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बिहार की हस्तकला और शिल्प को डिजिटल प्लेटफॉर्म से मिलेगा नया आयाम, उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान ने शुरू की इ-कॉमर्स पोर्टल

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इन साइटों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सीधे हस्तशिल्प के उत्पादों को खरीद सकेगा.

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पटना. राज्य की पहचान कायम रखने वाले कलाकारों और उनके उत्थान के लिए कार्यरत उपेंद्र महारथी शिल्प संस्थान के प्रयासों को नया मंच मिला है.

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संस्थान ने बिहार की कला और शिल्प को इ-कॉमर्स से जोड़ा है, जिससे राज्य की पहचान को कायम रखने के लिए नया आयाम मिलेगा.

ये बातें मंगलवार को उद्योग विभाग की ओर से आयोजित समारोह में उप मुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहीं. समारोह में उपेंद्र माहरथी शोध अनुसंधान के वार्षिक कैलेंडर, त्रैमासिक पत्रिका, नयी वेबसाइट व इ-कॉमर्स पोर्टल का विमोचन किया गया. नयी वेबसाइट के माध्यम से बिहार की कला व हस्तशिल्प को नये बाजार मिलेंगे.

इन साइटों के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सीधे हस्तशिल्प के उत्पादों को खरीद सकेगा. इसके साथ ही इसके प्रचार के लिए कलाकार और शिल्पकार अपने शिल्प के निर्माण के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर सोशल मीडिया के माध्यमों पर डालेंगे, ताकि शिल्प में रुचि रखने वाले देखकर सीखें और उनमें इन लोक कलाओं के प्रति रुचि जागृत हो.

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने कहा कि मौजूदा दौर में लोग डिजिटल माध्यमों से खुद को अपडेट रख रहे हैं, ऐसे में इस पहल से लोग बिहार की कला और शिल्प को देखेंगे, जिससे इसके प्रचार-प्रसार में सहायता मिलेगी.

राज्य की संस्कृति व कला हमारी विविधता है, जिसे उचित माध्यम नहीं मिलने से कहीं न कहीं वह पीछे छूट रही थी. डिजिटल बढ़ावा देने से राज्य की पहचान और कला-शिल्प को एक नया आयाम मिला है.

इस अवसर पर उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा ने कहा कि किसी भी समाज और प्रदेश की पहचान उसकी संस्कृति से होती है. अपनी संस्कृति को प्रोत्साहित नहीं करेंगे, तो हम उसे भूल जायेंगे.

लोक कलाओं का अधिक प्रचार-प्रसार हो इसी उद्देश्य से डिजिटल प्लेटफॉर्म का सहारा लिया गया है, जो हमारी संस्कृति को नयी ऊंचाई तक पहुंचने में मददगार साबित होगी.

Posted by Ashish Jha

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