15.2 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 12:18 am
15.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

तसर सिल्क को लेकर दुमका में फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में जुटीं ग्रामीण महिलाएं, बन रही हैं आत्मनिर्भर

Advertisement

Jharkhand News, Dumka News : झारखंड का दुमका जिला अगर तसर रेशम उत्पादन में देश का अग्रणी जिला बन चुका है, तो इसी जिले में मयूराक्षी ब्रांड की रेशमी साड़ियां और वस्त्रों के उत्पादन का केंद्र बड़ा आकार ले रहा है. तसर रेशम उत्पादन में कोकुन तैयार करने से लेकर उससे धागा निकालने एवं धागों से कपड़े बनाने के बाद उसे वस्त्र का रूप देने यानी तसर सिल्क को फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. साथ ही इस इलाके को सिल्क सिटी के रूप में विशेष पहचान दिलाने को अग्रसर हैं. वह दिन दूर नहीं जब दुमका को सिल्क सिटी के रूप में पहचान देने में यहां की बुनकर महिलाएं सिरमौर बनेंगी.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Jharkhand News, Dumka News, दुमका (आनंद जायसवाल) : झारखंड का दुमका जिला अगर तसर रेशम उत्पादन में देश का अग्रणी जिला बन चुका है, तो इसी जिले में मयूराक्षी ब्रांड की रेशमी साड़ियां और वस्त्रों के उत्पादन का केंद्र बड़ा आकार ले रहा है. तसर रेशम उत्पादन में कोकुन तैयार करने से लेकर उससे धागा निकालने एवं धागों से कपड़े बनाने के बाद उसे वस्त्र का रूप देने यानी तसर सिल्क को फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में महिलाएं अग्रणी भूमिका निभा रही हैं. साथ ही इस इलाके को सिल्क सिटी के रूप में विशेष पहचान दिलाने को अग्रसर हैं. वह दिन दूर नहीं जब दुमका को सिल्क सिटी के रूप में पहचान देने में यहां की बुनकर महिलाएं सिरमौर बनेंगी.

- Advertisement -
सरकार के प्रयास से राज्य को रेशम के क्षेत्र में मिल रही खोई पहचान

संताल परगना में तसर कोकुन का उत्पादन ज्यादा होने के बावजूद बिहार के भागलपुर जिला को सिल्क सिटी के नाम से जाना जाता है, जबकि दुमका से ही कच्चा माल लेकर यह ख्याति भागलपुर को मिली है. इसका मुख्य कारण यह रहा कि यहां के लोग केवल तसर कोकुन उत्पादन से जुड़े थे. मूल्यवर्द्धक कार्य (वैल्यू एडेड) नहीं हो रहा था, जबकि कोकुन उत्पादन के अलावा भी इस क्षेत्र में धागाकरण, वस्त्र बुनाई और डाईंग प्रिंटिंग कर और अधिक रोजगार एवं आय की प्राप्ति की जा सकती थी. इसको देखते हुए सहायक उद्योग निदेशक सुधीर कुमार सिंह ने प्रोजेक्ट तैयार किया, ताकि रेशम के क्षेत्र में दुमका को अलग पहचान मिले तथा यहां की गरीब महिलाओं को नियमित आय से जोड़कर स्वावलंबी बनाया जा सके. इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण के लिए चुना गया. शुरू में लगभग 400 महिलाओं को मयूराक्षी सिल्क उत्पादन के विभिन्न कार्यों का अलग-अलग प्रशिक्षण दिया गया. आज लगभग 500 महिलाओं को विभिन्न माध्यमों से धागाकरण, बुनाई, हस्तकला इत्यादि का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जबकि पूरे झारखंड में एक लाख 65 हजार परिवार रेशम उत्पादन से जुड़े हैं.

Undefined
तसर सिल्क को लेकर दुमका में फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में जुटीं ग्रामीण महिलाएं, बन रही हैं आत्मनिर्भर 3
हर संभव सहायता करेगी सरकार

दुमका प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मयूराक्षी सिल्क उत्पाद का अवलोकन किया था. मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि सिल्क के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए हर संभव संसाधन सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाये, जिससे यहां के लोगों को अधिक रोजगार मिले.

Also Read: खेला होबे भयंकर! बीरभूम में विस्फोटकों से भरा वाहन जब्त, रामपुरहाट-दुमका सड़क पर पकड़ायी कार
Undefined
तसर सिल्क को लेकर दुमका में फार्म टू फैब्रिक का रूप देने में जुटीं ग्रामीण महिलाएं, बन रही हैं आत्मनिर्भर 4
रूबी जैसी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का दे रहा अवसर

ऐसी ही बुनकर महिलाओं में एक नाम है रूबी कुमारी का. 29 साल की रूबी दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने अपनी दिव्यांगता को चुनौती के रूप में लेकर उसे ऊर्जा में बदल दिया है. वर्ष 1991 में जन्मी रूबी बचपन से ही एक पैर से दिव्यांग है. 2010 में मैट्रिक एवं 2012 में इंटर तक की पढ़ाई गर्ल्स हाई स्कूल से करने के बाद उसे पढ़ाई छोड़ देनी पड़ी. परिवार में एक विधवा बहन एवं बुजुर्ग पिता हैं. पिता नाई का काम करते थे, पर वे अब शारीरिक रूप से इतने स्वस्थ नहीं हैं कि कुछ काम कर सके. इधर, कैंसर ने मां को असमय छीन लिया. इन सब दुखों के पहाड़ में रूबी घबरायी नहीं. सिलाई- कटाई शुरू किया, पर उससे भी परिवार चलाना मुश्किल हो रहा था. ऐसे में हस्तकरघा, रेशम एवं हस्तशिल्प निदेशालय, झारखंड एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में संचालित मयूराक्षी सिल्क के उत्पादन व प्रशिक्षण केंद्र से वह जुड़ गयी.

6 महीने के कुशल प्रशिक्षण के बाद उसने बुनाई के कार्य में कदम आगे बढ़ाया और समूह बनाकर मयूराक्षी सिल्क के वस्त्रों का उत्पादन करने लगी. इन्हें इस केंद्र द्वारा एक स्पिनिंग मशीन भी दिया गया है, जिसके जरिये वे घर में खाली समय में अहिंसा सिल्क धागा कातने का कार्य करती है. अपने दृढ़ इच्छाशक्ति की बदौलत वह अपनी दिव्यांगता को पीछे छोड़ बुनाई में इतनी दक्ष हो गयी है कि धागाकरण व वस्त्रों के बुनाई से बिना सिकन के खुशहाल जीवन जी रही है तथा परिवार की जरूरतों को पूरा कर रही है. समाज में उसकी पहचान एक प्रगतिशील युवती के रूप में है.

Also Read: JMM Foundation Day 2021 : झामुमो के 42वें स्थापना दिवस पर दुमका में बोले सीएम हेमंत सोरेन, रोजगार और नियुक्तियों का वर्ष होगा 2021

Posted By : Samir Ranjan.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें