jharkhand news, chatra village road कुंदा : सरकार व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से परेशान प्रखंड के 20 गांव के लोगों ने श्रमदान कर अपने-अपने गांव में सड़क का निर्माण किया है. ग्रामीण अब तक अपने खर्च से 35 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के अभाव में आवागमन में काफी परेशानी होती थी. सरकार व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने से जब कोई फायदा नहीं हुआ, तो हम लोगों ने खुद सड़क बनाने का निश्चय किया. चंदा इकट्ठा कर ग्रामीणों ने श्रमदान कर अपने-अपने गांव में सड़क बनाने का काम शुरू किया.
इन गांवों में श्रमदान से बनी है सड़क
गेंदरा गांव में एक किमी, टिकैतबांध में एक किमी, धरतीमंडार में एक किमी, मोहनपुर गांव में दो किमी, सिंदरी में दो किमी, खुटबलिया में दो किमी, हारुल में दो किमी, चुरकी दो किमी, रतनाग में दो किमी, जगरनाथपुर गांव में चार किमी, ककहिया गांव में दो किमी, लालिमाटी में तीन किमी, लुकुईया में दो किमी, बलही में दो किमी के अलावे कई अन्य गांवों में भी श्रमदान से सड़क बनायी गयी है.
क्या कहते हैं लोग
मोहनपुर निवासी लोकनाथ महतो ने बताया कि उनका गांव प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी गांव की सड़क नहीं बनी. बरसात के मौसम में काफी परेशानी होती है. प्रत्येक साल श्रमदान कर सड़क बनाते हैं. गेंदरा गांव के श्याम भोगता ने कहा कि मध्य विद्यालय गेंदरा मुख्य सड़क से गेंदर गांव तक जाने के लिये सड़क नहीं है. खेत कियारी के सहारे आते जाते थे. कई बार सांसद व विधायक से सड़क बनाने की मांग की.
किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. चार माह पूर्व ग्रामीणों ने श्रमदान कर एक किमी सड़क का निर्माण किया. अब आवागमन में अब सुविधा हो गयी है. सिंदरी गांव के मनोज कुमार यादव ने कहा कि सड़क नहीं रहने के कारण बरसात के मौसम में काफी परेशानी होती थी. गांव में अगर कोई बीमार हो जाये तो उसे अस्पताल ले जाने के लिये दो से तीन किलो पैदल चल कर मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता था. जब से श्रमदान कर सड़क का निर्माण हुआ है, तब से बहुत सहूलियत हो गयी है.
Posted By : Sameer Oraon
jharkhand news, chatra village road कुंदा : सरकार व जनप्रतिनिधियों की अनदेखी से परेशान प्रखंड के 20 गांव के लोगों ने श्रमदान कर अपने-अपने गांव में सड़क का निर्माण किया है. ग्रामीण अब तक अपने खर्च से 35 किलोमीटर सड़क का निर्माण कर चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि सड़क के अभाव में आवागमन में काफी परेशानी होती थी. सरकार व जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने से जब कोई फायदा नहीं हुआ, तो हम लोगों ने खुद सड़क बनाने का निश्चय किया. चंदा इकट्ठा कर ग्रामीणों ने श्रमदान कर अपने-अपने गांव में सड़क बनाने का काम शुरू किया.
इन गांवों में श्रमदान से बनी है सड़क
गेंदरा गांव में एक किमी, टिकैतबांध में एक किमी, धरतीमंडार में एक किमी, मोहनपुर गांव में दो किमी, सिंदरी में दो किमी, खुटबलिया में दो किमी, हारुल में दो किमी, चुरकी दो किमी, रतनाग में दो किमी, जगरनाथपुर गांव में चार किमी, ककहिया गांव में दो किमी, लालिमाटी में तीन किमी, लुकुईया में दो किमी, बलही में दो किमी के अलावे कई अन्य गांवों में भी श्रमदान से सड़क बनायी गयी है.
क्या कहते हैं लोग
मोहनपुर निवासी लोकनाथ महतो ने बताया कि उनका गांव प्रखंड मुख्यालय से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. राज्य गठन के 20 वर्ष बाद भी गांव की सड़क नहीं बनी. बरसात के मौसम में काफी परेशानी होती है. प्रत्येक साल श्रमदान कर सड़क बनाते हैं. गेंदरा गांव के श्याम भोगता ने कहा कि मध्य विद्यालय गेंदरा मुख्य सड़क से गेंदर गांव तक जाने के लिये सड़क नहीं है. खेत कियारी के सहारे आते जाते थे. कई बार सांसद व विधायक से सड़क बनाने की मांग की.
किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया. चार माह पूर्व ग्रामीणों ने श्रमदान कर एक किमी सड़क का निर्माण किया. अब आवागमन में अब सुविधा हो गयी है. सिंदरी गांव के मनोज कुमार यादव ने कहा कि सड़क नहीं रहने के कारण बरसात के मौसम में काफी परेशानी होती थी. गांव में अगर कोई बीमार हो जाये तो उसे अस्पताल ले जाने के लिये दो से तीन किलो पैदल चल कर मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता था. जब से श्रमदान कर सड़क का निर्माण हुआ है, तब से बहुत सहूलियत हो गयी है.
Posted By : Sameer Oraon