16.1 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 12:48 am
16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

Kaali Khuhi Review : सशक्त विषय पर बनी कमज़ोर फ़िल्म काली खुही

Advertisement

फ़िल्म -काली खुही निर्देशक -टैरी समुंद्रा प्लेटफार्म -नेटफ्लिक्स कलाकार- शबाना आज़मी, संजीदा शेख,सत्यदीप मिश्रा,रीवा अरोड़ा और अन्य रेटिंग -डेढ़

Audio Book

ऑडियो सुनें

फ़िल्म -काली खुही

- Advertisement -

निर्देशक -टैरी समुंद्रा

प्लेटफार्म -नेटफ्लिक्स

कलाकार- शबाना आज़मी, संजीदा शेख,सत्यदीप मिश्रा,रीवा अरोड़ा और अन्य

रेटिंग -डेढ़

Kaali Khuhi Review : भारतीय समाज में बच्चियों को आर्थिक और सामाजिक रूप से बोझ माना जाता है. यही वजह है कि हमारे समाज में उन्हें मारने की प्रथा सदियों पुरानी रही है. इसी सदियों पुरानी प्रथा पर फ़िल्म काली खुही की कहानी है. जिसे हॉरर जॉनर में प्रस्तुत किया गया है. फ़िल्म का विषय जितना सशक्त है कहानी उतनी ही लचर है. पर्दे पर ना तो वह डरा ही पायी है ना इंटरटेन और ना ही विषय के साथ न्याय कर पायी है.

फ़िल्म की कहानी की बात करें तो एक पंजाब के गाँव की है. पंजाबी में खुही कुएं को कहते हैं यानी काला कुआं. एक दिन अचानक एक बन्द किया हुआ कुआं खुल जाता है और उसमें से साक्षी नाम की एक बच्ची की आत्मा निकल जाती है. जिसे कई सालों पहले उसके पैदा होते ही मार दिया गया था क्योंकि उस गांव में दशकों पहले लड़कियों के पैदा होने पर उन्हें उस काले कुएं में फेंक दिया जाता था. साक्षी की अतृप्त आत्मा अपने पूरे परिवार को अब खत्म करना चाहती है. इसके साथ ही पूरा गांव मरी हुई बच्चियों के रूह से अभिशप्त हो गया है.

Also Read: ग्लैमरस अंदाज में दिखीं ‘नायरा’, शिवांगी जोशी की तस्वीर देखते ही अर्जुन बिजलानी ने कर डाला ये कमेंट

10 साल की शिवांगी(रीवा) इन अतृप्त बच्चियों की मुक्ति की राह बनती है. वो कैसे वो आगे की कहानी में है फ़िल्म बहुत कमजोर है. फ़िल्म की कहानी में कई झोल हैं. पैदा हुई बच्चियों का नाम कैसे रखा जा सकता है. शबाना की किताब में सभी मारी गयी बच्चियों का नाम लिखा हुआ था. जब नवजात बच्चियों को मार दिया गया था तो उनकी आत्मा 10 साल की उम्र की क्यों दिखाया गया है.

नवजात बच्चियों को आत्मा के तौर पर नहीं दिखा सकते थे तो 10 साल की उम्र का दिखाने का औचित्य क्या था. फ़िल्म लॉजिक से लेकर एंटरटेनमेंट और मैसेज सभी मोर्चों पर चूकती है. अभिनय की बात करें तो शबाना आज़मी सहित सभी ने अच्छा काम किया है लेकिन फ़िल्म की कहानी इतनी कमज़ोर है कि ये भी प्रभावित नहीं कर पाते हैं. फ़िल्म की सिनेमेटोग्राफी फ़िल्म के विषय के साथ न्याय करती है. कुलमिलाकर सशक्त विषय पर बनी बेहद कमजोर फ़िल्म है.

Posted By: Divya Keshri

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें