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नक्सल प्रभावित झुमरा पहाड़ क्षेत्र की बदल रही तस्वीर, ग्रामीण खेत-खलिहानों में गाने लगे विकास के गीत

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Jharkhand news, Bokaro news : बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के पचमो पंचायत स्थित उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ क्षेत्र की तस्वीर बदलने लगी है. कभी नक्सलियों की गोलियों की तड़तड़ाहट हर वक्त सुनने को मिलता था, वहीं आज ग्रामीण अपने-अपने खेत- खलिहान में विकास के गीत गा रहे हैं. विकास के कारण अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र झुमरा पहाड़ की स्थिति बदलने लगी है.

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Jharkhand news, Bokaro news : ललपनिया (नागेश्वर) : बोकारो जिला अंतर्गत गोमिया प्रखंड के पचमो पंचायत स्थित उग्रवाद प्रभावित झुमरा पहाड़ क्षेत्र की तस्वीर बदलने लगी है. कभी नक्सलियों की गोलियों की तड़तड़ाहट हर वक्त सुनने को मिलता था, वहीं आज ग्रामीण अपने-अपने खेत- खलिहान में विकास के गीत गा रहे हैं. विकास के कारण अब नक्सल प्रभावित क्षेत्र झुमरा पहाड़ की स्थिति बदलने लगी है.

बता दें कि 1972 के दशक से झुमरा पहाड़ क्षेत्र में नक्सलियों ने कब्जा जमा रखा था, लेकिन सरकारी और प्रशासनिक तंत्र ने क्षेत्र के ग्रामीणों को विश्वास में लेकर विकास की अलख जगायी और आज इसका परिणाम देखने को मिल रहा है. पहले इन क्षेत्रों में गोलियों की तड़तड़ाहत की आवाज के साथ क्रांति की गीत सुनायी पड़ती थी, पर अब धीरे- धीरे परिस्थिति में बदलाव आया है. बदलाव आने से अब वो गीत सुनायी नहीं पड़ती है. अब खेत- खलिहानों एवं जंगलों में किसानों के गीत के अलावा विकास की गीत की आवाज सुनायी पड़ने लगी है.

दिखने लगा विकास

दिन- प्रतिदिन झुमरा एवं आसपास के पहाड़ी ग्रामीणों क्षेत्रों में बदलते परिवेश से ग्रामीण काफी खुश हैं. झुमरा पहाड़ क्षेत्र में अब गांवों में आवागमन पथ के निर्माण से एक गांव दूसरे गांव से जुड़ गये हैं. कुछ बाकी है वो भी गांव जुड़ रहे हैं. राजीव गांधी विद्युतिकरण योजना के तहत सभी गांवों में बिजली बहाल हो गयी है. यातायात सुलभ हो गया है. वाहनों का आवागमन होने लगा है. 14वें वित्त एवं मनरेगा योजना से कृषि विकास के अलावा पथ, पुल- पुलिया का निर्माण कार्य किया गया. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दर्जनों ग्रामीणों को आवास मिला. आवास जहां मिट्टी के थे वो पक्के मकान में तब्दील होने लगा है.

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पंचायत में 11 आंगनबाड़ी केंद्र का संचालन हो रहा है. मनरेगा योजना से भी विकास पर बल दिया गया. योजना से आम बागवानी, डोभा, ट्रेंच, कूप, तालाब आदि का निर्माण कार्य किया गया. अन्य जगहों पर कार्य जारी भी है. इधर, दिन- प्रतिदिन हालात बदलने से आम जनजीवन भी काफी खुशहाल होने लगा है.

उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में हो रहे विकास पर नक्सलियों के द्वारा अब विरोध भी नहीं किया जा रहा है. इसका जीता जागता उदाहरण है पचमो से झुमरा पथ के अलावा झुमरा से तिसकोपी एवं झुमरा लिंक पथ से अमन तक पथ निर्माण किया जाना और बचे अन्य क्षेत्रों में पथों का निर्माण एवं विकास कार्य जारी है.

भले ही कुछ ग्रामीण आज भी इस विकास का श्रेय नक्सलियों को देते हैं. वहीं, कई ऐसे ग्रामीण जो नक्सली कांड में जेल से रिहा होने के बाद बंदूक की जगह हल को उठाया और खेती-बारी के कार्यों में जुट गये. इस कार्य को देख अन्य ग्रामीण भी प्रभावित होने लगे और धीरे-धीरे ये कारवां बढ़ता चला गया. इस कार्य में स्थानीय और जिला स्तर के अधिकारियों का भी साथ मिला. इसका परिणाम झुमरा पहाड़ क्षेत्र में अब देखने को मिल रहा है.

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पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीणों का जीविकोपार्जन का एकमात्र सहारा कृषि है. सरकार की ओर से कृषि विकास पर भी विशेष जोर दिया गया. झुमरा पहाड़ में माओवादी संगठन के शीर्ष नेता कन्हाई चटर्जी, चारू मजूमदार, प्रचंड, नथुनी मिस्त्री आदि जैसे शीर्ष नेता भी अपनी उपस्थिति दर्ज कर संगठन के विस्तार एवं माओवादी विचारधारा को जन- जन तक ले जाने का कार्य कर चुके हैं. पर, अब हालात बदल चुके हैं.

ग्रामीणों की सहानुभूति लेने के लिए अब नक्सली विकास कार्यों का विरोध नहीं करते हैं. विकास के तहत स्कूल भवन, आंगनबाड़ी केंद्र, अस्पताल, सड़क आदि का निर्माण किया गया है. हालांकि, अभी एक समस्या मुंह बाये खड़ी है कि क्षेत्र में अस्पताल तो बने, लेकिन डाॅक्टर्स के अभाव में अस्पताल का संचालन नहीं हो पा रहा है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश समेत कई अन्य नेताओं ने झुमरा पहाड़ क्षेत्र दौरा भी कर चुके हैं. दौरे के क्रम में झुमरा पहाड़ के क्षेत्र की बदली आबोहवा को देख काफी खुश भी हुए हैं. प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों को प्रशासनिक मदद के लिए रहावन ओपी के अलावा झुमरा एवं रहावन में सीआरपीएफ 26 बटालियन कैंप स्थापित हुआ है.

Posted By : Samir Ranjan.

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