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स्वस्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार करने के लिए जरूरी है सचेत रहना

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स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 वर्ष तक देश के बजट का मात्र 1 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर निवेश किया जाता था. स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा अधिक रहा. सरकारों का पूरा ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं में नये बड़े-बड़े अस्पताल खोलने तक सीमित रहा.

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डॉ. अनिल चुतर्वेदी : कोरोना महामारी ने विश्व के सभी देशों की स्वास्थ्य सेवाओं को झकझोरकर रख दिया है. यहां तक कि विश्व के विकसित देशों संयुक्त राज्य अमेरिका एवं ब्रिटेन में भी स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से चरमराकर रह गईं. हमारे देश ने कोरोना महामारी का सामना आत्मविश्वास, सूझ-बूझ, जनचेतना एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की असाधारण क्षमता के साथ किया. जिसके फलस्वरूप रोगियों की संख्या में कमी ही नहीं आयी बल्कि मृत्यु दर भी पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम रही.

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स्वास्थ्य क्षेत्र था उपेक्षित

स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 वर्ष तक देश के बजट का मात्र 1 प्रतिशत स्वास्थ्य सेवाओं पर निवेश किया जाता था. स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्र की अपेक्षा अधिक रहा. सरकारों का पूरा ध्यान स्वास्थ्य सेवाओं में नये बड़े-बड़े अस्पताल खोलने तक सीमित रहा. 80 के दशक के बाद निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के कारण कारपोरेट अस्पतालों की शृंखलाएं महानगरों में विकसित हो गयी,जहां केवल उच्च वर्ग के कुबेर ही अपना उपचार करवाने में सक्षम थे. मध्यम वर्ग एवं आमजन तो सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं पर ही आश्रित रहा.

देश में 37 हजार 725 कुल सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करनेवाले संस्थान हैं जिनमें जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शमिल हैं. देश में 11 लाख 54 हजार 686 ऐेलोपैथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. देश में 7 लाख 99 हजार 879 आयुष डॉक्टर हैं 2 लाख 54 हजार रजिस्टर्ड दंत चिकित्सक हैं.देश में 7 लाख 39 हजार बिस्तर अस्पतालों में हैं जिसमें केवल शहरी क्षेत्र में ही 4 लाख 31 हजार 173 बिस्तर उपलब्ध हैं.

इसके विपरीत ग्रामीण क्षेत्र में कुल 2 लाख 79 हजार 588 बिस्तरों की व्यवस्था अस्पतालों में है. देश में 29 हजार 899 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं 5 हजार 568 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, 1003 जिला अस्पताल, 3744 आयुष अस्पताल हैं.

देश में 14 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी

हमारी आबादी की तुलना में देश में 14 लाख डॉक्टरों और 20 लाख नर्सों की कमी है. 483 लोगों पर केवल एक नर्स की उपलब्धता है तथा 90 हजार की जनसंख्या पर केवल एक सरकारी डॉक्टर है. जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1 हजार की जनसंख्या पर 1 डॉक्टर की सिफारिश की है.

देश में बड़े अस्पतालों का निर्माण कर हम आमजन को स्वस्थ नहीं कर सकते हैं. हमारे देश में रोग के उपचार पर ध्यान अधिक गया है जिसके फलस्वरूप प्राथमिक रोग बचाव का सिद्धांत केवल टीकाकरण तक ही सिमटकर रह गया. आचार, विचार, विहार और आहार ही स्वास्थ्य का आधार है जो पूर्ण रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर ही स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण कार्यक्रम के अनुसार दिया जाना चाहिए.

2021-22 के स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी की बढ़ोतरी

इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए वर्ष 2021-22 के स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी बढ़ोतरी की गई है. स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए बजट अनुदान को 94,452 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2,23,848 करोड़ कर दिया गया है. बजट में प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना का ऐलान किया गया है. उस योजना में बीमारियों पर नजर रखने के लिए देश के सभी जिलों में पब्लिक हेल्थ लैब स्थापित किये जायेंगे और उन्हें इंटीगे्रटेड हैल्थ पोर्टल से जोड़ा जाएगा. 11 जिलों में 3382 पब्लिक हेल्थ लैब तथा यूनिट खोली जायेंगी.

इस योजना के अंतर्गत रोग से बचाव की जानकारी आचार, विचार, विहार, आहार पर विशेष बल दिया जाएगा.ताकि जनता को बतलाया जा सके कि हमारी अनियमित जीवन शैली के कारण मधुमेह दिल का दौरा, मोटापा एवं कैंसर रोग में वृद्धि हो रही है.

संक्रमण रोगी की रोकथाम के लिए दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर डिजीस कंट्रोल की पांच क्षेत्रीय शाखाएं खोली जायेंगी. 20 शहरों में यूनिट खाली जायेंगी. चार नये नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायलोजी खोले जायेंगे. आयुष्मान भारत योजना के तहत देश के 50 करोड़ गरीब लोगों को पांच लाख रुपए सालाना का मुफ्त व कैशलैस इलाज कराने का तथा पूरे देश में 115 लाख हैल्थ एंड वैलनैस सेंटर खोलने की घोषणा भी की गयी है.

कोरोना वैक्सीन के लिए 3.5 हजार करोड़ का प्रावधान

इस वित्तीय वर्ष में 3.5 हजार करोड़ का प्रावधान कोरोना वैक्सीन हेतु किया गया है. साथ ही 480 करोड़ का प्रावधान राज्यों के लिए रखा गया है ताकि वैक्सीन समुचित मात्रा में पहले चरण में स्वास्थ्य कर्मियों को मिल सके. दूसरे चरण में 2 करोड़ फ्रंट लाइन वर्कर तथा तीसरे चरण में 27 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों जिन्हें अन्य बीमारिया हैं उनको लगाने का लक्ष्य रखा गया है.

भारत में विकसित वैक्सीन की गुणवत्ता को स्वीकार कर विश्व के 22 देशों से मांग आई है.इसमें अफगानिस्तान, नाइजीरिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्राजील, मिश्र, कुवैत, मॉरीशस, मालदीव, मलेशिया, सऊदी अरब, प्यांमार, नेपाल, ओमान, मौरक्को, फिजी, अफ्रीका, श्रीलंका और संयुक्त अमीरात देश हैं.

देशवासियों को यह समझना चाहिए की स्वास्थ्य एक व्यक्तिगत किंतु जीवन का अति आवश्यक पहलू है यदि प्रत्येक देशवसी अपने आचार, विचार, आहार, विहार की ओर से सजग रहें तो हम बीमारियों से लड़ पायेंगे और एक आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत का सपना साकार कर पायेंगे.

लेखक गोयल अस्पताल यूरोलॉजी सेंटर,दिल्ली के चेयरमैन हैं.

E Mail : dranilchaturvedi@gmail.com

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