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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को सार्थक कर रहीं हैं हावड़ा की ‘मलाला’ रजिया बानो, जला रही शिक्षा का दीपक

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शिक्षा का अलख जगा रही हावड़ा की ‘मलाला’ रजिया बानो

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कोलकाता : जब देश में महिला सशक्तिकरण के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और कन्याश्री जैसी योजनाएं चल रही हैं, ऐसे समय में देश में इस विचारधारा के लोगों की संख्या भी कम नहीं जो अपने घर की बेटियों को पढ़ाना-लिखाना तो दूर की बात, घर से निकलना नहीं देना चाहते हैं. लेकिन जब कुछ करने का जुनून और जज्बा हो तो कहीं भी किसी ‘मलाला’ का जन्म हो सकता है.

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ऐसी ही हैं हावड़ा के वोटबगान इलाके की रजिया बानो. आज वह महिला शिक्षा के लिए इलाके में मिसाल बन गयी हैं. तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. इतिहास में स्नातक की डिग्री लेने के बाद उन्होंने इलाके के बच्चों को शिक्षित बनाने का बीड़ा उठाया है. इलाके की बच्चियों को पढ़ाती हैं. इसके साथ ही वह घर-घर जाकर मुस्लिम पिताओं को बच्चियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित भी करती हैं.

हावड़ा की ‘मलाला’ रजिया बानो के लिए महिला शिक्षा के क्षेत्र में काम करना आसान नहीं था. पाकिस्तान की मलाला को तो केवल समाज से लड़ना पड़ा था लेकिन गुदड़ी की लाल हावड़ा की मलाला को समाज से ही नहीं अपनी गरीबी से भी लड़ना पड़ा. हावड़ा के मुस्लिम बाहुल्य इलाके वोटबगान में रहने वाली रजिया के पिता मंसूर खान जूट मिल श्रमिक थे.

रजिया जब कॉलेज में पढ़ती थी तभी उनके पिता का इंतकाल हो गया. तमाम मुश्किलों के बाद भी मां-बाप ने रजिया को पढ़ाया. रजिया ने अपने वालिद (पिता) के सपने को तो पूरा किया ही. साथ ही उनके सपने को वृहद रूप देने के लिए शिक्षा का अलख जगाने का संकल्प लिया.

रजिया कहती हैं कि ऊपर वाले की रहमत थी कि मुझे ऐसे माता-पिता और गुरु मिले जिन्होंने मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. अब मैंने उस सपने के साथ इलाके के बच्चों को शामिल कर लिया है जो गरीब और बेसहारा हैं. वह बताती हैं कि इलाके की आठ अन्य लड़कियां भी नि:शुल्क शिक्षा प्रदान कर रही हैं. रजिया ने अपने इलाके की बच्चियों को पढ़ाना शुरू कर दिया है.

वर्तमान में वह इलाके के ही वोटबगान उर्दू गर्ल्स स्कूल में पढ़ाती हैं हालांकि इसके लिए वह स्कूल से कोई मानदेय नहीं लेतीं. स्कूल में पढ़ाने व घर के काम से समय मिलते ही रजिया निकल पढ़ती हैं इलाके की बच्चियों को पढ़ाने. रजिया बताती हैं कि आज यदि वह शिक्षा का अलख जगा रही हैं तो उसके पीछे उनके माता-पिता के बाद यदि सबसे ज्यादा योगदान है तो वह है उनके स्कूल के मास्टरजी रिजाय अहमद का.

रजिया बताती हैं कि यदि उन्हें रियाज मास्टरजी प्रेरित नहीं करते तो शायद उनकी पढ़ाई पूरी नहीं हो पाती

इलाके के पूर्व पार्षद व शिक्षक रियाज अहमद कहते हैं कि मैं कुरान का हवाला देकर बताना चाहता हूं कि बच्चियों व औरतों को भी पढ़ने लिखने का हक है. हावड़ा का वोटबगान कभी आपराधिक घटनाओं के लिए कुख्यात था.

इलाके के एक स्थान को लोग आज भी चंबल घाटी के नाम से पुकारते हैं. अहमद दावा करते हैं कि यदि मुस्लिम बाहुल्य वाले ऐसे स्थान में आज हावड़ा का पहला सरकारी आवासीय गर्ल्स स्कूल ‘ वोटबगान उर्दू गर्ल्स हाइस्कूल ‘ की स्थापना हुई तो उसका श्रेय यहां की रजिया बानो जैसी लड़कियों को जाता है. रियाज अहमद बताते हैं कि वोटबगान उर्दू गर्ल्स हाइस्कूल को अभी आठ तक मान्यता प्राप्त है.

सरकारी एडेड इस स्कूल में वर्तमान में इलाके की आठ लड़किया नि:शुल्क शिक्षा दे रही हैं. 14 कठ्ठे में बने इस स्कूल में हॉस्टल और स्कूल के भवन निर्माण में राज्य सरकार द्वारा दो करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं. लड़कियों के हौसले को देखते हुए इलाके की विधायक वैशाली डालमिया, तत्कालीन मेयर और पार्षद रियाज अहमद ने सहायता राशि उपलब्ध करायी.

गौरतलब है कि पाकिस्तान की लड़की मलाला युसूफजई पर महज स्कूल जाने की वजह से आतंकियों ने हमला किया था. आतंकियों ने मलाला के सिर में गोली मारी थी. वह बड़ी मुश्किल से बची. उसका ब्रिटेन में इलाज हुआ. उसे विश्व प्रसिद्धि मिली और नारी शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल बन गयी. मलाला को नोबेल शांति पुरस्कार मिल चुका है.

posted by : sameer oraon

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