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विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर एचइसी नहीं देगा ब्याज

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रांची : हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एचइसी प्रबंधन ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर ब्याज देने संबंधित मामले पर आदेश जारी कर दिया है. प्रबंधन ने जारी आदेश में लीव इनकैशमेंट पर ब्याज देने से इंकार कर दिया है. जबकि विलंब से ग्रेच्युटी भुगतान पर प्रबंधन ने आदेश में जिक्र किया है कि वर्तमान में कंपनी की स्थिति ठीक नहीं है. इसलिए कंपनी ब्याज नहीं दे सकती है. इस आदेश की प्रति एचइसी प्रबंधन ने आवेदक लालदेव सिंह को दे दिया है.

मालूम हो कि एचइसी के लालदेव सिंह सहित 156 सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर ब्याज देने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की िाी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि ग्रेच्युटी एक्ट 1972 की धारा सात की उप धारा तीन के अनुसार सेवानिवृत्त होने की तिथि से एक माह के अंदर ग्रेच्युटी भुगतान का प्रावधान है.

यदि समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं किया गया तो उपधारा 3 ए के तहत ब्याज के साथ ग्रेच्युटी देने का प्रावधान है. इस पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. हाइकोर्ट ने आठ जून को फैसला दिया कि इस मामले में याचिकाकर्ता प्रतिवादी संख्या दो वित्त निदेशक के पास आवेदन दें. साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादी संख्या दो को आवेदन देने की तिथि से चार माह के अंदर इस मामले में फैसला देने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर ही एचइसी के वित्त निदेशक ने फैसला लिया है.

posted by : sameer oraon

रांची : हाइकोर्ट के निर्देश के बाद एचइसी प्रबंधन ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर ब्याज देने संबंधित मामले पर आदेश जारी कर दिया है. प्रबंधन ने जारी आदेश में लीव इनकैशमेंट पर ब्याज देने से इंकार कर दिया है. जबकि विलंब से ग्रेच्युटी भुगतान पर प्रबंधन ने आदेश में जिक्र किया है कि वर्तमान में कंपनी की स्थिति ठीक नहीं है. इसलिए कंपनी ब्याज नहीं दे सकती है. इस आदेश की प्रति एचइसी प्रबंधन ने आवेदक लालदेव सिंह को दे दिया है.

मालूम हो कि एचइसी के लालदेव सिंह सहित 156 सेवानिवृत्त कर्मचारियों ने विलंब से ग्रेच्युटी व लीव इनकैशमेंट भुगतान पर ब्याज देने के लिए हाइकोर्ट में याचिका दायर की िाी. याचिकाकर्ता ने कहा था कि ग्रेच्युटी एक्ट 1972 की धारा सात की उप धारा तीन के अनुसार सेवानिवृत्त होने की तिथि से एक माह के अंदर ग्रेच्युटी भुगतान का प्रावधान है.

यदि समय सीमा के अंदर भुगतान नहीं किया गया तो उपधारा 3 ए के तहत ब्याज के साथ ग्रेच्युटी देने का प्रावधान है. इस पर हाइकोर्ट में सुनवाई हुई. हाइकोर्ट ने आठ जून को फैसला दिया कि इस मामले में याचिकाकर्ता प्रतिवादी संख्या दो वित्त निदेशक के पास आवेदन दें. साथ ही कोर्ट ने प्रतिवादी संख्या दो को आवेदन देने की तिथि से चार माह के अंदर इस मामले में फैसला देने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर ही एचइसी के वित्त निदेशक ने फैसला लिया है.

posted by : sameer oraon

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