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Bihar Election 2020 : नेहरू काल में भी दिनारा से कांग्रेस को मिली थी कड़ी टक्कर

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चुनावी विश्लेषकों का मानना रहा है कि दिनारा विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही समाजवादियों का गढ़ रहा है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने चार बार यहां से प्रतिधिनित्व किया है, लेकिन आंकड़े बताते है कि चारों बार उसे चुनावी विरोधियों से कड़ी टक्कर मिली.

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दिनारा : चुनावी विश्लेषकों का मानना रहा है कि दिनारा विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही समाजवादियों का गढ़ रहा है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने चार बार यहां से प्रतिधिनित्व किया है, लेकिन आंकड़े बताते है कि चारों बार उसे चुनावी विरोधियों से कड़ी टक्कर मिली.1951 में पहली बार दिनारा विधानसभा का चुनाव हुआ. कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी रामानंद उपाध्याय को बनाया. उस समय पूरे देश में पंडित नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी सबसे बड़ी पार्टी थी. फिर भी दिनारा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामानंद उपाध्याय को केएमपीपी के राजेंद्र प्रताप सिंह ने कड़ी टक्कर दी.

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कांग्रेस उम्मीदवार को जहां कुल मत 7977 प्राप्त हुए थे. वहीं केएमपीपी प्रत्याशी को 6305 मत प्राप्त हुए और हार-जीत का फासला मात्र 1672 मतों का रहा. वहीं, 1957 में हुए दूसरे चुनाव में कांग्रेस पार्टी दूसरे स्थान पर चली गयी. उस समय के प्रभावशाली समाजवादी नेता रामाशीष सिंह ने शोसालिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा व कांग्रेस के प्रत्याशी हाफिज हुसैन को छह हजार से अधिक मतों से पराजित किया.1957 से 1967 तक रामाशीष सिंह लागातार तीन बार जीत हासिल कर हैटट्रिक लगायी. कांग्रेस पार्टी की वापसी 1969 के विधानसभा चुनाव में हुई.

कांग्रेस के प्रत्याशी ने दूसरी बार दिनारा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की. कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े रामानंद सिंह विजयी हुए व लगातार तीन बार विजयी रामाशीष सिंह को पांच हजार से अधिक मतों से परास्त किया. लेकिन, तीन साल बाद 1972 में हुए विधानसभा चुनाव में एनसीओ के टिकट पर चुनाव लड़ रहे व पूर्व मुख्यमंत्री कर्पुरी ठाकुर के करीबी माने जाने वाले समाजवादी रामनारायण साह ने 30781 मत लाकर कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार रामानंद सिंह को आठ हजार से अधिक मतों से परास्त किया.

1977 में हुए चुनाव में विख्यात समाजवादी नेता शिवपूजन सिंह ने जीत हासिल की, उन्हें 20184 मत प्राप्त हुए. कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ रहे लक्ष्मण राय को 15147 मतों से हीं संतोष करना पड़ा. लेकिन, 1980 में हुए विधानसभा चुनाव में पुन: कांग्रेस की वापसी हुई व लक्ष्मण राय ने जीत हासिल की. लक्ष्मण राय को जहां 34708 मत प्राप्त हुए, वहीं जनता पार्टी शोसालिस्ट के टिकट पर चुनाव लड़े रामधनी सिंह को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ. उन्हें 27707 मत प्राप्त हुए. 1985 के विधानसभा चुनाव में लक्ष्मण राय दूसरी बार विधायक चुने गये. 1951 के पहले चुनाव से लेकर 1980 तक हुए चुनाव तक उस समय के लिहाज से सबसे अधिक मतदान हुआ.

लक्ष्मण राय को जहां 51737 मत मिले. वहीं जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े रामधनी सिंह ने 45720 मत प्राप्त कर कड़ी टक्कर दी. 1985 के बाद कांग्रेस पार्टी 2015 तक हुए विधानसभा चुनाव तक दिनारा से चुनाव नहीं जीत पायी है. 1990 में हुए विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर चुनाव लड़े रामधनी सिंह ने पहली जीत दर्ज कर कांग्रेसी दिग्गज लक्ष्मण राय को हराया. हालांकि इस चुनाव में 1985 से विपरीत मतदान प्रतिशत सामने आया व विजयी रामधनी सिंह को 33068 मत प्राप्त हुए. वहीं, लक्ष्मण राय को 28944 मत से ही संतोष करना पड़ा. इसके बाद रामधनी सिंह 2005 तक विधानसभा पहुंचे.

posted by ashish jha

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