी. इसके बाद कर्नाटक में 4,84,114 दावों के तहत 6,418.52 करोड़ रुपये और तमिलनाडु (पुड्डुचेरी सहित) 6,20,662 दावों के लिए 5,589.91 करोड़ रुपये निकाले गये. इस दौरान दिल्ली में ईपीएफ निकासी के 3,16,671 दावों के तहत 3,308.57 करोड़ रुपये निकाले गये.

सरकार ने ईपीएफ योजना, 1952 में संशोधन कर दिया था जिसके तहत ईपीएफ से कोविड अग्रिम लिया जा सकता है. यह अग्रिम राशि लौटाने की आवश्यकता नहीं है. सरकार ने कोविड-19 संकट के दौरान लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के एक भाग के रूप में, ईपीएफ योजना में संशोधन किया. इसमें कर्मचारियों को अपने ईपीएफ खाते से तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ते की राशि अथवा उनके ईपीएफ खाते में जमा कुल राशि का 75 प्रतिशत, जो भी कम होगी, उतनी राशि की निकासी की जा सकती है.

इसी सुविधा के तहत भविष्य निधि खातों से यह निकासी हुई है. मंत्रालय ने कहा है कि कोविड- 19 संकट के दौरान श्रमिकों को राहत पहुंचाने के लिये और भी कई अन्य कदम उठाये गये. मार्च से अगस्त 2020 की अवधि में छह महीने के लिये कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों की ओर से 12– 12 प्रतिशत राशि सरकार की तरफ से जमा कराई गई.

यह राशि उन उद्यमों की जमा कराई गई जहां 100 से कम कर्मचारी काम करते हैं और ऐसे 90 प्रतिशत कर्मचारियों की कमाई 15,000 रुपये मासिक से कम थी. इसके साथ ही सरकार ने ईपीएफ में योगदान को भी 12 से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया था ताकि कर्मचारी के हाथ में ज्यादा नकदी मिल सके. यह प्रावधान मई, जून और जुलाई 2020 के लिये किया गया

Posted By – Pankaj Kumar Pathak

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