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रामविलास पासवानः ना काहू से दोस्ती,न काहू से बैर…सरकार चाहे UPA की हो या NDA की, अधिकांश समय मंत्री रहे, ये रिकार्ड भी उनके नाम

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Ram Vilas Paswan News: गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नहीं रहे. गुरुवार शाम जब यह खबर आई तो पूरा देश आवाक रह गया. भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले एवं संघर्षों से अपनी राजनीति की राह खड़ी करने वाले नेता रामविलास पासवान के निधन की खबर के बाद सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी जाने लगी. सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की. अधिकांश समय रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री रहे.

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Ramvilas Paswan News: गरीबों के मसीहा कहे जाने वाले केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान नहीं रहे. गुरुवार शाम जब यह खबर आई तो पूरा देश आवाक रह गया. भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले एवं संघर्षों से अपनी राजनीति की राह खड़ी करने वाले नेता रामविलास पासवान के निधन की खबर के बाद सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी जाने लगी. सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की. अधिकांश समय रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री रहे.

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वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में रामविलास रिकार्ड वोटों से जीतकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराया था. पासवान को 4,55,652 मत मिले थे, जबकि उनके विरोधी कांग्रेस प्रत्याशी संजीव कुमार को 2,30,152 मत मिले थे. रामविलास पासवान ने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल, समता पार्टी और जनता दल यू में रहने के बाद 28 नवंबर, 2000 को दिल्ली में लोक जनशक्ति पार्टी का गठन किया.

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राजनीति में आना इत्तेफाक

दलितों के बड़े नेताओं में से एक रामविलास पासवान 1977 के पहले तक साधारण नेता थे. लेकिन 1977 की भारी भरकम जीत ने उन्हें देश का चर्चित नेता बना दिया. उनका राजनीति में आना भी एक इत्तेफाक ही था. अगर समाजवादी नेता रामजीवन सिंह उनको राजनीति में नहीं लाये होते तो वे बिहार में पुलिस अधिकारी बन कब का रिटायर हो गये होते.

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लेकिन उनकी किस्मत में लिखा था कि वे चुनावी राजनीति में सर्वाधिक मतों से जीतने का दो बार रिकॉर्ड बनाएंगे और देश के दिग्गज नेता बनेंगे. बिहार पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति के मैदान में उतरे रामविलास पासवान, कांशीराम और मायावती की लोकप्रियता के दौर में भी, बिहार के दलितों के मजबूत नेता के तौर पर लंबे समय तक टिके रहे हैं.

ये है एक असाधारण योग्यता

सरकार चाहे यूपीए की हो या एनडीए की. अधिकांश समय रामविलास पासवान केंद्र में मंत्री रहे. विपक्षी राजनीतिक मौसम विज्ञानी कहते हैं. 1969 से 2020 यानी 50 साल से भी अधिक से विधायक और सांसद रहते हुए रामविलास पासवान सार्वजनिक जीवन में रहे. इतने साल की विधायकी और सांसदी ही नहीं, 1996 से सभी सरकारों में मंत्री रहना, एक ऐसी असाधारण योग्यता है जिसके आगे कई सूरमा ढेर हो गए.

रामविलास पासवान आपातकाल के बाद हुए चुनाव में हाजीपुर से जीतकर सांसद बने थे. एचडी देवगौड़ा-गुजराल से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी जैसे अनेक प्रधानमंत्रियों को साधना साधारण काम नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं पर खासा ध्यान दिया है. इतने लंबे समय में उनके कार्यकर्ताओं या समर्थकों की नाराजगी की कोई बड़ी बात सामने नहीं आई है, जो मामूली बात नहीं है.

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हाजीपुर में रेलवे का क्षेत्रीय मुख्यालय खुलवाया

रामविलास पासवान जब रेल मंत्री बने तो उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र हाजीपुर में रेलवे का क्षेत्रीय मुख्यालय बनवा दिया. वे कई बार लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा चुनकर जा चुके है. बता दें कि इन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. वे जनता पार्टी, लोकदल, जनता दल में भी रह चुके हैं.

2000 में अपनी पार्टी बनाई लोक जनशक्ति पार्टी. 2004 में चुनाव से ठीक पहले एनडीए से नाता तोड़ लिया और यूपीए में शामिल हो गए. 2009 में वो लालू प्रसाद के साथ चले गए और हार गए. 2014 में वे फिर से एनडीए में आ गए नतीजा ये हुआ कि जीतकर फिर से मंत्री बन गए. एनडीए कार्यकाल में वन नेशन वन राशन कार्ड के लिए हमेशा जाना जाएगा.

रामविलास पासवान..ये बातें जान लीजिए

साल 1969 से विधायक के तौर पर राजनीतिक कैरियर की शरुआत की. विधायक संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से बने. साल 1975 में इमरजेंसी की घोषणा के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया. इमरजेंसी का पूरा वक्त जेल में बीता. 1977 में उन्हें जेल से रिहा किया गया. 1977 में जनता पार्टी की सदस्यता ली. फिर हाजीपुर लोकसभा सीट से रिकॉर्ड मत से जीतकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड में अपना नाम दर्ज कराया.

1989 में जीत के बाद वीपी सिंह की कैबिनेट में पहली बार शामिल किए गए. उन्हें श्रम मंत्री बनाया गया. एक दशक के भीतर ही वे एचडी देवगौडा और आईके गुजराल की सरकारों में रेल मंत्री और संचार मंत्री बने. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में उन्हें कोयला मंत्री बनाया गया. पीएम मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा एनडीए सरकार में वो केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री थे.

Posted By: Utpal kant

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