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बिहार विधानसभा चुनाव 2020: पटना व दिल्ली से आये हैं, तो बात पुख्ता ही होगी…

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020, Bihar Vidhan Sabha Chunav 2020: क्षेत्र के सीटिंग हो या विपक्ष के नेता सभी की दौड़ टिकट के लिए बदस्तूर जारी है. इधर प्रथम चरण का नामांकन शुरू होने के बाद भी राजग व महागठबंधन के उम्मीदवारों की सूची क्लियर नहीं हो पायी है. ऐसे में विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी प्रतिदिन कयासों पर ही विश्वास कर अपना समय काट रहे हैं.

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मृगेंद्र, अररिया : क्षेत्र के सीटिंग हो या विपक्ष के नेता सभी की दौड़ टिकट के लिए बदस्तूर जारी है. इधर प्रथम चरण का नामांकन शुरू होने के बाद भी राजग व महागठबंधन के उम्मीदवारों की सूची क्लियर नहीं हो पायी है. ऐसे में विधानसभा क्षेत्र के मतदाता भी प्रतिदिन कयासों पर ही विश्वास कर अपना समय काट रहे हैं. हालांकि क्षेत्र के चौपाल से लेकर चाय की दुकान तक इस बात की ही चर्चा हो रही है कि इस बार फलां का टिकट कट रहा है या फलां का टिकट तो फाइनल है.

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इस बीच पटना व दिल्ली का दौरा कर लौटे नेताओं के कार्यकर्ताओं की पूछ भी बढ़ जाती है. वे जैसे ही ग्रामीणों की नजर में आते हैं कि कुर्ता का कॉलर खड़ा कर फिर शेखी बघारने में लग जाते हैं. लोग भी उनको बड़े ध्यान से सुनते हैं कि पटना व दिल्ली से आये हैं, इसलिए जो भी जानकारी होगी वह पुख्ता होगी. हालांकि कुछ ऐसे लोग भी हैं जो उनसे चिढ़ते हैं.

उनकी मानें तो यह सिर्फ हवा देने में लगे हुए हैं. हकीकत तो कुछ और है. हालांकि जितनी खिचड़ी पटना व दिल्ली में बड़े नेताओं के बीच नहीं पक रही है, उससे ज्यादा तो बाजार के चौक-चौराहों पर लगी चाय की दुकानों पर पकती दिखती है. फलां पार्टी के नेता का गठबंधन हो गया तो …गठबंधन नहीं हो तो ठीक ही रहेगा. हालांकि अररिया में तीसरे चरण में चुनाव है, लेकिन प्रत्याशियों से ज्यादा बेकरार क्षेत्र के मतदाता ही लग रहे हैं.

इधर चौक-चौराहों पर इस बात को लेकर भी चर्चा खास है कि पांच साल तक पार्टी के लिए मेहनत करने के बाद टिकट की जद्दोजहद खतम नहीं होती. भले ही नेताओं के आश्वासन मजबूत हों, लेकिन टिकट जब तक हाथ में नहीं आ जाये तब तक यकीन करना मुश्किल होगा. इधर फारबिसगंज विधानसभा के रिटायर्ड पदाधिकारी, पूर्व अधिकारी, छात्र नेता, पूर्व जनप्रतिनिधि की बेचैनी भी बढ़ी हुई है.

कुछ सीटिंग विधायक भी हर बड़े नेताओं से संपर्क साधे हुए हैं कि कहीं उनका टिकट तो नहीं कट जायेगा. इधर दल-बदल का भी खेल जारी है. कुछ लोगों में इस बात की चर्चा भी है कि पार्टी हमारा मंतव्य ही नहीं लेती है, वह किसे टिकट देगी, वह योग्य है भी की नहीं, यह भी नहीं पूछती. गठबंधन के लिए जो दिख रहा है, वह तात्कालिक गोलबंदी भर है, जो स्वस्थ राजनीति के लिए अच्छा नहीं है.पार्टी भी किसी को ना नहीं कर रही है. इसलिए दावेदार इस डर से कि टिकट उसको तो नहीं मिल जायेगा, इसलिए पटना में ही डटे हुए हैं.

इस बीच कुछ लोगों पर आचार संहिता के उल्लंघन का मामला भी दर्ज हो गया. बावजूद टिकट लेकर ही लौटेंगे की रट पर पटना में ही अड़े हुए हैं. सिकटी विधानसभा के एक युवा को तो पार्टी ने यह कह कर भेज दिया कि फलां-फलां से लिखवाकर लाओ तब ही टिकट की सोचेंगे. सो नेताजी देर रात ही कार से क्षेत्र के लिए निकल गये.

posted by ashish jha

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