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Bengal Assembly Election 2021: ममता बनर्जी की पुरानी पॉलिटिक्स, दूसरों के बाद खुद के लिए चुना धरना का रास्ता

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west bengal election 2021 This dharna politics of cm Mamata Banerjee is not new earlier she sit on dharna for others but today she sit for herself : बंगाल विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में अलग हैं. 2021 का ये चुनाव अब तक का सबसे अलग विधानसभा चुनाव माना जा रहा हैं. इस चुनाव की शुरुआत से ही अजब-गजब रंग देखने को मिल रही हैं. टूटा पैर, फिर व्हीलचेयर से ममता बनर्जी की राजनीति अब पहुंच गयी है धरना तक. धरना देने के लिए मशहूर ममता बनर्जी ने अपने लिए आज अकेले धरना पर बैठी. करीब 3 घंटें तक वो धरना पर बैठी रही.

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Bengal Assembly Election 2021: बंगाल विधानसभा चुनाव इस बार कई मायनों में अलग हैं. 2021 का ये चुनाव अब तक का सबसे अलग विधानसभा चुनाव माना जा रहा हैं. इस चुनाव की शुरुआत से ही अजब-गजब रंग देखने को मिल रही हैं. टूटा पैर, फिर व्हीलचेयर से ममता बनर्जी की राजनीति अब पहुंच गयी है धरना तक. धरना देने के लिए मशहूर ममता बनर्जी ने अपने लिए आज अकेले धरना पर बैठी. करीब 3 घंटें तक वो धरना पर बैठी रही.

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पिछले 33 दिनों से कर रही हैं व्हीलचेयर पर प्रचार 

बता दें कि चुनाव शुरू होने से पहले ही ममता बनर्जी का पैर चोटिल हो गया.उन्होंने इस घटना को लेकर बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने बीजेपी पर षड्यंत्र का आरोप लगाकर कहा, चुनाव प्रचार रोकने के लिए बीजेपी ने उन पर हमला करवाया था. घटना के 1 महीने 3 दिन बाद भी ममता बनर्जी व्हीलचेयर से ही चुनाव प्रचार कर रही हैं. जानकारों की मानें तो व्हीलचेयर पर बैठकर ही ममता बनर्जी अपने लिए सिंपथी वोट भी हासिल कर रही हैं.

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हर जनसभा में ममता बनर्जी यहीं कहती हुई दिख रही हैं एक पैर से वो बंगाल फतह करेंगी और दोनों पैर से दिल्ली की सत्ता पर बैठेंगी. अब ममता बनर्जी एक पैर से खेला होबे की राजनीति कर लोगों की हमदर्दी बटौर रही थी तो वहीं चुनाव आयोग के 24 घंटे के बैन ने ममता बनर्जी को शायद पाॅलिटिकल माइलेज दे दिया हैं. इस बैन के खिलाफ मंगलवार की सुबह 3 घंटें तक ममता बनर्जी अकेली धरना पर बैठी रही.

अकेले धरना पर बैठकर ममता ने दिया ये संदेश 

राजनीति गलियारे में चर्चा है ममता बनर्जी की धरना देने की राजनीति काफी पुरानी हैं. आज तक वो दूसरों के लिए धरना देती आयी हैं मगर आज उन्होंने खुद के लिए धरना दिया हैं. हर धरने में उनके साथ उनके समर्थक मौजूद रहते थे लेकिन आज ममता बनर्जी अकेले ही धरना पर बैठी दिखीं. ममता बनर्जी का अकेले धरना में बैठना बीजेपी और चुनाव आयोग के लिए एक मैसेज भी हैं.

गांधी मूर्ति के पास उनका अकेले धरना पर बैठना शायद यह संदेश दे रहा था बीजेपी और चुनाव आयोग के ताकत का सामना वो अकेले ही कर लेगी. वहीं जानकारों का यह भी कहना है,आर्मी से अनुमति नहीं मिलने के कारण ही वो अकेले धरना पर बैठी थी. बता दें कि सोमवार को उनके मुस्लिम समुदाय को एकजुट होकर वोट देने और उकसावे वाली बयानबाजी पर चुनाव आयोग ने ममता बनर्जी के चुनाव प्रचार में 24 घंटे का बैन लगाया था. आज रात 8 बजे ममता बनर्जी पर लगा बैन हट जायेगा.

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धरना पर बैठने की ममता की राजनीति काफी पुरानी हैं

बैन हटने के बाद ममता बनर्जी की एक के बाद एक, दो जनसभाएं हैं. रात 8.01 मिनट में बशीरहाट में उनकी आज की पहली सभा हैं. वही ममता की धरना पर बैठने की राजनीति में गौर करें तो सिंगूर से वो फाइटर दीदी बनकर सामने आयी थी. सिंगूर में किसानों की जमीन अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी 26 दिन भूखी प्यासी रहकर धरना पर बैठी थी.राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के हस्तक्षेप के बाद ममता बनर्जी ने अपना धरना समाप्त किया था. सिंगूर के लिए धरना ने ममता बनर्जी को काफी पाॅलिटिकटल माइलेज दिया था.

ममता बनर्जी ने 34 सालों की लेफ्ट की सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंका था. इसके बाद ही वो बंगाल की सत्ता में आयी थी.हालांकि इससे पहले नंदीग्राम में भी वो फाइटर दीदी के रूप में सामने आयी थी. दो साल पहले 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले उनका वहीं रूप देखा गया. ममता बनर्जी ने कोलकाता पुलिस के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार से सीबीआई की पूछताछ के खिलाफ मेट्रो चैनल पर तीन दिनों तक धरना दिया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट से राजीव कुमार की गिरफ्तारी पर रोक के बाद ममता बनर्जी ने अपना धरना समाप्त किया था.

Posted by : Babita Mali

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